
OROP: पारिवारिक पेंशनरों को 30 अप्रैल तक किया जाए बकाया राशि का भुगतान- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के तहत 6 लाख पारिवारिक पेंशनरों और सशस्त्र बलों के वीरता पुरस्कार विजेताओं को 30 अप्रैल तक बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।
वहीं 70 वर्ष से अधिक आयु के योग्य पेंशनरों को 30 जून तक बकाया भुगतान करने के लिए कहा गया है।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले OROP के बकाया भुगतान को चार किस्तों में करने की बात कही थी।
निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या निर्देश दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को OROP के तहत अन्य शेष पात्र पेंशनरों को इस साल 30 अगस्त, 30 नवंबर और अगले साल 28 फरवरी तक समान किस्तों में या उससे पहले बकाया राशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट्स (IESM) ने सुप्रीम कोर्ट में पेंशन के भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल थी, जिसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने क्या दलील दी थी?
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में जनवरी की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार पेंशनरों के बकाए का भुगतान दो वर्षों में चार किस्तों में करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए मंत्रालय से अधिसूचना वापस लेने के लिए कहा था।
केंद्र ने कहा था कि एक किस्त का भुगतान हो चुका है और बकाया भुगतान को पूरा करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता है।
आपत्ति
CJI ने सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने पर जताई आपत्ति
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने OROP योजना के मामले की सुनवाई के दौरान सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि सीलबंद लिफाफे में जवाब देने के चलन पर रोक लगाने की आवश्यकता है क्योंकि यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है।
CJI ने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से इसका विरोध करता हूं। कोर्ट में पारदर्शिता होनी चाहिए।"
योजना
न्यूजबाइट्स प्लस
वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना में समान रैंक और समान अवधि की सेवा से रिटायर हुए सैन्य कर्मचारियों को एक बराबर पेंशन दी जाती है। इसमें सेवानिवृत्ति की तारीख के कोई मायने नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने 7 नवंबर, 2015 को OROP योजना की अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि यह योजना 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी मानी जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले पूर्व सैनिक लंबे समय से समान पेंशन की मांग कर रहे थे।