#NewsBytesExplainer: ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के भारत दौरे की अहमियत और दोनों देशों के मजबूत रिश्तों की कहानी
क्या है खबर?
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज 8 मार्च से 11 मार्च तक चार दिवसीय भारत दौरे पर रहेंगे। उनके साथ व्यापार और पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल और संसाधन मंत्री मेडेलीन किंग के अलावा एक उच्च स्तरीय व्यापारी प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है।
मई, 2022 में ऑस्ट्रेलिया का प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्बनीज की ये पहली भारत यात्रा है।
आइए इस दौरे की अहमियत और भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों का इतिहास समझते हैं।
दौरा
सबसे पहले अल्बनीज के भारत दौरे का कार्यक्रम जानिए
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज 8 मार्च को भारत आए। 9 मार्च को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का चौथा टेस्ट मैच देखा। 9 मार्च को ही वे मुंबई गए और यहां से दिल्ली रवाना हुए।
10 मार्च को वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ दोनों देशों के बीच होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। 10 मार्च को ही उनका राष्ट्रपति भवन में आधिकारिक स्वागत किया जाएगा। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी उनकी मुलाकात होगी।
खासियत
क्यों खास है अल्बनीज का भारत दौरा?
अल्बनीज का यह दौरा 2017 के बाद किसी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा है। माना जा रहा है कि इस दौरान हरित ऊर्जा, व्यापार और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा हो सकती है।
प्रधानमंत्री के साथ व्यापारियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जो मुंबई में ऑस्ट्रेलिया-भारत CEO फोरम में भाग लेगा। भारत रवाना होने से पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि ये दोनों देशों के संबंध मजबूत करने का ऐतिहासिक अवसर है।
व्यापार
दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ रहा है व्यापार
2021 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वस्तुओं और सेवाओं का 27.5 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 10.5 अरब डॉलर का निर्यात किया था, वहीं ऑस्ट्रेलिया से 17 अरब डॉलर का आयात किया था।
पिछले साल ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच करीब 10 साल की बातचीत के बाद मुक्त व्यापार समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत 23 अरब डॉलर का व्यापार ड्यूटी फ्री हो जाएगा।
रिश्ते
हाल ही में कैसे मजबूत हुए दोनों देशों के रिश्ते?
2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी कैनबरा पहुंचे थे तो ये लगभग तीन दशक में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला ऑस्ट्रेलिया दौरा था। नरेंद्र मोदी से पहले 1986 में बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर एक साल में तीन बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जा चुके हैं। पिछले साल अलग-अलग मौकों पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री तीन बार मिल चुके हैं। 2023 में भी मोदी और अल्बनीज 2 बार और मिलेंगे।
क्वॉड
क्वॉड की वजह से बढ़ी नजदीकी
क्वाड समूह में भारत और ऑस्ट्रेलिया सुरक्षा साझेदार हैं। इस समूह में अमेरिका और जापान भी हैं।
बीते कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया के चीन के साथ रिश्ते उतने अच्छे नहीं रहे हैं। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ कूटनीतिक रिश्ते मजबूत करना चाहता है, ताकि चीन के साथ व्यापार और बाकी संबंधों के बिगड़ने का असर देश पर नहीं पड़े।
ऑस्ट्रेलिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन भी करता रहा है।
साझेदारी
समय के साथ ऐसे मजबूत हुए संबंध
दोनों देशों के बीच संबंधों में एक बड़ा कदम ऑस्ट्रेलिया-भारत काउंसिल (AIC) की स्थापना था। मई, 1992 में AIC की स्थापना हुई थी। साल 2009 में दोनों देशों ने आपसी संबंधों को और मजबूत करते हुए इन्हें सामरिक साझेदारी में बदला था।
नवंबर, 2018 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की। ये यात्रा इसलिए खास थी क्योंकि पहली बार किसी भारतीय राष्ट्रपति ने ऑस्ट्रेलिया का राजकीय दौरा किया था।
सामरिक साझेदारी
2020 में व्यापक रणनीतिक साझेदार बने दोनों देश
4 जून, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच वर्चुअल शिखर वार्ता हुई थी। इसमें दोनों देशों ने सामरिक साझेदारी को बढ़ाते हुए द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) में बदलने का फैसला लिया था।
इस वार्ता में दोनों देशों के बीच अहम मुद्दों पर 8 समझौते भी हुए थे। ये फैसला इसलिए ऐतिहासिक था क्योंकि ऑस्ट्रेलिया से पहले भारत ने ब्रिटेन, इंडोनेशिया, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात के साथ ही CSP किया था।
व्यापार समझौता
भारत-ऑस्ट्रेलिया का आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता
2022 में दोनों देशों ने एक वर्चुअल समारोह में आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समारोह में दोनों देशों के प्रधानमंत्री भी मौजूद रहे।
22 नवंबर को ऑस्ट्रेलियाई संसद से मंजूरी मिलने के बाद 29 दिसंबर से ये समझौता लागू हो गया। इस समझौते से 2026-27 तक ऑस्ट्रेलिया को भारत के निर्यात में 10 अरब डॉलर तक की वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है।
इतिहास
आजादी से पहले से हैं भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच राजनयिक संबंधों का इतिहास 1947 में आजादी मिलने से भी पहले का है। साल 1941 में भारत के महावाणिज्य दूतावास को पहली बार सिडनी में एक व्यापार कार्यालय के रूप में खोला गया था।
मार्च, 1944 में लेफ्टिनेंट जनरल इवेन मैके को भारत में ऑस्ट्रेलिया का पहला उच्चायुक्त नियुक्त किया गया, वहीं ऑस्ट्रेलिया में भारत के पहले उच्चायुक्त को साल 1945 में नियुक्त किया गया।