क्या है भारत और अमेरिका समेत चार देशोें का क्वाड समूह और इसकी शुरूआत कैसे हुई?
जापान में आज क्वाड सम्मेलन की शुरूआत हुई। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चारों सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष जापान पहुंचे हैं, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। सम्मेलन की शुरूआत में भाषण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस समूह को एक अच्छी ताकत बताया जिसका लक्ष्य इंडो-पैसिफिक में शांति और स्थिरता बनाए रखना है। ये क्वाड समूह आखिर क्या है और ये अस्तित्व में कैसे आया, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है क्वाड समूह?
क्वाड लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह है जिसका मौजूदा मकसद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता, शांति और स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। इसे इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने और उसकी दादागीरी को चुनौती देने के प्रयास के तौर पर देखा जाता है, हालांकि आधिकारिक तौर पर कभी ऐसा नहीं कहा गया। अभी भले ही क्वाड का मकसद चीन के दबदबे को कम करना हो, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था।
कैसे हुई क्वाड की शुरूआत?
दिसंबर, 2004 में हिंद महासागर में आई भयंकर सुनामी के बाद एक साझेदारी के तौर पर क्वाड की शुरूआत हुई थी और तब इसका मकसद प्रभावित देशों को मानवीय और आपदा संबंधी मदद प्रदान करना था। 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसे औपचारिक रूप दिया, हालांकि इसके बाद लगभग एक दशक तक ये निष्क्रिय बना रहा। इसका एक प्रमुख कारण इस समूह से चीन के नाराज होने को लेकर ऑस्ट्रेलिया की चिंता रही।
फिर से कैसे जिंदा हुआ क्वाड?
चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और इंडो-पैसिफिक में उसकी बढ़ती दादागीरी को देखते हुए 2017 में क्वाड को एक बार फिर से सक्रिय किया गया। 2019 में चीन की पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ ने इस समूह को खुली बांहों से स्वीकार करने की भारत की राह आसान कर दी, वहीं कोरोना वायरस महामारी के दौरान चीन के साथ व्यापार युद्ध के कारण ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी पुरानी हिचकिचाहट त्याग दी। जापान भी चीन की बढ़ती आक्रमकता से पीड़ित रहा है।
अमेरिका का क्या नजरिया?
चीन वैश्विक स्तर, विशेषकर इंडो-पैसिफिक, में अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती दे रहा है। ऐसा होने से रोकने के लिए अमेरिका छोटे-छोटे गठबंधन बना रहा है जिनमें क्वाड भी शामिल है। अमेरिका इसे इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने का जरिया मानता है।
चीन का क्वाड पर क्या कहना है?
चीन क्वाड समूह का घोर विरोधी है और इसे उसके खिलाफ बनाया गया गठबंधन बता चुका है। चीन का कहना है कि ये 'एशियाई NATO' है। हालांकि क्वाड के सदस्य देश इसके इनकार करते हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि NATO एक सैन्य गठबंधन है और किसी एक सदस्य देश पर हमला होने पर बाकी देश उसकी मदद करने के लिए बाध्य हैं, वहीं क्वाड देशों ने अभी तक ऐसा कोई भी रक्षा समझौता नहीं किया है।
अभी तक क्वाड के कितने सम्मेलन हुए?
अभी तक क्वाड के तीन सम्मेलन हो चुके हैं और जापान में हो रहा मौजूदा सम्मेलन क्वाड का चौथा सम्मेलन है। क्वाड का पहला आधिकारिक सम्मेलन मार्च, 2021 में हुआ था। पहला सम्मेलन वर्चुअल था। इसके बाद सितंबर, 2021 में वॉशिंगटन में पहला इन-पर्सन सम्मेलन हुआ और इस साल मार्च में एक बार फिर से वर्चुअल सम्मेलन हुआ। मौजूदा सम्मेलन में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क समेत कई महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
क्या कोई और भी क्वाड में शामिल होना चाहता है?
चीन के पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया ने भी क्वाड में शामिल होने में दिलचस्पी दिखाई है। क्वाड समूह दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और वियतनाम जैसे देशों के साथ 'क्वाड प्लस' बैठकें भी कर चुका है, जो भविष्य में इसके विस्तार का आधार बन सकती हैं।