#NewsBytesExplainer: दाऊदी बोहरा कौन हैं और प्रधानमंत्री मोदी की उनसे मुलाकात के क्या राजनीतिक मायने हैं?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में दाऊदी बोहरा समुदाय की 'अरबी अकादमी' का उद्घाटन किया। इस दौरान वह समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरू सैय्यदना मुफद्दल सैफुद्दीन का हाथ थामे हुए नजर आए और समुदाय का अपना परिवार बताया।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम को दाऊदी बोहरा समुदाय से नजदीकी बढ़ाने का प्रयास माना जा रहा है।
आइए जानते हैं कि दाऊदी बोहरा कौन हैं और प्रधानमंत्री के इस प्रयास को राजनीति से क्यों जोड़ा जा रहा हैं।
इतिहास
सबसे पहले जानें क्या है बोहरा समुदाय
बोहरा समुदाय एक मुस्लिम पंथ है, जो फातिमी इमामों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है।
पहले इमाम इस समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता हुआ करते थे, लेकिन 21वें इमाम तैय्यब अबुल कासिम की मौत के बाद इस परंपरा को खत्म कर दिया गया और 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू की गई।
इन गुरुओं को 'दाई-अल-मुतलक सैय्यदना' नाम दिया गया, जिसका अर्थ होता है सर्वोच्च सत्ता। उनके आदेश को सर्वोपरि माना जाता है।
भारत पहुंचना
भारत कैसे पहुंचे बोहरा?
बोहरा से दाऊदी बोहरा बनने की कहानी समझने से पहले इनके भारत में स्थापित होने का इतिहास जानना होगा। यह समुदाय धर्म प्रचारकों के जरिए 11वीं शताब्दी में मिस्र से भारत के गुजरात आया।
इनके नाम की उत्पत्ति का भी भारत से संबंध है। दरअसल, बोहरा गुजराती शब्द 'बहौराउ' का बिगड़ा हुआ रूप है, जिसका अर्थ होता है व्यापार।
जब भारत में इस समुदाय का विस्तार होने लगा तो 1539 में इसका मुख्यालय यमन से गुजरात के सिद्धपुर आ गया।
विभाजन
बोहरा से दाऊदी बोहरा कैसे बने?
बोहरा समुदाय के 30वें सैय्यदना की 1588 में मौत के बाद उनकी गद्दी को लेकर उनके वंशज दाऊद बिन कुतुब शाह और सुलेमान शाह के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद समुदाय में दो धड़े बन गए।
दाऊदी के अनुयानियों को दाऊदी बोहरा कहा जाने लगा, वहीं सुलेमान के समर्थक सुलेमानी बोहरा कहलाए गए।
विभाजन के कुछ समय बाद सुलेमानी बोहरा अपना मुख्यालय वापस यमन ले गए, वहीं दाऊदी बोहरा समुदाय ने मुंबई को अपना मुख्यालय बना लिया।
जानकारी
दाऊदी और सुलेमानी बोहरों के धार्मिक सिद्धांतों में क्या अंतर है?
दाऊदी और सुलेमानी बोहरों की धार्मिक मान्यताओं में खास अंतर नहीं है और दोनों सूफियों में खास आस्था रखते हैं। सुलेमानी हनफी इस्लामिक कानून का पालन करते हैं, वहीं दाऊदी बोहरों की इस्लाइली शिया समुदाय में आस्था है और दाईम-उल-इस्लाम के नियमों को मानते हैं।
मान्यताएं
दाऊदी बोहरा समुदाय की छवि कैसी है?
दाऊदी बोहरा समुदाय शिक्षित, मेहनती, समृद्ध और कारोबारी स्वभाव का माना जाता है। जीवनशैली के मामले में यह समुदाय आधुनिक ही है, लेकिन धर्म के मामले में उसके विचार काफी हद तक रूढ़िवादी हैं।
समुदाय अपने धर्मगुरू यानि सैय्यदना के प्रति पूरी तरह से समर्पित है और नियमों का उल्लंघन करने पर व्यक्ति को समुदाय से बहिष्कृत कर दिया जाता है।
समुदाय में छोटी बच्चियों के खतने की कुप्रथा भी प्रचलन में है, हालांकि इसके खिलाफ आवाज भी उठती है।
धर्मगुरू
सैय्यदना कितना शक्तिशाली होता है?
सैय्यदना दाऊदी बोहरा समुदाय का सबसे बड़ा नेता होता है और उसके आदेश का पूरी ईमानदारी के साथ पालन किया जाता है।
सैय्यदना धार्मिक गुरू के साथ-साथ समुदाय के तमाम सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक ट्रस्टों के मुख्य ट्रस्टी भी हैं। इन ट्रस्टों की कुल संपत्ति 50,000 करोड़ रुपये के आसपास बताई जाती है और इस दौलत की बदौलत सैय्यदना शानो-शौकत के साथ रहते हैं।
सैय्यदना की नियुक्ति वंशवाद की परंपरा के तहत की जाती है, जिसकी आलोचना भी होती है।
आंकड़े
भारत में कितने दाऊदी बोहरा हैं और कहां-कहां रहते हैं?
भारत में दाऊदी बोहरा समुदाय की आबादी लगभग 20 लाख है और कुल मुस्लिम आबादी में उनकी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
दाऊदी समुदाय मुख्य तौर पर गुजरात और महाराष्ट्र में रहता है, हालांकि अन्य जगहों पर भी समुदाय की कुछ आबादी रहती है।
शहरों के हिसाब से बात करें तो सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा, जामनगर, राजकोट, नवसारी, दाहोद, गोधरा, मुंबई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, उदयपुर, भीलवाड़ा, इंदौर, बुरहानपुर, उज्जैन, शाजापुर, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू और हैदराबाद में समुदाय के लोग रहते हैं।
राजनीतिक मायने
प्रधानमंत्री की मुलाकात के राजनीतिक मायने क्यों निकाले जा रहे?
प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे समय पर दाऊदी बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुए हैं, जब आने वाले कुछ महीनों में मुंबई में बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के चुनाव होने वाले हैं।
दाऊदी समुदाय का कई BMC वॉर्डों पर प्रभाव है और इसी कारण मोदी के इस कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।
BMC में सत्तारूढ़ शिवसेना भी मुस्लिमों को लुभाने की कोशिश में है, जिसकी काट के लिए उनके ऐसा करने का अंदेशा है।
अन्य मायने
व्यापक राजनीति के लिए कार्यक्रम के क्या मायने?
कार्यक्रम के व्यापक राजनीतिक मायनों की बात करें तो भाजपा पर अक्सर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगता रहता है, जिसकी काट के लिए वह कुछ मुस्लिम समुदायों के साथ नजदीकी बढ़ाने में लगी हुई है। दाऊदी समुदाय इन्हीं में शामिल है।
पार्टी का कहना है कि दाऊदी समुदाय के साथ उसके संबंध काफी पुराने हैं।
माना जा रहा है कि भाजपा की इस कार्यक्रम के जरिए यह संदेश देने की कोशिश है कि वह मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है।