6 सालों में 7.5 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता, 2.56 लाख से अधिक अमेरिका में बसे
क्या है खबर?
एक तरफ केंद्र सरकार संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के जरिए पड़ोसी देशों में प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर देश के नागरिक ही अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं।
हालात यह है कि साल 2016 से 2021 के बीच छह सालों में 7.5 लाख भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं।
इनमें से 2.56 लाख से अधिक ने अमेरिका की नागरिकता ली है। केंद्रीय गृह मंत्रायल के डाटा में इसका खुलासा हुआ है।
सबसे ज्यादा
साल 2019 में सबसे ज्यादा भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
न्यूज 18 के अनुसार, केंद्र सरकार के डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि साल 2016 से 2021 के बीच कुल 7,49,765 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है।
इसमें सबसे ज्यादा 1,44,017 भारतीयों ने 2019 में नागरिकता छोड़ी थी। इसी तरह 2016 में 1,41,603, साल 2017 में 1,33,049, साल 2018 में 1,34,561 और साल 2021 में 1,11,287 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी।
इस हिसाब से प्रतिदिन औसतन 342 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है।
जानकारी
साल 2020 में सबसे कम भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
सरकारी डाटा के अनुसार, साल 2020 में सबसे कम 85,248 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी। हालांकि, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस महामारी के चलते लगाया गया देशव्यापी लॉकडाउन रहा था। उसके बाद फिर से संख्या बढ़ गई।
नागरिकता
नागरिकता छोड़कर कहां गए भारतीय?
पिछले साल सरकार की ओर से संसद में पेश किए गए डाटा में सामने आया है कि साल 2017 के बाद 6.08 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है और कुल 106 देशों में अपना ठिकाना बनाया है।
नागरिकता छोड़ने वाले इन लोगों में से 82 प्रतिशत यानी 5,01,031 भारतीयों ने अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की नागरिकता हासिल की है।
इसके अलावा शेष 18 प्रतिशत भारतीयों ने 102 अन्य देशों को अपना नया घर बनाया है।
सबसे ज्यादा
2.56 लाख से अधिक भारतीयों ने हासिल की अमेरिका की नागरिकता
डाटा के अनुसार, साल 2017 के बाद भारत की नागरिकता छोड़ने वालों में से सबसे अधिक 2,56,476 भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता हासिल की है।
इसी तरह 91,429 भारतीयों ने कनाड़ा, 86,933 ने ऑस्ट्रेलिया और 66,193 भारतीयों ने इंग्लैंड को अपना घर बनाया है।
कनाड़ा और इंग्लैंड जाने वाले भारतीयों में सबसे अधिक संख्या पंजाबियों की रही है। इन लोगों ने इन देशों में अपना स्थायी रोजगार भी स्थापित कर लिया है।
अन्य
31 भारतीयों ने हासिल की पाकिस्तान की नागरिकता
मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2020 और 2021 में कुल 31 भारतीयों ने पाकिस्तान की नागरिकता हासिल की है।
इसके अलावा साल 2017 से 2021 के बीच कुल 2,174 भारतीयों ने चीन की नागरिकता हासिल कर ली।
इसी तरह उक्त अवधि के दौरान 94 भारतीयों ने पड़ोसी देश श्रीलंका, सात ने म्यांमार, 20 ने बांग्लादेश और 134 भारतीयों ने नेपाल जाने के लिए अपनी नागरिकता छोड़ी है। यह चिंता की बात है।
विदेशी
5,891 विदेशियों को मिली भारत की नागरिकता
गृह मंत्रालय के डाटा के अनुसार, 2016 से 2021 के बीच कुल 5,891 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई है।
2018 से 2021 के बीच पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक समूहों से कम से कम 8,244 लोगों ने नागरिकता के आवेदन किया था।
इनमें से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कुल 3,117 हिंदू, सिख, जैन और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी गई है।
डाटा
10,635 आवेदन हैं लंबित
गृह मंत्रालय के डाटा के अनुसार, दिसंबर 2021 तक भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के संबंध में कुल 10,635 आवेदन लंबित पड़े हुए हैं।इनमें से पाकिस्तानी नागरिकों के 7,306 और अफगानिस्तान के नागरिकों के कुल 1,152 आवेदन शामिल हैं।
नियम
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारत के नागरिकों को दो देशों की नागरिकता रखने की अनुमति नहीं है।
भारतीय पासपोर्ट धारक यदि दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो उसे तत्काल भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना होगा।
इसी तरह भारत की नागरिकता छोड़ने वाला व्यक्ति यदि दोबारा नागरिकता लेना चाहता है तो उसे पहले दूसरे देश की नागरिकता छोड़नी होगी।
ऐसे में कोई भी व्यक्ति भारत की नागरिकता के साथ दूसरे देश की नागरिकता नहीं ले सकता है।