दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन आज, जानें एक्सप्रेसवे की खासियत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे। करीब 1,386 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे दिल्ली और मुंबई को जोड़ेगा और दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को लगभग 12 घंटे कम कर देगा। वहीं दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे शुरू होने के बाद कई शहरों के बीच की दूरी काफी घट जाएगी। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली और चार राज्यों (हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र) से होकर गुजरेगा। आइए जानते हैं कि इस एक्सप्रेसवे की क्या-क्या खासियत हैं।
दिल्ली से जयपुर के लगेंगे सिर्फ 3.5 घंटे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के दिल्ली-दौसा-लालसोट सेक्शन का उद्धघाटन करेंगे। इंडिया टुडे के मुताबिक, एक्सप्रेसवे के राजस्थान वाले हिस्से के शुरू होने के बाद दिल्ली और जयपुर के बीच यात्रा का समय 5 घंटे से घटकर 3.5 घंटे रह जाएगा। बता दें कि 246 किलोमीटर लंबे सेक्शन को 12,150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है। इस पर आज से ही यातायात शुरू होने की संभावना है।
मुंबई और दिल्ली के बीच कम होगी दूरी
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी को 180 किलोमीटर कम कर देगा। पहले यह दूरी 1,424 किलोमीटर थी, जो एक्सप्रेसवे शुरू होने के बाद 1,242 किलोमीटर रह जाएगी। वहीं यात्रा का समय भी 24 घंटे से घटकर 12 घंटे रह जाएगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे कोटा, इंदौर, जयपुर, भोपाल, वडोदरा और सूरत जैसे बड़े शहरों को भी जोड़ेगा। बता दें कि यह एक्सप्रेसवे 8 लेन का एक्सेस-नियंत्रित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा।
दूरी घटने से होगी ईंधन की बचत
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे परियोजना का प्रारंभिक बजट 98,000 करोड़ रुपये था। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, दिल्ली और मुंबई के बीच दूरी और यात्रा के समय में कमी आने से 32 करोड़ लीटर से अधिक की वार्षिक ईंधन बचत होगी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी। गौरतलब है कि एक्सप्रेसवे के किनारे 20 लाख पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। भविष्य में इस एक्सप्रेसवे को 8 से 12 लेन में भी विकसित किया जा सकता है।
आठ हवाईअड्डों को आपस में जोड़ेगा एक्सप्रेसवे
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 93 प्रधानमंत्री गति शक्ति आर्थिक नोड, 13 बंदरगाहों, आठ प्रमुख हवाईअड्डों और आठ मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) के साथ-साथ जेवर हवाईअड्डे, नवी मुंबई हवाईअड्डे और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) बंदरगाह समेत नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों को भी अपना सेवा प्रदान करेगा। इससे एक्सप्रेसवे के निकटवर्ती क्षेत्रों के विकास में भी तेजी आएगी। इस एक्सप्रेसवे पर अत्याधुनिक स्वचालित यातायात प्रबंधन प्रणाली भी होगी। इस परियोजना से 10 करोड़ दिनों के बराबर रोजगार के मौके सृजित होंगे।
12 लाख टन स्टील और 80 लाख टन सीमेंट होगा इस्तेमाल
एक्सप्रेसवे के निर्माण में 12 लाख टन से अधिक स्टील का इस्तेमाल होगा, जो 50 हावड़ा ब्रिज के निर्माण के बराबर है। वहीं 80 लाख टन सीमेंट की खपत होगी, जो भारत की वार्षिक सीमेंट उत्पादन क्षमता का लगभग 2 प्रतिशत है। एक्सप्रेसवे के लिए पांच राज्यों में 15,000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पहले बताया था कि किसानों को उनकी जमीनों के बदले 1.5 गुना अधिक धनराशि दी गई है।
वन्यजीव संरक्षण के लिए भी किए गए हैं प्रावधान
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा एक्सप्रेसवे है, जहां वन्यजीवों के चलने-फिरने के लिए ओवरपास और अंडरपास की सुविधा दी गई है। वन्य जीवों की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में 3 फुट ऊंची चारदीवारी और साउंड बैरियर भी बनाए जाएंगे।
हर 100 किलोमीटर पर होगा ट्रॉमा सेंटर
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निर्माण में 25,000 लाख टन डामर की खपत होगी, जबकि 4,000 से अधिक प्रशिक्षित सिविल इंजीनियरों को तैनात किया जाएगा। इस परियोजना से 10 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित होंगे। इस एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह टोल प्लाजा भी नहीं होंगे। वहीं एक्सप्रेसवे पर हर 100 किलोमीटर पर एक ट्रामा सेंटर होगा, जहां इमरजेंसी के दौरान जरूरतमंद लोगों का इलाज हो सकेगा। दिल्ली से मुंबई तक जाने में हर 50 किलोमीटर पर एक स्टॉपेज जरूर मिलेगा।