
बिहार: कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर राजभवन की ओर उमड़े हजारों किसान
क्या है खबर?
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले तीन महीने से चल रहे किसानों के प्रदर्शन की आग अब अन्य राज्यों तक भी पहुंच गई है।
दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 35 दिनों से चल रहे किसानों के प्रदर्शन के बाद मंगलवार को बिहार की राजधानी पटना में भी हजारों की संख्या में किसानों ने राजभवन की ओर कूच कर दिया।
कूच के दौरान किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी भी की।
आह्वान
किसानों ने किया था राजभवन मार्च का आह्वान
NDTV के अनुसार गत दिनों अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और अन्य लेफ्ट संगठनों ने किसानों से मंगलवार को राजभवन मार्च में शामिल होने का आह्वान किया था।
इसको लेकर मंगलवार को राज्य के विभिन्न जिलों से हजारों किसान पटना पहुंच गए और राजभवन की ओर कूच कर दिया।
किसानों की मांग है कि कृषि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त किया जाए और सरकार उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दे।
झड़प
मार्च के दौरान किसानों की हुई पुलिस से झड़प
मार्च के आह्वान को देखकर पुलिस ने गांधी मैदान पर भारी बेरिकेडिंग लगा दी थी। इसके बाद दोपहर में किसान बेरिकेडिंग को तोड़कर डाक बंगला तक पहुंच गए थे।
यहां पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो पुलिस और किसानों के बीच झड़प शुरू हो गई। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों को खदेड़ दिया।
पुलिस ने किसानों को राजभवन तक पहुंचने से रोकने के लिए डाकबंगला चौराहे को पूरी तरह सील कर दिया।
पृष्ठभूमि
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं किसान
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया था। उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था।
किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
प्रस्ताव
सरकार ने किसानों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए बुलाया
किसानों की भूख हड़ताल पर सरकार ने गत 21 को किसानों को फिर से वार्ता का प्रस्ताव भेजकर तारीख निर्धारित करते हुए विज्ञान भवन बुलाया था।
इसके बाद किसानों ने बैठक कर 29 दिसंबर को वार्ता के लिए जाने का निर्णय किया था, लेकिन सोमवार को सरकार ने किसानों को 30 दिसंबर दोपहर 2 बजे वार्ता के लिए विज्ञान भवन बुलाया है।
सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया कि वह खुले मन हर मुद्दे के समाधार के लिए तत्पर है।