कृषि कानून: दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शनों का 16वां दिन, किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का प्रदर्शन 16वें दिन में प्रवेश कर गया है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर समेत कई स्थानों पर डटे हुए हैं। सरकार ने गुरुवार को किसानों से उसके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने की अपील की, लेकिन किसानों का कहना है कि तीनों कानून वापस न होने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
सरकार की अपील के बाद किसानों की चेतावनी
सरकार ने बुधवार को प्रदर्शनकारी किसानों को कानूनों में संशोधन करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर लिखित गारंटी देने का आश्वासन दिया था। किसानों का कहना है कि उन्हें संशोधन स्वीकार नहीं है और सरकार को ये कानून वापस लेने होंगे। किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए आंदोलन तेज करने की बात कही थी। गुरुवार को सरकार ने प्रस्ताव पर फिर विचार करने को कहा तो किसानों ने रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दे दी।
प्रदर्शन स्थलों पर आज पहुंच सकते हैं और किसान
किसानों ने इससे पहले प्रस्ताव ठुकराते हुए 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाइवे जाम करने का ऐलान किया था। इसे देखते हुए आज बड़ी संख्या में किसान इन दोनों हाइवे के पास और प्रदर्शन स्थलों पर पहुंच सकते हैं। दूसरी तरफ पुलिस ने भी अपनी तैयारियां पुख्ता करनी शुरू कर दी है ताकि किसान हाइवे तक न पहुंच पाए। पुलिस किसानों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए कई रास्तों पर चेक-पोस्ट बना रही है।
सरकार ने कही बातचीत के रास्ते खुले होने की बात
गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों से बातचीत के रास्ते खुले हैं। उन्होंने किसान संगठनों से प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार किसानों की सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, "मैं किसान यूनियनों से चर्चा के लिए एक तारीख निर्धारित करने का आग्रह करता हूं। हम सुनने के लिए तैयार हैं। सरकार खुले दिमाग से किसानों की बात सुनेगी।"
किसानों ने दी रेलवे ट्रैक बाधित करने की चेतावनी
कृषि मंत्री की इस अपील के बाद किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि वो देशभर के रेलवे ट्रैक बाधित करेंगे। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा, "हमने 10 तारीख का अल्टीमेटम दिया हुआ था कि अगर प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को नहीं सुना और कानूनों को रद्द नहीं किया तो सारे धरने रेलवे ट्रैक पर आ जाएंगे।" उन्होंने कहा कि अब रेलवे ट्रैक पर पूरे भारत के लोग जाएंगे। संयुक्त किसान मंच जल्द ही इसकी तारीख की घोषणा करेगा।
"भगवान जाने क्या हल निकलेगा"
एक तरफ किसान कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं तो दूसरी तरफ सरकार कह चुकी है वह कानून वापस नहीं लेगी। ऐसी स्थिति में गतिरोध के समाधान के तरीके के बारे में पूछे जाने पर किसान नेता शिवकुमार काका ने कहा, "समाधान सिर्फ भगवान जानता है। हम सर्दी और कोरोना वायरस महामारी के कारण कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इसके बावजूद हम हमारी मांगे पूरी होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे।"
किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।