कृषि कानून: सरकार ने किसानों को 30 दिसंबर को बैठक के लिए बुलाया
क्या है खबर?
कृषि कानूनों पर बना गतिरोध तोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर किसानों के साथ बैठक बुलाई है। बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार करने के किसान संगठनों के पुराने पत्र का हवाला देते हुए सरकार ने उनसे दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में बैठक के लिए आने को कहा है।
सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल इस बैठक में शामिल हो सकते हैं।
किसानों का प्रस्ताव
किसानों ने रखा था 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव
बता दें कि 40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने 26 दिसंबर को केंद्र सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उसके सामने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बातचीत का प्रस्ताव रखा था।
किसान संगठनों के इसी प्रस्ताव का जबाव देते हुए अब सरकार ने उन्हें 30 दिसंबर को बैठक के लिए बुलाया है। अपने जबाव में सरकार ने ये भी कहा है कि वह खुले मन से मुद्दे के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
बयान
कृषि मंत्री ने जताई गतिरोध के जल्द समाधान की उम्मीद
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव के बीच एक कार्यक्रम में बोलते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने उम्मीद जताई कि किसानों और सरकार के बीच चले आ रहे गतिरोध का जल्द ही समाधान हो जाएगा।
ग्रामीण भारत के गैर-सरकारी संगठनों के परिसंघ (CNRI) के एक बैठक में बोलते हुए उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों को देशभर में भरपूर समर्थन मिला है और कुछ लोग इन कानूनों पर किसान संगठनों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
संवाद
प्रधानमंत्री ने कही थी विरोधियों से बातचीत के लिए तैयार होने की बात
सरकार की तरफ से बातचीत का ये समय ऐसे समय पर दिया गया है जब कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों के किसानों के साथ संवाद करते हुए नए कानूनों को किसान हितैषी बताया था।
उन्होंने कहा था कि नए कानून किसानों के भले के लिए हैं और सरकार इन कानूनों के विरोधियों से भी बात करने को तैयार है। इसके अलावा उन्होंने विपक्ष पर मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया था।
गतिरोध
बेनतीजा रही है पांच दौर की बातचीत
बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अब तक पांच दौर की औपचारिक और एक बार अनौपचारिक बैठक हो चुकी है। इसके बावजूद अभी तक गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकला है।
सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है, लेकिन किसान संगठनों की मांग है कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
बीते सोमवार को भी सरकार ने बातचीत का न्योता भेजा था, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था।
कृषि कानून
क्या है किसानों के विरोध की वजह?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।