बिहार विधानसभा चुनाव: नतीजों से पहले जानिए मतदान की बड़ी बातें
बिहार विधानसभा चुनाव के तीनों चरणों का मतदान सम्पन्न हो चुका है और मंगलवार को मतगणना के बाद प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो जाएगा। मतगणना के लिए चुनाव आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। इस बार बिहार की कुल 243 सीटों के लिए तीन चरणों में हुए मतदान में कुल 57.05 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। ऐसे में आइए जानें आखिर इस बार बिहार ने कैसे रहे मतदान।
जागरुकता अधिक होने के बाद भी कम रहा मतदान प्रतिशत
बिहार को लेकर हमेशा से ही एक बात कही जाती है कि यहां के मतदाता अन्य राज्यों की तुलना में राजनीतिक रूप से अधिक जागरुक होते हैं, लेकिन राज्य का मतदान प्रतिशत इस दावे को थोड़ा कमजोर साबित करता आया है। दरअसल, राज्य में 1990 और 1995 में ही 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। इसके अलावा 2010 में 57.3 प्रतिशत और 2015 में 56.6 प्रतिशत रहा था। ऐसे में इस बार भी मतदान अपेक्षा से कम रहा।
कोरोना महामारी के बीच बेहतर कहा जा सकता है मतदान
राज्य में इस बार मतदान प्रतिशत भले ही 60 प्रतिशत से कम रह गया, लेकिन कोरोना महामारी के दौर में इस प्रतिशत को प्रभावशाली कहा जा सकता है। हालांकि, इसके पीछे प्रवासी मजदूरों के राज्य में ही होने को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
मतदान करने में पुरुषों से आगे निकली महिलाएं
बिहार राज्य महिलाओं के साथ बराबरी के व्यवहार और लिंगानुपात (1,000 पुरुषों पर 918 महिलाएं) के मामले में भले ही पिछड़े राज्यों में शुमार होता है, लेकिन जब मतदान की बारी आती है तो यहां की महिलाएं पुरुषों से आगे नजर आती हैं। इस बार भी महिलाओं ने 59.7 प्रतिशत मतदान कर पुरुषों को पछाड़ दिया। हालांकि, यह 2015 विधानसभा चुनाव के 60.4 प्रतिशत से कम है, लेकिन 2010 के 54.4 प्रतिशत से अधिक है।
मतदान में पुरुषों की यह रही स्थिति
इस बार कुल 54.6 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया है, जो महिलाओं की तुलना में 5.1 प्रतिशत कम है। हालांकि, पुरुषों का यह प्रतिशत 2015 विधानसभा चुनाव के 53.3 प्रतिशत से 1.3 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह साल 2010 के विधानसभा चुनाव में 54.4 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था, जो इस साल से कम था। इसी तरह लोकसभा चुनाव 2019 में 54.9 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था, जो महिलाओं से 4.6 प्रतिशत कम था।
इसलिए किया जा रहा है महिला मतदाताओं पर फोकस
बिहार चुनाव में महिला मतदाताओं पर फोकस देने का कारण यह है कि साल 2005 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के बीच खुद की एक मजबूत छवि बनाने का प्रयास किया था। उन्होंने युवतियों के लिए साइकिल देने जैसी योजना के साथ महिला सशक्तिकरण पर जो दिया था। इसके अलावा युवतियों को स्नातक के लिए 55,000 रुपये की सहायता, पंयायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत और सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया था।
बिहार विधानसभा में बढ़ाया महिलाओं का प्रतिनिधित्व
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं संचालित करने के साथ-साथ विधानसभा में भी उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने का काम किया था। साल 2010 के चुनाव के बाद 34 महिला प्रतिनिधि विधानसभा पहुंची थी तो 2015 में इनकी संख्या 28 रही थी। हालांकि, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश की तुलना में यह संख्या कम है, लेकिन इस बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 19 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए हैं।
महिलाओं के अधिक मतदान प्रतिशत से नीतीश को होगा फायदा?
मतदान के बाद सामने आए तमाम एग्जिट पोल महागठबंधन को अधिक सीटे मिलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार की महिलाओं पर केंद्रित योजनाएं कुछ और ही बयां करती हैं। उनकी महिला केंद्रित योजनाओं के कारण वह 2010 और 2015 में सरकार बनाने में सफल रहे थे। इस बार भी महिलाओं ने 140 सीटों पर 60 प्रतिशत से अधिक और 12 सीटों पर 70 प्रतिशत से अधिक मतदान किया है। ऐसे में परिणामों पर संशय बना हुआ है।
किसी भी सीट पर 70 प्रतिशत पर नहीं पहुंचा पुरुषों का मतदान
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज्य की किसी भी सीट पर पुरुषों का मतदान 70 प्रतिशत नहीं रहा। केवल तीन दर्जन सीटों पर ही पुरुषों ने 60 प्रतिशत मतदान किया है। पूर्णिया के धमदाहा में अपनी आखिरी रैली में नीतीश कुमार ने महिला मतदाताओं से विशेष रूप से वोट देने की अपील की थी और कहा था कि उन्होंने महिलाओं के लिए दिल खोलकर काम किया है। इस दौरान उन्होंने अपना आखिरी चुनाव का भी दाव खेला था।