
दिल्ली स्थित उच्चायोग के जरिए पाकिस्तान भारत में कैसे तैयार कर रहा जासूसों का जाल?
क्या है खबर?
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद देशभर के कई इलाकों से पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इन सभी के तार कहीं न कहीं नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से जुड़ रहे हैं। पता चला है कि पाकिस्तान उच्चायोग के जरिए भारत में जासूसों का जाल तैयार कर रहा है।
कथित तौर पर ये उच्चायोग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) के स्लीपर सेल के तौर पर काम कर रहा है।
रिपोर्ट
उच्चायोग के जरिए सुरक्षा व्यवस्थाओं का जानकारी जुटा रहा पाकिस्तान
न्यूज18 ने शीर्ष खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा कि पाकिस्तानी उच्चायोग ISI के गुप्त केंद्र या स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहा है।
एक सूत्र ने कहा, "भविष्य में फिदायीन हमलों के लिए बड़े पैमाने पर दूतावास में भर्ती का उद्देश्य संभवतः लक्ष्य निर्धारित करना है। इसका उद्देश्य प्रवेश बिंदु, निकास द्वार, गेट की ताकत और सुरक्षा व्यवस्था का पता लगाना है।"
रिपोर्ट के मुताबिक, उच्चायोग के कई अधिकारी इन गतिविधियों में शामिल हैं।
वीजा
वीजा विभाग में काम करते हैं ज्यादातर एजेंट
रिपोर्ट के मुताबिक, ISI अधिकारी उच्चायोग में वीजा अधिकारी के तौर पर काम करते हैं। इन्हें प्रथम सचिव या मंत्री के तौर पर राजनयिक छूट भी मिली होती है, जिसका ये गलत फायदा उठाते हैं।
वीजा विभाग के अधिकारियों की आवेदकों के इंटरव्यू के नाम पर लोगों से सीधे मुलाकात होती है। वीजा फॉर्म में आवेदकों की सारी जानकारी भी दर्ज होती है।
इससे वीजा अधिकारी को अपने संभावित लक्ष्य के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाती है।
दानिश
दानिश कैसे जासूसी गतिविधियों को दे रहा था अंजाम?
उच्चायोग का कर्मचारी दानिश यूट्यूबर्स और प्रभावशाली लोगों को फंसा रहा था। ज्योति मल्होत्रा वाले पूरे मामले में भी दानिश की भूमिका अहम थी।
दानिश जल्दी वीजा जारी होने, पैसे या धमकी जैसे हथकंडों से लोगों को फंसाकर काम निकलवाता था।
दानिश के संपर्क में आकर कथित तौर पर जासूसी करने वालों में गजाला, यामीन, शहजाद, फलक शेर मसीह, सूरज मसीह, सुखप्रीत सिंह, करणबीर सिंह, नोमान इलाही, देवेंद्र सिंह, अरमान और मोहम्मद तारीफ के नाम शामिल हैं।
काम
जासूसों से क्या-क्या काम करवाए जाते हैं?
जासूसों से संवेदनशील क्षेत्रों के वीडियो बनाने, फोटो लेने, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाजी करने जैसे काम करवाए जाते थे।
इसके लिए बकायदा उन्हें पाकिस्तान ले जाकर प्रशिक्षण भी दिया जाता था। उच्चायोग के पूर्व कर्मचारी आसिफ ने तारिफ की भर्ती कर उसे प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान ले जाने में मदद की थी।
पकड़ में आने से बचने के लिए इन लोगों को दुबई या नेपाल जैसे देशों में ISI संचालकों से जोड़ा जाता था।