
आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए विदेशों में प्रतिनिधिमंडल भेज सकता है भारत
क्या है खबर?
सरकार आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए विदेशों में प्रतिनिधिमंडल भेजने पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद पर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना है।
न्यूज18 के मुताबिक, इसके लिए सरकार फिलहाल विपक्षी पार्टियों के साथ बातचीत कर रही है।
सरकार का इरादा है कि प्रतिनिधिमंडल की संरचना और कार्यक्रम को अंतिम रूप देने से पहले विपक्ष को भरोसे में लिया जाए।
रिपोर्ट
क्या होगा प्रतिनिधिमंडल का काम?
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रतिनिधिमंडल विदेशी सरकारों, थिंक टैंकों और मीडिया के साथ बातचीत करेगा, ताकि पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के संदर्भ में 'ऑपरेशन सिंदूर' की जरूरत पर भारत का दृष्टिकोण रखा जा सके।
यह सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट मोर्चा पेश करने का एक ठोस प्रयास है।
बता दें कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भेजा गया था।
सदस्य
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल हो सकता है?
सूत्रों के अनुसार, सरकार 8 प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजेगी, जो 10 दिनों की अवधि के दौरान 5 देशों की यात्रा करेंगे।
हर प्रतिनिधिमंडल में 5-6 सांसद, विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
सांसदों को सलाह दी गई है कि वे अपना पासपोर्ट और यात्रा से जुड़े अन्य दस्तावेज अपने पास रखें। प्रतिनिधिमंडल 22 मई से अपना दौरा शुरू कर सकता है, जो जून के पहले सप्ताह तक चलेगा।
एजेंडा
5 एजेंडा पर रुख स्पष्ट करेगा प्रतिनिधिमंडल
प्रतिनिधिमंडल के 5 एजेंडा होंगे।
1. पाकिस्तान के उकसावे का ब्यौरा देना, जिसके कारण 'ऑपरेशन सिंदूर' जरूर हो गया था।
2. समझाना कि 'ऑपरेशन सिंदूर' इन खतरों के प्रति महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया क्यों थी।
3. भविष्य में आतंकवादी घटनाएं होने पर इसी प्रकार की कार्रवाई की संभावना की जानकारी देना।
4. ऑपरेशन के दौरान केवल आतंकवादी ठिकानों को ही सटीक निशाना बनाने पर जोर देना।
5. आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका और इसके दुष्परिणामों पर प्रकाश डालना।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
1994 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर UNHRC में प्रस्ताव पेश करने की योजना बनाई थी।
इसके जवाब में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने UNHRC में एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा, जिसका वाजपेयी कर रहे थे।
इस प्रतिनिधिमंडल में फारूक अब्दुल्ला और तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद शामिल थे, जिन्होंने कश्मीर मुद्दे पर भारत का रुख दुनिया के सामने रखा और पाकिस्तान के आरोपों का जवाब दिया।
इसके बाद पाकिस्तान ने प्रस्ताव वापस ले लिया।