कैसे बनाई जाती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना और पंजाब दौरे पर कहां चूक हुई?
पंजाब दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में बवाल मचा हुआ है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इसे गंभीर चूक करार देते हुए पंजाब सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस पर पंजाब सरकार ने दो सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर कैसे बनाई जाती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना और पंजाब दौरे पर कहां चूक हुई।
क्या है पूरा मामला?
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के भठिंडा से हुसैनीवाला जा रहे थे। उन्हें यह सफर हेलिकॉप्टर से तय करना था, लेकिन खराब मौसम के चलते ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद उनका काफिला सड़क मार्ग से आगे बढ़ गया। हुसैनीवाला से 30 किलोमीटर पहले प्रदर्शनकारियों ने सड़क को बंद कर रखा था। ऐसे में प्रधानमंत्री को 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर खड़े रहकर वापिस लौटना पड़ा। केंद्र सरकार ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक माना है।
कैसे बनाई जाती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना?
प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी विशेष सुरक्षा समूह (SPG) को सौंपी गई है। SPG ने इसके लिए दिशा-निर्देश बनाए हैं, जिसे 'ब्लू बुक' कहा जाता है। प्रधानमंत्री के सभी कार्यक्रमों के लिए इसके अनुसार ही सुरक्षा योजना बनाई जाती है। सुरक्षा योजना में केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस दोनों शामिल होते हैं। SPG प्रधानमंत्री की किसी भी यात्रा से तीन दिन पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो, राज्य के पुलिस प्रमुख और जिला कलक्टर के साथ अग्रिम सुरक्षा संपर्क (ASL) बैठक करती है।
ASL बैठक में क्या होता है?
ASL बैठक में SPG प्रधानमंत्री के दौरे के पूरे कार्यक्रम की जानकारी देती है। जिसमें प्रधानमंत्री कैसे पहुंचेंगे (हवाई, सड़क या रेल मार्ग) और वहां अपने कार्यक्रम स्थल पर कैसे जाएंगे। इसकी योजना बनाने में केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय खुफिया इकाई के इनपुट को ध्यान में रखा जाता है। इसके बाद आयोजन स्थल की सुरक्षा के लिए वहां के प्रवेश और निकास की व्यवस्था, लोगों की तलाशी और डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर जैसे बिंदुओं पर चर्चा की जाती है।
ASL बैठक में इन बिंदुओं पर भी दिया जाता है ध्यान
ASL बैठक में SPG कार्यक्रम स्थल के मंच की संरचनात्मक स्थिति पर भी चर्चा करती है और उसे बेहद मजबूत बनाने की योजना बनाई जाती है। इसी तरह आयोजन स्थल पर आग लगने की स्थिति में सुरक्षा की व्यवस्था, क्षेत्र में उस दिन के मौसम, यदि कार्यक्रम स्थल पर नाव या जहाज से जाना हो तो उसके पूरी तरह क्रियाशील होने और सुरक्षित होने का प्रमाण पत्र लेने सहित रास्ते पर मौजूद रहने वाली सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा होती है।
ASL बैठक में मौजूद अधिकारियों से हस्ताक्षर कराती है SPG
SPG प्रधानमंत्री की सुरक्षा की मजबूती के लिए ASL बैठक में पूरे कार्यक्रम पर चर्चा करने के बाद मौजूद सभी अधिकारियों से हस्ताक्षर कराती है और इसके बाद सुरक्षा के सारे इंतजाम किए जाते हैं। बैठक के दौरान यदि कार्यक्रम के रास्ते में कहीं भी अवरोध होने की सूचना मिलती है तो SPG संबंधित अधिकारियों को उसे हटाने, रास्ते की टूट-फूट को ठीक करने, सुरक्षा के लिए रास्ते में अधिक पुलिसकर्मी तैनात करने के लिए भी कह सकती है।
कार्यक्रम में अंतिम समय पर बदलाव होने पर क्या होता है?
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) और SPG के साथ काम कर चुके ओपी सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "प्रधानमंत्री की पुख्ता सुरक्षा के लिए एक आकस्मिक योजना हमेशा बनाई जाती है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के बाद भी यदि मौसम खराब होता है और प्रधानमंत्री उड़ान नहीं भर पाते हैं तो सड़क मार्ग के लिए भी योजना बनाई जाती है।" उन्होंने कहा, "संबंधित मार्ग को पहले ही साफ किया जाता है। वहां सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं।"
प्रधानमंत्री को केवल नजदीकी सुरक्षा मुहैया कराती है SPG- सिंह
पूर्व DGP सिंह ने कहा, "SPG प्रधानमंत्री को केवल नजदीकी सुरक्षा मुहैया कराती है। इसके अलावा अन्य सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी संबंधित राज्य की पुलिस की होती है। राज्य पुलिस को खुफिया जानकारी जुटाने, मार्ग और कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन का काम करना होता है।" उन्होंने कहा, "सुरक्षा के लिए खतरे के बारे में इनपुट की जिम्मेदारी केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की होती है। हालांकि, सुरक्षा का अंतिम फैसला SPG का होता है।"
"राज्य पुलिस को जुटानी चाहिए खुफिया जानकारी"
पूर्व DGP सिंह ने कहा, "केंद्रीय जांच एजेंसियों के अलावा राज्य पुलिस को भी खुफिया जानकारी जुटानी चाहिए। इसके अलावा कार्यक्रम स्थल के मार्ग पर पुलिसकर्मी और जासूस तैनात करने चाहिए। इससे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अधिक मजबूती आती है।"
क्या SPG अधिकारी प्रधानमंत्री को भी कर सकते हैं इनकार?
SPG के एक पूर्व प्रमुख ने कहा कि राजनीतिक आयोजनों में प्रधानमंत्री सुरक्षाकर्मियों पर प्रोटोकॉल से हटने का दबाव बना सकते हैं। यही वह समय है जब SPG अपना निर्णय लेते हुए सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री को इनकार कर सकती है। उन्होंने कहा पूर्व SPG प्रमुख संजीव दयाल ने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा के दौरान सुरक्षा कारणों से राजनयिकों के दबाव के बाद भी उन्हें आधा घंटे तक कार्यक्रम में नहीं जाने दिया था।
सुरक्षा योजना में अप्रत्याशित विरोध की उम्मीद नहीं करने पर क्या होगा?
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन किसी भी VIP और VVIP की सुरक्षा के लिए खतरा होते हैं। ऐसे में राज्य पुलिस अपने खुफिया इनपुट के आधार पर उन्हें विफल करने की योजना बनाती है। उन्होंने कहा स्थानीय पुलिस के पास संदिग्ध या संभावित प्रदर्शनकारियों की सूची होती है। ऐसे में वह उसे रोकने का प्रयास कर सकती है। इसके बाद भी यदि किसी विरोध को नहीं रोका जा सकता तो उस मार्ग से बचा जा सकता है।
पंजाब में हुई घटना पर क्या चल रहे हैं आरोप-प्रत्यारोप?
गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सुरक्षा में चूक के लिए पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि पंजाब सरकार को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की जानकारी दे दी थी और प्रधानमंत्री का काफिला पुलिस महानिदेशक (DGP) के सुरक्षा आश्वासन देने के बाद रवाना हुआ था। इधर, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने अचानक अपने कार्यक्रम में बदलाव किया था। इसके अलावा उन्होंने विरोध की आशंका में कार्यक्रम रद्द करने के लिए भी कहा था।
पंजाब में घटित पूरे घटनाक्रम में कहां हुई है चूक?
पूर्व DGP सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए पंजाब पुलिस की चूक को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, "जब खराब मौसम के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने सड़क मार्ग से यात्रा करना चुना, तो स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी थी कि वह पूरे मार्ग को साफ करे और पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त करे।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री 15 मिनट तक फ्लाईओवर पर खुले में खड़े रहे। इसका मतलब है कि पंजाब पुलिस फ्लाईओवर के प्रवेश और निकास को सुरक्षित करने में विफल रही।"
SPG और पंजाब DGP के बीच हुई बातचीत है सबसे महत्वपूर्ण
SPG के एक पूर्व प्रमुख ने कहा, "किसी की भी गलती मानने से पहले SPG और पंजाब DGP के बीच हुई बातचीत का निर्धारण करना बेहद जरूरी है कि DGP ने किस मार्ग से जाने के लिए कहा था।" उन्होंने कहा, "अगर पंजाब के DGP ने SPG को यह बताया था कि किसानों के विरोध की योजना बनाने की सूचना है या फिर इलाके में कुछ अशांति हो सकती है तो SPG को वहां जाने से बचना चाहिए था।"