
PACL के गुरनाम सिंह ने कैसे किया 49,000 करोड़ का घोटाला, अब तक क्या-क्या पता है?
क्या है खबर?
बीते दिन उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने पर्ल्स एग्रो-टेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) के निदेशक गुरनाम सिंह को पंजाब से गिरफ्तार किया है। गुरनाम पर 49,000 करोड़ रुपये के कथित पोंजी घोटाले को अंजाम देने का आरोप है। गुरनाम ने लुभावने रिटर्न का झांसा देकर 10 राज्यों में करोड़ों लोगों से ये ठगी की है। इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। आइए पूरा मामला जानते हैं।
ठगी
5 करोड़ से ज्यादा लोगों से हुई ठगी
रिपोर्ट के मुताबिक, गुरनाम की कंपनी का जाल उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में फैला हुआ था। उसने 5 करोड़ से ज्यादा निवेशकों को कम समय में भारी रिटर्न या जमीन के प्लॉट का वादा कर ठगा। गुरनाम इस घोटाले के 10 आरोपियों में से एक है। 4 आरोपी पहले से जेल में हैं और बाकी की तलाश जारी है।
तरीका
लोगों से कैसे की जाती थी ठगी?
1996 में राजस्थान में गुरूवंत एग्रोटेक लिमिटेड नाम से एक कंपनी पंजीकृत हुई थी। इसी कंपनी का 2011 में नाम बदलकर PACL कर दिया गया। कंपनी ने देशभर में कार्यालय खोले और लोगों से रेगुलर डिपॉजिट और FD के रूप में भारी धनराशि जमा कराई। बदले में जमीन या भारी रिटर्न देने का वादा किया गया। हालांकि, धीरे-धीरे कंपनी ने सारे कार्यालय बंद कर दिए और लोगों को कोई राशि नहीं लौटाई।
धोखा
पिरामिड योजना के जरिए लोगों से की गई धोखाधड़ी
EOW की महानिदेशक नीरा रावत के अनुसार, कंपनी एक पारंपरिक पिरामिड योजना की तरह काम करती थी। जिन लोगों ने पहले निवेश कर दिया था, उन्हें बाद में निवेश करने वाले लोगों की राशि से भुगतान किया जाता था। इस प्रक्रिया में एजेंट को अच्छा-खासा कमीशन मिलता था। कंपनी एजेंटों को परिवार और दोस्तों को भी योजना में शामिल करने का लालच देते थे। इसके लिए महंगी होटलों में बड़े-बड़े सेमिनार आयोजित किए जाते थे।
खुलासा
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
घोटाले को लेकर उत्तर प्रदेश के जालौन में निवेशकों ने मामला दर्ज करवाया था। जांच के बाद 2018 में EOW ने कानपुर थाने में अलग मुकदमा दर्ज किया। हालांकि, इससे पहले ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) मामले की जांच कर रहे थे। 2016 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस लोढ़ा के नेतृत्व में एक जांच समिति गठित की गई थी। बीते दिनों संसद में भी ये मुद्दा उठा था।
संस्थापक
कंपनी के संस्थापक की जेल में हो गई मौत
पंजाब का रहने वाला निर्मल सिंह भंगू PACL घोटाले का मास्टरमाइंड था। भंगू दूध बेचता था और बाद में कोलकाता में एक निवेश कंपनी में काम करने लगा। कुछ समय बाद भंगू बेरोजगार हुआ तो उसने खुद की कंपनी खड़ी कर ली। मामले का खुलासा होने पर 8 जनवरी, 2016 को CBI ने भंगू और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। भंगू को तिहाड़ जेल में रखा गया। जेल में रहते ही अगस्त, 2024 में भंगू की मौत हो गई।
टाइमलाइन
मामले को लेकर कब-क्या हुआ?
1998-99 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को PACL के खिलाफ कई शिकायतें मिलीं। इसके बाद SEBI ने सामूहिक निवेश योजना (CIS) को लेकर कानून बनाया और PACL को कंपनी बंद करने को कहा। इसके खिलाफ 2003 में PACL राजस्थान हाई कोर्ट गई। कोर्ट ने उसे कारोबार जारी रखने की अनुमति दे दी। SEBI ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने SEBI के हक में फैसला सुनाया। 2014 में CBI ने जांच शुरू की।