विधानसभा चुनाव के बाद MSP पर समिति बनाएगी सरकार- कृषि मंत्री
केंद्र सरकार ने कहा है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर समिति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के बाद इसका गठन किया जा सकता है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के चलते सरकार ने चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर राय मांगी थी। आयोग ने कहा है कि चुनाव संपन्न होने के बाद यह समिति बनाई जा सकती है।
मंत्रालय के विचाराधीन है मामला- तोमर
कृषि मंत्री ने राज्यसभा में पूरक सवालों का जवाब देते हुए कि सरकार ने चुनाव आयोग से मार्गदर्शन लेने के लिए पत्र लिखा था। आयोग का जवाब आ गया है और चुनावों के बाद समिति बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि समिति के गठन का मामला मंत्रालय के विचाराधीन है। गौरतलब है कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं और 10 मार्च को इनके नतीजे आएंगे।
प्रधानमंत्री ने किया था MSP पर समिति का ऐलान
पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को रद्द करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने MSP को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के सभी विषयों पर निर्णय लेने के लिए समिति बनाने का ऐलान किया था। कृषि कानूनों को रद्द कराने के साथ-साथ MSP पर कानून किसानों की बड़ी मांग रही है। किसानों का कहना है कि जब तक उन्हें MSP पर लिखित गारंटी नहीं मिलती है, उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसे लेकर किसान लगातार सरकार पर हमलावर हैं।
क्या होता है MSP?
सरकार किसान की फसल के लिए एक न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती है, जिसे MSP कहा जाता है। यह एक तरह से सरकार की तरफ से गारंटी होती है कि हर हाल में किसान को उसकी फसल के लिए तय दाम मिलेंगे। अगर मंडियों में किसान को MSP या उससे ज्यादा पैसे नहीं मिलते तो सरकार किसानों से उनकी फसल MSP पर खरीद लेती है। इससे बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर नहीं पड़ता।
MSP की शुरुआत कैसे हुई?
आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में किसान इस बात को लेकर काफी परेशान थे कि अगर किसी फसल का बंपर उत्पादन हो जाए तो उन्हें उसके अच्छे दाम नहीं मिल पाते थे। इस तरह से किसानों की लागत भी नहीं निकल पाती थी, जिस कारण वो आंदोलन करने लगे। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री रहते हुए 1 अगस्त, 1964 को एलके झा के नेतृत्व में एक समिति बनी, जिसका काम अनाजों की कीमतें तय करने का था।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
समिति की सिफारिशें लागू होने के बाद 1966-67 में पहली बार गेहूं के लिए MSP का ऐलान किया गया। इसके बाद से हर साल सरकार बुवाई से पहले फसलों के MSP घोषित कर देती है। MSP तय करने के बाद सरकार स्थानीय सरकारी एजेंसियों के जरिये अनाज खरीदकर फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) और नेफेड के पास उसका भंडारण करती है। फिर इन्हीं स्टोर्स से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिये गरीबों तक सस्ते दामों में अनाज पहुंचाया जाता है।