सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन नहीं चाहते, लेकिन कानून का पालन जरूरी- रविशंकर प्रसाद
केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए नए IT नियमों को लेकर सरकार और सोशल मीडिया साइटों के बीच घमासान चल रहा है। विशेषकर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर नियमों की पालना में विफल रही है। इसी बीच केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को मामले में कहा है कि सरकार किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन के पक्ष में नहीं है, लेकिन कानूनों की पालना तो सभी करनी ही होगी।
क्या है नई गाइडलाइंस का पूरा मामला?
केंद्र सरकार ने इस साल 25 फरवरी को नए IT नियम जारी किए थे। इनमें कंपनियों को भारत में अपने अधिकारी और ऑफिस का पता, शिकायत सुनने वाले अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, सबसे पहले मैसेज भेजने वाले की जानकारी देना, शिकायत रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री हटाने जैसे नियम शामिल थे। सभी कंपनियों को इन नियमों को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था।
नियमों का पालन न करने पर ट्विटर को भेजे गए कई नोटिस
ट्विटर को छोड़ बाकी सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इन नियमों का पालन करते हुए अधिकारियों की नियुक्ति कर दी, लेकिन ट्विटर ने इसमें टाल-मटोल की जिसके बाद सरकार ने 26 मई को उसे पहला नोटिस भेजा। ट्विटर को आखिरी नोटिस 5 जून को भेजा गया। 6 जून को ट्विटर ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उसने कुछ अधिकारियों की नियुक्त कर दी है और एक हफ्ते में मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति कर दी जाएगी।
सरकार ने टि्वटर से वापस लिया मध्यस्थ का दर्जा और कानूनी सुरक्षा
सरकार ने मामले में बुधवार को टि्वटर से सोशल मीडिया मध्यस्थ का दर्जा और कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा का अधिकार को वापस ले लिया है। इसका मतलब है कि अब ट्विटर को यूजर्स के कंटेट के होस्टिंग प्लेटफॉर्म की जगह एक पब्लिशर माना जाएगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को करना होगा कानूनों का पालन- प्रसाद
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि सरकार किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है। यदि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित आधी आधी सरकार ट्विटर पर है तो यह जाहिर होता है कि सरकार निष्पक्ष हैं, लेकिन नियम तो नियम है। ऐसे में सभी प्लेटफॉर्म्स को नए IT नियमों का पालन करना ही होगा। उन्होंने कहा कि नियमों की पालना से दोनों पक्षों का काम आसान हो जाएगा।
"हम व्हाट्सऐप सभी मैसेजों का विवरण नहीं चाहते हैं"
व्हाट्सऐप के मामले में केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा, "हम सभी मैसेजों का विवरण नहीं चाहते हैं। यह मेरा शब्द है कि सभी आम व्हाट्सऐप यूजर इसका उपयोग जारी रखें, लेकिन यदि कोई कंटेंट वायरल होता है और उसकी वजह से मॉब लिंचिंग, दंगा, हत्या, महिलाओं को बिना कपड़े के दिखाने या फिर बच्चों का यौन शोषण होता है तो इन सीमित कैटगरी में आपसे यह पूछा जाएगा कि यह दुस्साहस किसने किया है।"
लोगों और देशहित में जरूरी होगी पूछताछ- प्रसाद
केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि यदि कोई ऐसा मैसेज जो सीमापार से आया है, लेकिन भारत में किसने इसने शुरू किया, ये सभी चीजें तो पूछी ही जाएंगी। यह लोगों और देश के हित में है। उन्होंने आगे कहा कि जब वाशिंगटन के कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) पर हंगामा हुआ तो टि्वटर ने राष्ट्रपति सहित कई लोगों के अकाउंट बंद कर दिए, लेकिन किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर धावा बोला गया तो वह स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति थी।
भारत का गौरव है लाल किला- प्रसाद
केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि यदि कैपिटल हिल अमेरिका का गौरव है तो लाल किला भारत का गौरव है जहां प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आप लद्दाख के कुछ हिस्सों को चीन के हिस्से के रूप में दिखाते हैं। इसे हटाने के लिए आपको एक पखवाड़े का समय लगता है। यह पूरी तरह से अनुचित है। एक लोकतंत्र के रूप में भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता की रक्षा करने के लिए समान रूप से हकदार है।
आखिर क्यों नए IT नियमों के खिलाफ है टि्वटर और व्हाट्सऐप?
नए IT नियमों के तहत यदि किसी मैसेज हानिकारक माना जाता है तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सबसे पहले उस मैसेज को जारी करने वाले शख्स का खुलासा करना होगा। व्हाट्सऐप ने इस नियमों को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था और इसे उसकी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन नीति का उल्लंघन बताया था। इसी तरह सरकार ने सरकार से साथ मिलकर काम करने की बात कही है, लेकिन नियमों का लागू नहीं किया।