प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट आज दे सकती है नए तीन तलाक बिल को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट आज नए तीन तलाक बिल को मंजूरी दे सकती है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे 17 जून से शुरू होने जा रहे संसद सत्र में पेश किया जाएगा। बिल फरवरी में तीन तलाक पर लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा। मोदी सरकार के इस महत्वाकांक्षी बिल में तत्काल तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत को कानूनी अपराध बनाते हुए 3 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
हो सकता है संसद में पेश होने वाला पहला बिल
तीन तलाक बिल पहला बिल हो सकता है जो मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में संसद में पेश करेगी। दोबारा कानून मंत्री बनने के बाद रविशंकर प्रसाद ने इस ओर इशारा भी किया था और कहा था कि तीन तलाक उनके घोषणापत्र का हिस्सा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शुरू हुई बात
अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तत्काल तीन तलाक को अवैध घोषित करते हुए सरकार को इस पर कानून लाने को कहा था। सरकार मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) कानून नाम से तीन तलाक पर बिल लाई। दिसंबर में 4 घंटे की बहस के बाद बिल लोकसभा में पास हो गया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों की कम सीटें होने के कारण इस राज्यसभा में पास नहीं करा पाई।
एक साल में 3 अध्यादेश लाई सरकार
सरकार भले ही तीन तलाक बिल को संसद में पास नहीं करा पाई हो, लेकिन इस पर अध्यादेश पर अध्यादेश लाती रही। सरकार पिछले एक साल में तीन तलाक पर 3 बार अध्यादेश ला चुकी है। सबसे पहला अध्यादेश सितंबर 2018 में लाया गया, जिसके बाद इसे दो बार और लाया गया। अंतिम अध्यादेश लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लाया गया और 21 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद इसे जारी किया गया।
मुस्लिम समुदाय में भी तत्काल तीन तलाक के प्रचलित रूप को माना जाता है गलत
भाजपा तीन तलाक बिल को मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए बेहद जरूरी कानून बताती है, जिन्हें मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों में व्याप्त इस सामाजिक बुराई का सामना करना पड़ता है। बता दें कि तत्काल तीन तलाक में पति फोन या मैसेज पर तीन बार तलाक बोल कर ही पत्नी को तलाक दे देते हैं। हालांकि मुस्लिम धर्मगुरू खुद इसे गलत मानते हुए कहते हैं है कि यह तीन तलाक लेने का सही तरीका नहीं है।