राफेल मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गलत प्रयोग करने के लिए राहुल ने जताया खेद
राफेल सौदे में दोबारा सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत तरीके से पेश करने वाले अपने बयान के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने खेद प्रकट किया। राहुल ने कहा है कि उन्होंने राजनीतिक प्रचार के आवेश में आकर यह बयान दिया था, जिसका विरोधियों ने गलत फायदा उठाया और वह आगे से ऐसा नहीं करेंगे। आइए जानते हैं कि राहुल का किस बयान के लिए और क्यों माफी मांगनी पड़ी।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को राफेल सौदे पर दोबारा सुनवाई करने के लिए दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार किया था। प्रशांत भूषण समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने नए सबूतों के आधार पर दोबारा सुनवाई की मांग की थी। मोदी सरकार ने इन दस्तावेजों को 'चोरी' का बताते हुए याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी। अंत में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने नए सबूतों को स्वीकार करते हुए दोबारा सुनवाई करने का फैसला किया था।
इस टिप्पणी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मांगी सफाई
फैसले के बाद राहुल गांधी ने कहा था, "सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि चौकीदार चोर है।" भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने उनके बयान को कोर्ट की अवमानना बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि राहुल ने अपने विचारों को कोर्ट के फैसले को तौर पर पेश किया और लोगों के मन में गलत धारणा पेश की। कोर्ट ने राहुल से मामले में 22 अप्रैल तक सफाई पेश करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने प्रधानमंत्री को लेकर कुछ नहीं कहा
राहुल ने आज दायर अपनी सफाई में कहा है, "मैं मीडिया से राजनीतिक बातचीत और सार्वजनिक भाषणों में कोर्ट के हवाले से कोई भी विचार, अवलोकन और निष्कर्ष पेश नहीं करूंगा, जब तक कि कोर्ट अपनी तरफ से ऐसी कोई बात नहीं कहती।" इससे पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने अपने फैसले में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर टिप्पणी नहीं की थी और इसे गलत तरीके से पेश किया गया।
रविशंकर की चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग
कोर्ट की स्पष्टता के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल की टिप्पणी को आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा। इस दौरान उन्होंने राहुल के बयान की वीडियो क्लिप भी चलाई।