लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान जारी, प्रधानमंत्री मोदी समेत कई बड़े उम्मीदवार मैदान में
लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण के तहत 7 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की 59 सीटों पर मतदान जारी है। इस दौरान 10 करोड़ से ज्यादा मतदाता लगभग 1 लाख मतदान केंद्रों पर वोट डालकर 918 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। सातवें चरण में उत्तर प्रदेश और पंजाब की 13-13, पश्चिम बंगाल की 9, मध्य प्रदेश और बिहार की 8-8, हिमाचल प्रदेश की 4, झारखंड की 3 और चंडीगढ़ सीट पर मतदान हो रहा है।
हरियाणा के असावटी में दोबारा हो रहा मतदान
हरियाणा के फरीदाबाद के असावटी मतदान केंद्र पर दोबारा मतदान हो रहा है। चुनाव आयोग ने 12 मई को छठवें चरण के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करते भाजपा के पोलिंग एजेंट का वीडियो सामने आने के बाद यहां दोबारा चुनाव कराने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश में भाजपा और गठबंधन के बीच लड़ाई
सातवें चरण में कई हाई प्रोफाइल सीटों पर मतदान होगा और उत्तर प्रदेश लड़ाई का मुख्य केंद्र है। यहां जिन 13 सीटों पर मतदान हो रहा है, भाजपा और उसके सहयोगियों ने पिछले लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर कब्जा किया था। हालांकि, इस बार वाराणसी सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर उसकी राह आसान नजर नहीं आ रही है। सपा-बसपा गठबंधन और उसका जातीय समीकरण भाजपा के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन कर उभरा है।
वाराणसी से मोदी की राह आसान
अगर सीटों की बात करें तो वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में हैं और उन्हें इस बार भी कोई खास टक्कर मिलने की उम्मीद कम है। पिछली बार उन्होंने 3.7 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी और इस बार वह इस अंतर को बढ़ाना चाहते हैं। वहीं, विपक्ष का जोर उनकी जीत के अंतर को कम करके एक नैतिक जीत दर्ज करने पर है। उनके खिलाफ सपा की शालिनी यादव और कांग्रेस के अजय राय मैदान में हैं।
गोरखपुर बचाना भाजपा की प्रतिष्ठा का सवाल
सातवें चरण की दूसरी सबसे अहम सीट है गोरखपुर। गोरखपुर को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है और इसलिए सीट पर जीत दर्ज करना उनके और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। पिछले साल सीट पर हुए उपचुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके लिए लड़ाई कितनी मुश्किल होने जा रही है। पार्टी ने भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन को अपना उम्मीदवार बनाया है।
जातीय समीकरण गठबंधन के पक्ष में
रवि किशन अपने नाच-गानों, डायलॉग्स और स्टार पॉवर की वजह से भीड़ खींचने में तो कामयाब रहे हैं, लेकिन ये भीड़ वोटों में बदलती है या नहीं, ये देखना होगा। वहीं, सपा ने उनके मुकाबले राम भुवाल निषाद को मैदान में उतारा है। पार्टी का लक्ष्य उनके सहारे भाजपा से नाराज चल रहे निषाद समुदाय को अपनी ओर खींचने का है। जातीय समीकरण भी सपा-बसपा गठबंधन के पक्ष में है।
इन दिग्गजों की किस्मत भी दांव पर
यूपी से चुनावी मैदान में उतरे अन्य दिग्गजों की बात करें तो चंदौली सीट से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे मैदान में हैं और उनकी राह बेहद मुश्किल नजर आ रही है। चंदौली सीट पर 6 लाख से ऊपर यादव और दलित वोट हैं, जो गठबंधन के पक्ष में जाने की उम्मीद है। वहीं, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा भी गाजीपुर सीट पर कुछ ऐसी ही स्थिति में हैं और बसपा उम्मीदवार अफजल अंसारी उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल की राह बेहद मुश्किल
अन्य केंद्रीय मंत्री और अपना दल नेता अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से मैदान में हैं। पूर्व भाजपा सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर ने कांग्रेस प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी को समर्थन देकर उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
देवरिया में भारी पड़ सकता है 'जूता कांड'
सातवें चरण में देवरिया सीट पर भी मतदान होगा, जहां के सांसद शरद त्रिपाठी अपनी ही पार्टी के विधायक को जूते से पीटने के कारण चर्चा में आए थे। इस कांड की वजह से पार्टी की काफी फजीहत हुई थी। पार्टी ने शरद का टिकट काटते हुए उनकी जगह उनके पिता रामपति राम त्रिपाठी को खड़ा किया। ठाकुर समुदाय अपने विधायक राकेश सिंह के अपमान का बदला लेने के लिए भाजपा के खिलाफ वोट दे सकते हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा बनाम रविशंकर प्रसाद
अन्य राज्यों की हाई प्रोफाइल सीटों की बात करें तो बिहार की पटना साहिब सीट से कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ मैदान में हैं। सिन्हा ने 2009 और 2014 में भाजपा की टिकट पर जहां से जीत दर्ज की थी। लेकिन पार्टी हाईकमान से खराब रिश्तों के कारण वह बागी बन गए और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए। इस मुकाबले पर सबकी नजरें रहेंगी।
चंडीगढ़ से किरण खेर मैदान में
केंद्र शासित चंडीगढ़ सीट से भाजपा सांसद किरण खेर फिर से मैदान में हैं। सीट पर उनका कांग्रेस के पवन कुमार बंसल और आम आदमी पार्टी (AAP) के हरमोहन धवन के साथ त्रिकोणीय मुकाबला है। पिछले चुनाव में उन्होंने AAP की गुल पनाग और बंसल को हराते हुए जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही 1999 से सीट पर चले आ रहे कांग्रेस और बंसल के राज को उन्होंने खत्म किया था।
गुरदासपुर में सनी देओल की 'राष्ट्रवादी छवि' दांव पर
पंजाब की गुरदासपुर सीट से हाल ही में भाजपा में शामिल हुए अभिनेता सनी देओल मैदान में हैं। भाजपा और सनी फिल्मों से बनी उनकी राष्ट्रवादी छवि का फायदा चुनाव में उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। 2014 में अभिनेता विनोद खन्ना ने भाजपा के लिए सीट जीती थी, लेकिन 2017 में उनके देहांत के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस नेता सुनील जाखर ने इसे छीन लिया। जाखर फिर से सनी के खिलाफ मैदान में हैं।