'सुकून की सवारी' पर चोरों का धावा, पांच साल में 20 अरब रुपये के वाहन चोरी!
आधुनिकता की भागदौड़ में सुकून भरी यात्रा के लिए लोग पाई-पाई जोड़कर वाहन खरीदते हैं, लेकिन चोर उनके सुकून पर धावा बोल रहे हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चोरों ने गत पांच साल में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उसके आस-पास के चार राज्यों से अनुमानित 20 अरब रुपये से अधिक की लागत के चार लाख वाहन चोरी किए हैं। पुलिस की वेबसाइट जिपनेट पर उपलब्ध इन राज्यों में हुई वाहन चोरी के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
प्रतिदिन औसतन 222 वाहन हुए चोरी
वेबसाइट के डाटा के अनुसार, 1 जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, उससे सटे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्य में कुल चार लाख छह हजार 503 दुपहिया व चौपहिया वाहन चोरी हुए हैं। इसके हिसाब से प्रतिमाह औसतन 6,775 और प्रतिदिन औसतन 222 वाहन चोरी हुए हैं। ऐसे में यदि पूरे देश के आकड़़ों पर गौर किया जाए तो वाहन चोरी का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आ सकता है।
देश की राजधानी दिल्ली वाहन चोरी में अव्वल
वाहन चोरी में राजधानी दिल्ली अव्वल स्थान पर है। गत पांच साल में राजधानी में कुल दो लाख 37 हजार 913 वाहन चोरी हुए हैं। यह संख्या उत्तर भारत के इन तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में मिले कुल चोरी हुए वाहनों की संख्या का 59 प्रतिशत हैं। यदि राजधानी दिल्ली में गत पांच सालों में प्रतिदिन चोरी होने वाले वाहनों का औसत निकाला जाए तो यह संख्या 130 वाहन प्रतिदिन की आती है।
तीन राज्यों में चोरी हुए 41 फीसदी वाहन
वाहन चोरी की कुल वारदातों में से जहां 59 प्रतिशत दिल्ली में हुई हैं, वहीं 41 प्रतिशत वारदातें हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में हुई। गत पांच सालों में उत्तर प्रदेश में 64,424, राजस्थान में 52,564 और हरियाणा में वाहन चोरी की 51,602 वारदातें हुई। प्रतिदिन के औसत के हिसाब से उत्तर प्रदेश में 35, राजस्थान में 29 और हरियाणा में 28 वाहन प्रतिदिन चोरी हुए हैं। पुलिस के प्रयासों के बाद भी चोरी नहीं रुक रही है।
दुपहिया वाहनों पर होती है चोरों की पैनी नजर
इन चार राज्यों में गत पांच साल में चोरी हुए कुल चार लाख छह हजार 503 वाहनों में से करीब 85 प्रतिशत यानी करीब तीन लाख 45 हजार दुपहिया वाहन थे, जबकि 15 प्रतिशत यानी करीब 61,000 चौपहिया वाहन थे। इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि चोरों की दुपहिया वाहनों पर पैनी नजर होती है। इसका प्रमुख कारण है कि दुपहिया वाहनों को चोरी के बाद छिपाना और बेचना आसान होता है, जबकि चौपहिया वाहनों में मुश्किल होती है।
ये है चोरी हुए वाहनों की अनुमानित कीमत
चोरी हुए एक दुपहिया वाहन की औसत कीमत यदि 25,000 रुपये मानी जाए तो तीन लाख 45 हजार दुपहिया वाहनों की कुल कीमत लगभग आठ अरब 62 करोड़ रुपये आती है। इसी तरह एक चौपहिया वाहन की औसत कीमत दो लाख रुपये मानी जाए तो 61,000 चौपहिया वाहनों की कुल कीमत लगभग 12 अरब रुपये बनती है। ऐसे में पिछले पांच सालों ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अनुमानित 20 अरब रुपये से अधिक के वाहन चोरी हुए।
वाहन चोरी के बाद चोर ऐसे करते हैं कमाई
राजस्थान के भिवाड़ी में तैनात पुलिस निरीक्षक लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि वाहन चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए चोरों ने पूछताछ में बताया था कि वह वाहन को चुराने के बाद तीन-चार दिन तक उसे छिपाकर रखते हैं। इसके बाद चोर उनके कल-पुर्जों को खोलकर वाहन मिस्त्रीयों को बहुत कम दामों में बेच देते हैं। इसी कारण पुलिस को जांच में चोरी के वाहन नहीं मिल पाते हैं। कुछ चोर दूसरे राज्यों में भी इन्हें बेच देते हैं।
ऐसे देते हैं वाहन चोरी की वारदात को अंजाम
जपयुर पुलिस मुख्यालय में तैनात पुलिस निरीक्षक दीपक मीणा ने बताया कि वाहन चोर पहले तो भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खड़े वाहनों पर नजर रखते हैं। वह ध्यान रखते हैं कि कौन वाहन खड़ा कर लंबे समय तक नहीं आया। चोरों के पास एक मास्टर चाबी होती है, जिसकी मदद से वह महज 10 सेकंड में ही वाहन का हैंडल लॉक तोड़कर उसे ले जाते हैं। चोर विशेषकर पर्याप्त पेट्रोल से भरी बाइकों को ही अपना निशाना बनाते हैं।
संपर्क सड़के बनी पुलिस के जी का जंजाल
वाहन चोरी में शहरों से निकली संपर्क सड़के पुलिस के जी का जंजाल बनी हुई हैं। जयपुर में तैनान अतिरिक्ति पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र त्यागी की माने तो संपर्क सड़कों के कारण वाहर चोरी के बाद चोर पकड़ में नहीं आते। मनरेगा के तहत शहरी क्षेत्रों से राजमार्ग व राष्ट्रीय राजमार्गों से दर्जनों सम्पर्क सड़कें जोड़ दी गई हैं। ऐसे में चोर वाहन चुराने के बाद उन्हीं सम्पर्क सड़कों व कच्चे रास्तों का उपयोग करते हुए निकल जाते हैं।