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यंग इंडिया केस: सोनिया-राहुल के खिलाफ फिर खुल सकता है 100 करोड़ रुपये आयकर का मामला

यंग इंडिया केस: सोनिया-राहुल के खिलाफ फिर खुल सकता है 100 करोड़ रुपये आयकर का मामला

Nov 16, 2019
11:16 am

क्या है खबर?

सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आयकर ट्रिब्यूनल से झटका लगा है। ट्रिब्यूनल ने गांधी परिवार के यंग इंडिया को चैरिटेबल ट्रस्ट बताने के दावे को खारिज कर दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह व्यवसायिक ट्रस्ट है और इसके द्वारा ऐसा कोई काम नहीं किया गया जो चैरिटेबल श्रेणी में आता हो। राहुल और सोनिया इस ट्रस्ट के निदेशक हैं। इस फैसले के बाद उनके खिलाफ 100 करोड़ रुपये का आयकर का मामला फिर से खुल सकता है।

शेयरधारक

सोनिया-राहुल के अलावा कांग्रेस के बड़े नेता भी शेयरधारक

ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान कहा कि कांग्रेस ने यंग इंडिया को कर्ज दिया था, जिससे उसने एसोसिएडेट जर्नल लिमिटेड (AJL) के साथ मिलकर व्यापार किया था। AJL नेशनल हेराल्ड अखबार का संचालन करता है। कांग्रेस ने 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि यंग इंडिया ट्रस्ट एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। सोनिया और राहुल के पास इसके 36 फीसदी शेयर है। उनके अलावा मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिज भी इसके शेयरधारक हैं।

नोटिस

जनवरी में राहुल और सोनिया को मिला था नोटिस

जनवरी में आयकर विभाग ने सोनिया और राहुल को नोटिस जारी कर 100 करोड़ रुपये कर चुकाने को कहा था। विभाग के अनुसार, गांधी परिवार के रिटर्न में 300 करोड़ रुपये के आयकर की जानकारी नहीं थी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस अगस्त मे कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और AJL के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दायर की थी। हुड्डा पर नियमों के खिलाफ जाकर AJL को जमीन अलॉट करने का आरोप है।

जमीन आवंटन मामला

क्या था जमीन आवंटन का पूरा मामला?

साल 1982 में AJL को पंचकूला में जमीन इस शर्त पर अलॉट की गई थी कि कंपनी छह महीनों के भीतर यहां निर्माण शुरू कर देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साल 1992 में प्रशासन ने यह जमीन अपने अधीन ले ली। इसके बदले में 10 फीसदी कटौती कर बाकी राशि कंपनी को लौटा दी। इसके खिलाफ AJL ने राजस्व विभाग में अपील की। हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने AJL को फिर से जमीन अलॉट की थी।

मामला

2005 में की गई जमीन अलॉट

इसके बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने पर 2005 में फिर से यह जमीन AJL को अलॉट कर दी गई थी। तब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि 1982 की दर के हिसाब से जमीन अलॉट नहीं की जा सकती। इस आपत्ति को दरकिनार करते हुए प्रशासन ने 2005 में 1982 की दर पर यह जमीन AJL को अलॉट कर दी थी। यह जमीन करीब 3,360 वर्गमीटर थी।