यूरोपीय संघ के सांसदों ने तैयार किया CAA के खिलाफ प्रस्ताव, मोदी सरकार पर तीखा हमला
यूरोपीय संघ के 150 से अधिक सांसदों ने भारत के नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ एक पांच पेज का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें लिखा गया है कि इस कानून के कारण भारत में नागरिकता निर्धारित करने के तरीकों में खतरनाक बदलाव आया है। CAA-NRC पर कड़ी टिप्पणी करते हुए प्रस्ताव में लिखा गया है कि इससे दुनिया का सबसे बड़ा राज्यविहीनता संकट और अपार मानवीय पीड़ा पैदा होगी। इस प्रस्ताव को अगले हफ्ते यूरोपीय संसद में पेश किया जाएगा।
क्या होती है राज्यविहीनता?
जब कोई व्यक्ति दुनिया के किसी भी देश का नागरिक नहीं रहता तो उसे राज्यविहीनता कहा जाता है। प्रस्ताव में इसके जिक्र का मतलब है कि CAA-NRC के जरिए बड़ी संख्या में लोगों की भारतीय नागरिकता जा सकती है और वो राज्यविहीन हो सकते हैं।
अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने के लिए मोदी सरकार पर निशाना
यूरोपीय संघ (EU) के सांसदों के प्रस्ताव में मोदी सरकार पर राष्ट्रीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव, शोषण और अत्याचार करने और सरकार के खिलाफ किसी भी विपक्ष, मानवाधिकार समूहों और पत्रकारों को खामोश करने का आरोप लगाया है। इस प्रस्ताव में EU से भविष्य में भारत के साथ होने वाले किसी भी व्यापार समझौते में मानवाधिकार को लेकर एक मजबूत शर्त जोड़ने और उस पर अमल सुनिश्चित करने को कहा गया है।
इन बातों पर व्यक्त की गई गंभीर चिंता
इसके अलावा प्रस्ताव में इस बात पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई है कि भारत ने लाखों मुस्लिमों से नागरिकता के उनके बराबरी के अधिकार को छीनने के लिए पर्याप्त कानूनी आधार तैयार कर लिया है। सांसदों के मुताबिक, CAA यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के अनुच्छेद 15 पर भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन करता है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि किसी से भी उसकी नागरिकता मनमाने ढंग से नहीं छीनी जानी चाहिए।
प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर का भी जिक्र
अपने प्रस्ताव में सांसदों ने मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के हाई कमिश्नर (OHCHR) के उस बयान का भी जिक्र किया है जिसमें CAA को भेदभाव करने वाला कानून बताया गया था। इसके अलावा प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का भी जिक्र किया गया है और EU और उसके सदस्य देशों से कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों पर अमल को बढ़ावा देने की मांग की गई है।
दो बार जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुके हैं EU संबंधित समूह
बता दें कि पहले अक्टूबर और फिर जनवरी में EU से संबंधित दो समूह जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुके हैं। पहले समूह का दौरा अनाधिकारिक था। देश के सांसदों की बजाय EU सांसदों को जम्मू-कश्मीर ले जाने के लिए सरकार की जमकर आलोचना हुई थी।
अगर पारित हुआ प्रस्ताव को भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को होगा बड़ा नुकसान
CAA पर EU सांसदों के इस प्रस्ताव को अगले हफ्ते से ब्रेसेल्स में शुरू होने जा रहे यूरोपीय संसद के सत्र में पेश किया जा सकता है। अगर ये प्रस्ताव पारित होने में कामयाब रहता है तो CAA के कारण भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को ये एक और बड़ा झटका होगा। पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत के गिरते लोकतंत्र की चर्चा है और हाल ही में 'द इकॉनोमिस्ट' ने 'इनटॉलरेंट इंडिया' के नाम से लेख छापा था।