
अनाथ हुए बच्चों का डाटा अपलोड नहीं करने वाले राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
क्या है खबर?
कोरोना महामारी ने देश में जमकर कहर बरपाया है। इसके कारण अब तक हजारों बच्चे अनाथ हो गए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्यों को अनाथ हुए बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक कदम उठाने तथा अनाथ हुए बच्चों का डाटा स्वराज वेबसाइट पर अलोड करने के निर्देश दिए थे।
हालांकि, कई राज्यों ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। इसको लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को फटकार लगाई है।
अनाथ
कोरोना महामारी से प्रभावित हुए करीब 30,000 बच्चे
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में बताया गया था कि इस साल अप्रैल से लेकर 5 जून तक 3,261 बच्चे अनाथ हुए हैं।
इसी तरह 26,176 के माता-पिता में से किसी एक की मौत हुई है और 274 बच्चों को उनके माता-पिता ने छोड़ दिया है।
आयोग ने बताया था कि कुल 30,071 बच्चों को देखभाल और सरंक्षण की जरूरत है, जिनमें से 15,620 लड़के, 14,447 लड़कियां और चार ट्रांसजेंडर्स हैं।
निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे अनाथ बच्चों का डाटा अपलोड करने के निर्देश
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को राज्यों को मार्च 2020 के बाद से कोरोना महामारी में अनाथ या प्रभावित हुए बच्चों का डाटा स्वाराज पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे।
इसके अलावा कोर्ट ने अनाथ बच्चों के अधिकारों की रक्षा और बिना सरकारी आदेश के भी उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने राज्यों से कहा कि यदि वह बच्चों की पीड़ा को समझेंगे और तुरंत स्थिति का समाधान हो जाएगा।
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने डाटा अपलोड नहीं करने वाले राज्यों को लगाई फटकार
इंडिया टुडे के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जम्मू-कश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों ने अनाथ हुए बच्चों का पर्याप्त डाटा अपलोड नहीं किया।
इसको लेकर मंगलवार को हुई सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्यों को फटकार लगाते हुए डाटा अपलोड नहीं करने का कारण पूछा।
इतना ही कोर्ट ने राज्यों के ओर से अब तक अपलोड किए गए डाटा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह डाटा वास्तविकता से दून नजर आ रहा है।
सफाई
पश्चिम बंगाल के वकील ने दी डाटा अपलोड करने की सफाई
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि वेबसाइट पर सही डाटा अपलोड किया गया है और NCPCR को भी इसकी जानकारी भेजी गई है।
इस पर कोर्ट ने कहा, "तो आप कह रहे हैं कि पूरे राज्य में केवल 27 बच्चे अनाथ हुए हैं? क्या आंकड़ा सही है? ऐसा नहीं कि आपके राज्य में कोरोना नहीं था। हम इन आंकड़ों पर विश्वास नहीं कर सकते हैं। हमें समझ में नहीं आता कि राज्य क्यों नहीं समझ रहे हैं।"
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार और तस्करी निदेशालय के सचिव दिया नोटिस
मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बाल अधिकार और तस्करी निदेशालय को जिम्मेदार ठहराते हुए सचिव को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अनाथ हुए बच्चों का सही डाटा जुटाने की जिम्मेदारी विभाग की थी।
टिप्पणी
"इस तरह से डाटा को सत्यापित करने में सालों लग जाएंगे"
पश्चिम बंगाल के वकील ने कहा कि राज्य में अनाथ हुए बच्चों की सत्यापन प्रक्रिया अभी जारी है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान न दें कि यह एक सतत प्रक्रिया है। इस तरह से तो सत्यापन में सालों लग जाएंगे और बच्चे लाचार रह जाएंगे।
इसी तरह कोर्ट ने पंजाब सरकार के डाटा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जिला स्तर पर CWC के समक्ष पेश किए गए डाटा पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
दलील
पंजाब सरकार के वकील ने दी 73 बच्चों के अनाथ होने की जानकारी
पंजाब सरकार के वकील ने तर्क दिया, "हमारे विभाग को यकीन है कि हमारे 73 अनाथ बच्चे हैं। कोरोना से माता-पिता को खोने वाले कुल 33 बच्चों का डाटा अपलोड किया गया है। शेष 40 बच्चों के माता-पिता की मौत अन्य कारणों से हुई है।"
इस पर कोर्ट ने पंजाब सरकार को अनाथ हुए बच्चों की जमीनी स्तर पर जांच करने के निर्देश दिए।
इसी तरह जम्मू और कश्मीर के अधिकारियों को अपडेट डाटा जल्द अपलोड करने के निर्देश दिए।