पंजाब: भाजपा विधायक के साथ किसानों ने की हाथापाई, कपड़े फाड़े
पंजाब के अबोहर से भाजपा विधायक अरुण नारंग को शनिवार को किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। मलोट में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे नारंग को किसानों ने घेर लिया और कथित तौर पर हाथापाई की। इस घटना में नारंग के कपड़े फट गए और उन्हें बड़ी मुश्किल से सुरक्षित जगह पर ले जाया गया। कांग्रेस, भाजपा, शिरोमणि अकाली दल और संयुक्त किसान मोर्चा ने इस घटना की निंदा की है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
नारंग पर फेंकी गई काली स्याही
नारंग अन्य स्थानीय नेताओं के साथ मलोट के भाजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे थे। इसकी सूचना मिलते ही कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान भाजपा कार्यालय पहुंच गए और विरोध करने लगे। जैसे ही नारंग पहुंचे, वहां मौजूद किसानों ने उन पर काली स्याही फेंक दी। इसके कुछ छीेंटे उनकी गाड़ी पर भी लगे। हाथों में किसान संगठनों के झंडे लिए प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वो नारंग को प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने देंगे।
कथित तौर पर नारंग के साथ हुई हाथापाई
जानकारी के अनुसार, नारंग जैसे ही गाड़ी से उतर कर कार्यालय की तरफ जाने लगे, किसानों ने उन्हें घेर लिया और कथित तौर पर उनके साथ हाथापाई की। पुलिस उन्हें बचाते हुए आगे ले जाने लगी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनके कपड़े फाड़ दिए। बाद में पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाते हुए उन्हें पास मौजूद एक दुकान में पहुंचाया, लेकिन तब तक नारंग का कुर्ता पूरी तरह फट चुका था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
एक पुलिसकर्मी को आई चोट, FIR दर्ज
नारंग ने समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए बताया कि लोगों ने उन्हें मुक्के मारे और उनके कपड़े फाड़ दिए। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है और आरोपियों की तलाश जारी है। मलोट के DSP जसपाल सिंह ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदर्शनकारी किसान नारंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस न करने देने पर अड़े थे। इस घटना में एक पुलिस अधिकारी को भी मामूली चोट आई है।
भाजपा का सरकार पर गंभीर आरोप
शिरोमणि अकाली दल ने नारंग पर हमले की निंदा करते हुए विधायक की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की असफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए पारदर्शी जांच की मांग की है। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे पंजाब की कांग्रेस सरकार का हाथ है। उन्होंने कहा कि भाजपा की आवाज को दबाने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ऐसे हमलों को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
कांग्रेस ने हमले को बताया दुर्भाग्यपुर्ण घटना
पंजाब कांग्रेस प्रमुख ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसे बर्ताव की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है और ऐसी घटनाओं से किसान आंदोलन कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी बात रखने को अधिकार है।
संयुक्त किसान मोर्चो की शांति बनाए रखने की अपील
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल सिंह ने आंदोलनकारियों से अनुशासित रहने और शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने मलोट की घटना की जिक्र करते हुए विधायक के साथ इस तरह के बर्ताव का खेद है और इसकी निंदा करते हैं। बता दें, इससे पहले भी कई भाजपा नेताओं के किसान के उग्र विरोध का सामना करना पड़ा है।
किसान विरोध क्यों कर रहे हैं?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।