श्रमिक एक्सप्रेस चलाने के लिए अब प्रवासी मजदूरों के गृह राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं
प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों से संबंधित नियमों में रेलवे ने एक बड़ा बदलाव किया है। रेलवे ने कहा कहा है कि श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने के लिए गंतव्य राज्य यानि जिस राज्य में ट्रेन भेजी जा रही है, उनकी सहमति की जरूरत नहीं होगी। पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों ने प्रवासी मजदूरों की वापसी में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, जिसके बाद ये फैसला लिया गया है।
एक मई से चल रही हैं श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें
लॉकडाउन के कारण अपने काम की जगहों पर फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए एक मई को केंद्र सरकार ने 'श्रमिक एक्सप्रेस' नाम से विशेष ट्रेनें चलाने का आदेश दिया था। ये ट्रेनें राज्यों की मांग पर चलाई जा रही हैं और इनके लिए जिस राज्य से मजदूर जा रहे हैं और जिस राज्य में उन्हें भेजा जा रहा है. दोनों की मंजूरी होना अनिवार्य था।
कुछ राज्यों ने की ट्रेनों की मंजूरी देने में आनाकानी
इस बीच केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों पर श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए मंजूरी न देने का आरोप लगाया। इससे उन राज्यों में प्रवासी मजदूरों का बड़ा जमावड़ा हो गया जिनमें वे काम करते हैं। इसके अलावा गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी इन ट्रेनों के उनके राज्य में रुकने का विरोध किया है। उनका कहना है कि यात्रियों की वापसी के साथ राज्य में नए मामले सामने आ रहे हैं।
सुबह गृह मंत्रालय ने राज्यों से ज्यादा ट्रेनें चलाने को कहा, अब रेलवे ने बदले नियम
इस स्थिति को देखते हुए आज सुबह ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से अधिक श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेने चलाने को कहा था। मंत्रालय ने इन ट्रेनों के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी जारी की थी। अब रेलवे ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए कहा है, "श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने के लिए गंतव्य राज्यों की सहमति नहीं चाहिए होगी... नए SOP के बाद स्थिति यह है कि गंतव्य राज्यों की सहमति अनिवार्य नहीं है।"
पैदल भी वापस लौट रहे प्रवासी मजदूर
इस बीच लाखों प्रवासी मजदूर अभी भी पैदल ही अपने घरों की तरफ जा रहे हैं। मजदूरों के मुकाबले श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों की कम संख्या और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इसका एक अहम कारण है। पैदल लौट रहे कई मजदूर दुर्घटनाओं का शिकार हुआ हैं और महाराष्ट्र के औऱंगाबाद में ऐसे ही 16 मजदूर एक मालगाड़ी के नीचे कटकर मर गए। वहीं उत्तर प्रदेश के औरैया में दो वाहनों की टक्कर में 26 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी।
मजदूरों की वापसी के साथ बढ़ रहे राज्यों में मामले
केंद्र सरकार के अनुसार, अब तक करीब 20 लाख मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है जिनमें से अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा से संबंध रखते हैं। मजदूरों की वापसी के साथ इन राज्यों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ये कितनी बड़ी समस्या बन सकती है, इसकी एक बानगी बिहार से मिलती है जहां वापस मजदूरों में से जितने मजदूरों की टेस्टिंग की गई, उनमें से आठ प्रतिशत को कोरोना से संक्रमित पाया गया है।