क्या CAA विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के लिए PFI ने दिए थे 120 करोड़ रुपये?
क्या है खबर?
नागरिका संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में हुई हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर प्रवर्तन निदेशान (ED) ने बड़ा खुलासा किया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ED ने दावा किया है कि देश में हुए हिंसक प्रदर्शनों एवं पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के बीच सीधा संबंध था और प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा तथा तोड़फोड़ के लिए PFI ने ही 120 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध कराया था।
ED की इस रिपोर्ट से सरकार सकते में आ गई है।
खुलासा
73 सिंडिकेट बैंकों में डाला गया था पैसा
ED ने गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में बताया है कि CAA के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीछे कट्टरपंथी लोगों की एक लॉबी और PFI का सीधा हाथ था।
हिंसा कराने के लिए PFI ने 4 दिसंबर से 6 जनवरी के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 73 सिंडिकेट बैंकों में 120 करोड़ रुपये जमा कराए थे। यह राशि बैंकों में पहचान छिपाने के लिए 5,000 से 49,000 रुपये के रूप में जमा कराई गई थी।
जानकारी
50,000 से कम के लिए नहीं होती पैन कार्ड की जरुरत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमानुसार बैंकों में 50,000 से अधिक की राशि जमा कराते समय जमाकर्ता की पहचान के लिए पैन कार्ड की कॉपी जमा कराना आवश्यक है। इससे कम राशि पर इसकी जरूरत नहीं होती है।
दावा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के खाते में भी पैसा जमा होने का दावा
ED की रिपोर्ट के अनुसार कुछ राशि को निवेश फर्मों के खातों में जमा कराया गया था। वहीं PFI का केस लड़ने वाले कांग्रेस नेता व वकील कपिल सिब्बल को 77 लाख, इंदिरा सिंह को चार लाख और दुष्यंत दवे को 11 लाख रुपये दिए गए।
इसी तरह NIA की चार्जशीट में आरोपी अब्दुल समद के खाते में भी तीन लाख 10 हजार रुपये का भुगतान किया गया है।
ED के अनुसार इन पैसों का इस्तेमाल हिंसा में हुआ है।
प्रतिक्रिया
सिब्बल ने आरोपों को किया खारिज
ED के दावे को कपिल सिब्बल ने खारिज कर दिया है।
उन्होंने कहा कि मुकदमों के भुगतान के अलावा उन्हें किसी भी संगठन ने कोई राशि नहीं मिली है।
IANS को दिए बयान में उन्होंने कहा कि यदि भुगतान मिलता तो वह चेक में हो, क्योंकि वह नकद नहीं लेते हैं। यदि यह राशि बैंक के जरिए आई है तो वह उनके मुकदमों की फीस हो सकती है और फीस लेने में किसी को कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।
बड़ी रकम
PFI की कश्मीर विंग के खाते में आए एक करोड़ 65 लाख रुपये
ED की ओर से गृह मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस दौरान PFI की कश्मीर विंग के खाते में भी एक करोड़ 65 लाख रुपये जमा कराए गए थे।
मामले में जमानत पर छूटे PFI के अध्यक्ष वसीम अहमद ने कहा कि सरकार बिना किसी सबूत के संगठन को बदनाम कर रही है।
मामले में गिरफ्तार किए गए 25 सदस्यों में से 19 को सबूतों के अभाव में जमानत मिल चुकी है।
हिंसा
उत्तर प्रदेश में भड़की हिंसा में दो दर्जन लोगों की हुई थी मौत
CAA के विरोध में गत 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बिजनौर, हापुड़, बहराइच, शामली, डासना सहित 12 जिलों में हिंसा भड़क गई थी। इसमें दो दर्जन लोगों की मौत की खबर सामने आई थी और पांच दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
इसके बाद हिंसा में PFI का हाथ होने की बात उठाई गई थी और 25 लोगों को हिरासत में लिया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी PFI पर बैन की मांग की थी।
बयान
कानून मंत्री ने भी दिया था बयान
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 2 जनवरी को कहा था उत्तर प्रदेश में हिंसा में PFI की भूमिका सामने आ रही है। गृह मंत्रालय सबूतों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय करेगा।
क्या है PFI?
2006 में अस्तित्व में आया था PFI
PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है और यह खुद को पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। यह संगठन पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के रूप में अस्तित्व में आया था।
उस दौरान संगठन ने दिल्ली के राम लीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थी। केरल के कालीकट से निकले इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है।