निर्भया कांड: रिकॉर्ड समय में खारिज हुई दया याचिका, क्या 1 फरवरी को हो पाएगी फांसी?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया के दोषी मुकेश की दया याचिका को महज चार दिनों में खारिज कर दिया। 14 जनवरी को क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद मुकेश ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी। दिल्ली सरकार के बाद गृह मंत्रालय ने भी राष्ट्रपति से इसे खारिज करने की सिफारिश की थी। इसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रपति ने इसे खारिज करते हुए फांसी की सजा बरकरार रखने की बात कही थी। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
महज चार दिन में आया दया याचिका पर फैसला
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को ऐलान किया कि उनकी सरकार ने याचिका को खारिज कर दिया है। अगले 24 घंटों में यह याचिका गृह मंत्रालय में पहुंची और यहां से भी इसे खारिज करने की सिफारिश की गई। गुरुवार शाम तक यह फाइल राष्ट्रपति भवन पहुंच गई। शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति ने इसे खारिज कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि चार दिनों में दया याचिका का खारिज करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
54 दिनों में हुआ था कसाब की याचिका पर फैसला
इससे पहले सबसे कम समय में दया याचिका खारिज होने का रिकॉर्ड 42 दिन का था। 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने 42 दिनों में दया याचिका पर फैसला दिया था। दूसरे नंबर पर सबसे तेजी से फैसला अजमल कसाब की याचिका पर हुआ था। राष्ट्रपति ने 54 दिनों में कसाब की दया याचिका खारिज कर दी थी। कसाब को मई, 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी और 12 नवंबर, 2012 को उसे फांसी पर लटका दिया गया।
संविधान के तहत है राष्ट्रपति के पास याचिका पर विचार करने का हक
राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार है। सरकार किसी याचिका पर अपनी सिफारिश उन्हें भेजती है और फिर राष्ट्रपति अपना फैसला देते हैं। हालांकि, इन पर फैसला लेने के लिए कोई तय समय नहीं है। यह पूरी तरह से राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि वह जल्दी से जल्दी इस पर फैसला लेते हैं या फिर किसी भी वजह से फैसला लेने में देरी करते हैं।
22 जनवरी के लिए जारी हुआ था डेथ वारंट
इस महीने की शुरुआत में मुकेश समेत चार दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए 22 जनवरी का डेथ वारंट जारी हुआ था, लेकिन इससे पहले मुकेश ने दया याचिका दायर कर दी थी। शुक्रवार को इसके खारिज होने के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी किया है, जिसमें इन्हें फांसी देने के लिए 1 फरवरी की तारीख तय की गई है। हालांकि, अभी इस पर संशय है कि चारों को फांसी हो पाएगी।
1 फरवरी को फांसी होने पर संशय क्यों है?
अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा दी गई है और इनमें से एक की भी दया याचिका लंबित है, तो उस पर फैसला आने तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं होगी। निर्भया के दोषियों में से तीन के पास अभी कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। माना जा रहा है कि वो इन विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे। ऐसी स्थिति में चारों को 1 फरवरी को फांसी पर लटकाया जाना मुश्किल दिख रहा है।
किस दोषी के पास अब क्या विकल्प?
फांसी की सजा पाए मुकेश, विनय, पवन और अक्षय में से मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटिशन और मुकेश की दया याचिका खारिज हो चुकी है। अब विनय के पास केवल दया याचिका का विकल्प बचा है। वहीं बाकी दो दोषी अक्षय और पवन के पास अभी भी दो-दो कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। ये दोनों डेथ वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन और उसके खारिज होने पर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकते हैं।