दिल्ली में प्रदूषण: पांच सितारा होटल में बैठकर किसानों को दोष दे रहे लोग- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
दिल्ली में वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि लोग पांच और सात सितारा होटल में बैठकर किसानों को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। यह बात नजरअंदाज की जा रही है कि पाबंदी के बावजूद दिल्ली में पटाखे चलाए गए। कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए। हर चीज न्यायिक आदेश से नहीं हो सकती।
अब इस मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
सुनवाई
"किसानों को दंडित नहीं करना चाहते"
बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकारें किसानों को इस बात के लिए मनाएं कि वो पराली न जलाएं।
बेंच का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा, "हम किसानों को दंंडित नहीं करना चाहते। हमने पहले ही केंद्र से उन्हें मनाने को कहा है कि वो कम से कम एक सप्ताह तक पराली न जलाएं।"
इस दौरान केंद्र और संबंधित राज्यों की सरकारों ने कोर्ट को अब तक उठाए कदमों की जानकारी दी।
सुनवाई
जस्टिस सूर्यकांत ने किया किसानों की परेशानियों का जिक्र
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "हलफनामों में दिए आंकड़ों के बावजूद हमें किसानों की समस्याएं देखनी होंगी कि वो पराली जलाने पर मजबूर क्यों होते हैं? इस बारे में किसी को चिंता नहीं हैं। दिल्ली के पांच सितारा होटलों में सोने वाले लोग किसानों को दोष दे रहे हैं। उनके पास जमीन देखो। क्या वो उन मशीनों को लेने में समर्थ हैं, जिनकी आप बात कर रहे हैं।"
उन्होंने पहले भी किसानों को इंसेटिव देने की बात कही थी।
टिप्पणी
टीवी की बहसें कर रहीं ज्यादा प्रदूषण- कोर्ट
सुनवाई के जब दौरान पराली से होने वाले प्रदूषण को लेकर संबंधित पक्ष एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगे तो CJI रमन्ना ने अधिकारियों की खिंचाई करते हुए कहा, "टीवी पर होने वाली बहसें ज्यादा प्रदूषण कर रही हैं। वहां हर किसी का अपना एजेंडा होता है। हम यहां समाधान तलाश रहे हैं।"
जब दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी एक केंद्रीय एजेंसी के आंकड़े बताने लगे तो कोर्ट ने कहा कि हर समाचार पत्र के अपने आंकड़े हैं।
वायु प्रदूषण
कोर्ट ने कहा- हम प्रदूषण कम करने को लेकर चिंतित
बुधवार को जब सुनवाई शुरू हुई तो सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनको लेकर मीडिया में गलत बयानबाजी हो रही है। मीडिया में बताया जा रहा है कि वो पराली जलाने के मामले में कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं।
इस पर कोर्ट ने कहा कि उसके लिए आंकड़े जरूरी नहीं है और वो वायु प्रदूषण को कम करने के लिए चिंतित है। जब आप सार्वजनिक पद पर होते हैं तो ऐसी आलोचनाएं होती रहती हैं।
जानकारी
केंद्र ने किया वर्क फ्रॉम होम सुविधा देने से इनकार
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि वह अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम सुविधा देने के पक्ष में नहीं है, लेकिन कार पूलिंग का विकल्प हो सकता है। वहीं हरियाणा, दिल्ली और पंजाब ने कोर्ट के आदेशों को मानने की बात कही है।
टिप्पणी
कोर्ट ने कहा- नौकरशाही निष्क्रिय हो गई है
सुनवाई के अंत में CJI रमन्ना ने कहा कि कुछ समय से नौकरशाही निष्क्रिय हो गई है। अधिकारी चाहते हैं कि सारे काम न्यायिक आदेशों से हो जाएं। उनका काम केवल हलफनामों पर हस्ताक्षर करना भर है। कार्यपालिका का यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है।
कोर्ट ने कहा कि वह कोई आदेश जारी नहीं कर रहा है तो इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि प्रदूषण को रोकने के लिए किसी तरह की ढिलाई बरती जाए।