दिल्ली हाई कोर्ट का डिजिटल न्यूज पोर्टल के लिए नए IT नियमों पर रोक से इनकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए नए IT नियमों की डिजिटल न्यूज पोर्टलों द्वारा पालना किए जाने के आदेशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह इस समय IT (मध्यस्थ दिशा निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ताओं की दलीलों से सहमत नहीं है। सरकार की ओर से जारी नोटिस केवल नियमों के क्रियान्वयन के लिए है।
केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को जारी किए थे नए नियम
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से MEITY ने इस साल 25 फरवरी को नए IT नियम जारी करते हुए सभी सोशल कंपनियों को इसके पालन के लिए तीन महीने का समय दिया था। नए नियमों के अनुसार कंपनियों को भारत में अपना ऑफिसर और कॉंटेक्स ऐड्रेस देना, शिकायत सुनने वाले अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, सबसे पहले मैसेज भेजने वाले की जानकारी देना, शिकायत रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री हटाने जैसे नियम शामिल थे।
नए IT नियम के खिलाफ इन्होंने दायर की थी याचिका
बता दें सरकार की ओर से जारी किए गए नए IT नियमों को लेकर 'द वायर' का प्रकाशन करने वाली फॉउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म, क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड और 'ऑल्ट न्यूज' चलाने वाली प्रावदा मीडिया फॉउंडेशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि नए IT नियम डिजिटल न्यूज मीडिया को जबरदस्त और भारी नुकसान पहुंचाने वाले हैं और उनके मीडिया अधिकारों का हनन करते हैं। ऐसे में इन पर रोक लगाई जानी चाहिए।
याचिका में कही चेतावनी दिए जाने की बात
तीनों डिजिटल मीडिया कंपनियों ने याचिका में कहा है कि नए IT नियमों की पालना के लिए उन्हें एक नया नोटिस जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि उन्हें नियमों का पालन करना होगा, नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं ने यह दी है दलील
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि नए IT नियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (ए) के तहत डिजिटल न्यूज पोर्टलों पर न्यूज प्रकाशित करने की कार्यकारी शक्ति का उल्लंघन करते हैं। इसी तरह ये नियम समाचार पोर्टलों को खबरों को हटाने, संशोधन करने और किसी की निंदा करने से राकने के लिए बाध्य करते हैं। सोशल मीडिया के साथ न्यूज पोर्टल को शामिल करना पूरी तरह से अनुचित और तर्कहीन है।
नियमों के क्रियान्वयन के लिए जारी किया गया है नोटिस- हाई कोर्ट
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सी हरि शंकर और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि कंपनियों को नियमों के क्रियान्वयन के लिए नोटिस जारी किया था जिस पर कोई रोक नहीं है। ऐसे में वह नियमों पर रोक लगाने के आदेश पारित करने के लिए याचिकाकर्ताओं की दलीलों से सहमत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने नियमों पर रोक की मांग की है। ऐसे में वह इस तरह के आदेश नहीं दे सकते हैं।
7 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकार्ताओं को सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिस को नियमों के विपरित होने का मामला बनाना चाहिए। यदि वह इस पर सुनवाई चाहते हैं तो कोर्ट मामले को 7 जुलाई को रोस्टर बेंच के सामने प्रस्तुत कर देगी। इसमें जबरन कार्रवाई से सुरक्षा के मांग पर सुनवाई की जाएगी। इसी पर याचिकाकर्ताओं के वकील नित्या रामकृष्णन ने छुट्टी के बाद कोर्ट के खुलने पर मामले को लिस्टेड करने की अपील की है।