नई नीति से है परेशानी तो बंद कर दें व्हाट्सऐप का उपयोग- दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट में सोमवार को मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप की नई डाटा नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें हाई कोर्ट ने यह कहते हुए व्हाट्सऐप को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया कि यह एक निजी ऐप है और यदि इसकी नीतियों से किसी को समस्या है तो वह इसका उपयोग करना बंद कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि व्हाट्सऐप के अलावा अन्य निजी ऐप भी यूजर्स का डाटा स्टोर करते हैं।
व्हाट्सऐप ने किया है अपनी प्राइवेसी नीति में बदलाव
बता दें कि व्हाट्सऐप ने हाल ही में अपनी प्राइवेसी नीति में बदलाव किया है और नई नीति के तहत व्हाट्सऐप अब अपना डाटा फेसबुक के साथ शेयर करेगा। शुरूआत में यूजर्स को इस नीति को स्वीकार करने के लिए 8 फरवरी, 2021 तक का समय दिया गया था, अन्यथा उनका अकाउंट डिलीट या सस्पेंड हो जाएगा। हालांकि यूजर्स के बढ़ते विरोध को देखते हुए कंपनी ने अंतिम तिथि को 15 मई तक के लिए बढ़ा दिया।
निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है नई नीति- याचिकाकर्ता
व्हाट्सऐप की ओर से लाई गई नई नीति के खिलाफ अधिवक्ता चिराग रोहिल्ला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस नीति को चुनौती दी थी। चिराग ने अपनी याचिका में कहा था, "व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी नीति संविधान द्वारा दिए गए निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। व्हाट्सऐप यूजर्स की निजी जानकारियों को साझा करना चाहता है। ऐसे में इस नीति के खिलाफ सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए।"
निजता भंग होती है तो बंद कर दें व्हाट्सऐप का उपयोग- कोर्ट
दलीलें सुनने के बाद जस्टिस संजीव सचदेवा की पीठ ने कहा, "व्हाट्सऐप एक निजी ऐप है। इसका उपयोग करना या नहीं करने स्वेच्छा पर निर्भर करता है। यदि इसके उपयोग से निजता भंग होती है तो इसका उपयोग बंद कर दें और किसी अन्य ऐप का उपयोग करें।" कोर्ट ने व्हाट्सऐप को नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया और कहा कि इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।
अन्य ऐप भी जुटाते हैं यूजर्स का डाटा- कोर्ट
याचिकाकर्ता ने दलील में कहा कि व्हाट्सऐप और फेसबुक एकत्रित डाटा से यूजर्स के व्यवहार का विश्लेषण करते हैं। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा, "केवल व्हाट्सऐप ही नहीं, सभी एप्लिकेशन ऐसा करते हैं। क्या आप गूगल मैप का उपयोग करते हैं? क्या आप जानते हैं कि यह आपके डेटा को कैप्चर और साझा करता है? ऐसे में यदि किसी को भी व्हाट्सऐप की नई नीति से ऐतराज है तो वह अपनी मर्जी से इसका उपयोग बंद कर सकता है।"
व्हाट्सऐप के वकील ने याचिका को बताया आधारहीन
केन्द्र सरकार ने भी पीठ की इस बात पर सहमति जताई कि इस मामले के विश्लेषण की आवश्यकता है। वहीं व्हाट्सऐप और फेसबुक के वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसमें उठाए गए कई मुद्दों का कोई आधार ही नहीं है। उन्होंने कहा, "परिवार के सदस्यों और मित्रों के बीच निजी बातचीत गुप्त रहेगी और इसे व्हाट्सऐप एकत्र नहीं कर सकता। नई नीति में यह स्थिति नहीं बदलेगी।"