मई में निजी अस्पतालों को मिलीं कोरोना वैक्सीन की 1.29 करोड़ खुराकें, लगीं सिर्फ 22 लाख
कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे वैक्सीनेशन अभियान को रफ्तार देने के लिए सरकार ने निजी अस्पतालों को भी वैक्सीन लगाने की छूट दे रखी है। इसके बाद भी लोग निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं। सरकारी केंद्रों पर जहां वैक्सीनों की किल्लत चल रही है, वहीं निजी अस्पतालों के पास पर्याप्त स्टॉक बचा हुआ है। हालात यह है कि मई में निजी अस्पतालों को आवंटित कुल वैक्सीन में से महज 17.05 प्रतिशत ही काम आई है।
निजी अस्पतालों ने मई में खरीदी वैक्सीन की 1.29 करोड़ खुराकें
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मई में देशभर में वैक्सीन की 7.4 करोड़ खुराकें उपल्बध कराई गई थी। इनमें से 1.85 करोड़ खुराकें निजी अस्पतालों के लिए आवंटित की गई थी। हालांकि, निजी अस्पतालों ने कुल आवंटन में से महज 1.29 खुराकों की ही खरीद की थी, लेकिन लोगों के वैक्सीन लगवाने नहीं पहुंचने पर इनका पूरा उपयोग नहीं हो पाया। पिछले महीने निजी अस्पतालों में महज 17.05 प्रतिशत यानी 22 लाख खुराकों का ही उपयोग किया जा सका है।
निजी अस्पतालों के पास मई में बचा 1.07 करोड़ खुराकों का स्टॉक
स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार अकेले मई के महीने में ही निजी अस्पतालों के पास कुल आवंटन में से 82.95 प्रतिशत यानी 1.07 करोड़ खुराकें अभी भी बची हुई है। ऐसे में इन अस्पतालों में वैक्सीनों का समय पर उपयोग नहीं हो रहा है।
निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाने से क्यों बच रहे लोग?
चिकित्सा विशेषज्ञों की माने तो सरकारी अस्पतालों में लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि निजी अस्पतालों में वैक्सीन की अधिक कीमत वसूली जा रही है। इसी तरह निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाने को लेकर लोगों में सुरक्षा को लेकर भी हिचकिचाहट बनी हुई है। इन दोनों ही कारणों से लोग निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं। हालांकि, सक्षम परिवार और शिक्षित लोग समय पर वैक्सीन के लिए निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं।
सरकार ने मीडिया रिपोर्टों का खंडन करने के लिए जारी किया डाटा
गत दिनों कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से निजी अस्पतालों को अब तक कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत वैक्सीनों की खुराकों का आवंटन किया है, लेकिन इनमें से उपयोग महज 7.5 प्रतिशत का ही हुआ है। इसको लेकर सरकार ने निजी अस्पतालों को वैक्सीन के आवंटन और खपत का डाटा जारी कर उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है। सरकार ने कहा कि रिपोर्ट उपलब्ध आंकड़ों से मेल नहीं खाती है।
केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए निर्धारित की वैक्सीन की कीमत
बता दें कि निजी अस्पतालों में वैक्सीन की कीमत को लेकर विपक्ष ने सरकार पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया था। इसके बाद सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन की खुराकों की अधिकतम कीमत निर्धारित कर दी थी। इसमें कोविशिल्ड की प्रत्येक खुराक के लिए 780 रुपये, कोवैक्सिन के लिए 1,410 रुपये और रूस की स्पूतनिक-V के लिए 1,145 रुपये निर्धारित किए थे। इस कीमत में सभी टैक्स के साथ 150 रुपये सेवा शुल्क भी शामिल है।
21 जून से राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देगी केंद्र सरकार
बता दें कि कई राज्यों की ओर से मुफ्त वैक्सीन देने की मांग को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जून को देश के नाम संबोधन में 21 जून यानी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा की थी। इसमें कहा गया था कि वैक्सीन के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार खरीदेगी, जबकि 25 प्रतिशत हिस्सा निजी अस्पतालों के लिए रहेगा। इससे अब सरकारी केंद्रों पर सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाई जाएगी।
भारत में यह है वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 24,96,00,304 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। देश में शुक्रवार को कुल 34,33,763 खुराकें लगाई गई थी। सरकार धीरे-धीरे वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ा रही है।