दिल्ली: उपराज्यपाल को 'सरकार' बनाने वाला केंद्र का विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मुकाबले उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने वाले केंद्र सरकार के विवादित दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ((NCT)) सरकार संशोधन विधेयक को रविवार रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी। इसी के साथ अब यह कानून बन गया है और केंद्रीय गृह मंत्रालय नोटिफिकेशन जारी कर यह बताएगा कि यह कानून कब से लागू होगा। विपक्षी पार्टियों ने इस कानून को लोकतंत्र की हत्या करने वाला बताया है।
क्या है विवादित NCT कानून?
NCT कानून के अनुसार, अब से दिल्ली में सरकार का मतलब 'उपराज्यपाल' होगा और विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की पूरी ताकत उनके पास होगी। यह विधेयक उन मामलों में भी उपराज्यपाल को विवेकाधीन शक्तियां प्रदान करता है जहां कानून बनाने का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार यानी विधानसभा को दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लागू करने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।
कानून लागू होने के बाद शक्तिविहीन हो जाएगी दिल्ली की चुनी हुई सरकार
NCT कानून लागू होने के बाद दिल्ली की चुनी हुई सरकार शक्तिविहीन हो जाएगी और दिल्ली में सारी शक्तियां उपराज्यपाल के हाथों में आ जाएंगी जो केंद्र सरकार के प्रतिनिधि हैं। अभी केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते दिल्ली सरकार पुलिस, शांति व्यवस्था और भूमि को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर कानून बना सकती है, लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद दिल्ली सरकार को कोई भी कानून बनाने या फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल से सहमति लेनी होगी।
AAP ने कहा- पीछे के दरवाजे से दिल्ली पर शासन करना चाहती है भाजपा
केंद्र सरकार के इस कानून का दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया है। AAP का कहना है कि चुनाव जीतने पर असफल रहने के बाद केंद्र सरकार इस कानून के जरिए उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली पर राज करना चाहती है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल को रोकने के लिए केंद्र सरकार यह कानून लेकर आई है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है।
केजरीवाल ने कानून को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियां कम करना चाहती है और यह कानून सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के खिलाफ है। बता दें कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार को पुलिस, शांत व्यवस्था और भूमि के अलावा अन्य किसी मुद्दे पर उपराज्यपाल की सहमति की जरूरत नहीं होगी और उपराज्यपाल महज प्रशासक हैं।
लोकसभा में 12 तो राज्यसभा में आठ पार्टियों ने किया विधेयक का विरोध
NCT विधेयक 22 मार्च को लोकसभा और 25 मार्च को राज्यसभा से पारित हुआ था। दोनों ही सदनों में विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक का जबरदस्त विरोध किया था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राज्यसभा में 12 और लोकसभा में नौ पार्टियों ने इस विधेयक का विरोध किया। कांग्रेस, YSRCP, बीजू जनता दल और AIADMK ने विधेयक के विरोध में राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया था और विधेयक 45 के मुकाबले 83 वोटों से पारित हो गया था।