सुशांत सिंह केस: बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार, मीडिया ट्रायल को बताया न्याय में बाधा
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए गैर जिम्मेदाराना कवरेज को लेकर मीडिया को फटकार लगाई है। कोर्ट ने मामले में दो चैनलों द्वारा की गई रिपोर्टिंग को मानहानिकारक बताते हुए कहा कि मीडिया ट्रायल से न्याय में बाधा उत्पन्न होती है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने मीडिया हाउसों को नसीहत भी दी है कि वह भविष्य में आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान संयम बरते।
14 जून, 2020 को मृत मिले थे सुशांत
गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत 14 जून, 2020 को बांद्रा इलाके में स्थित अपने फ्लैट में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। मुंबई पुलिस ने आत्महत्या का मामला दर्ज किया था। इस मामले में 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई। वहीं, इसे नेपोटिज्म के शिकार वाले एंगल से भी देखा गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, सुशांत डिप्रेशन से जूझ रहे थे। जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या की। वह सिर्फ 34 साल के थे।
मामले की कवरेज में भंग हुई थी मृतक की गोपनीयता
इस मामले की मीडिया में बहुत ही गैर जिम्मेदाराना कवरेज हुई थी। कई चैनलों ने तो सुशांत के शव की फोटो और वीडियो भी प्रकाशित किया था। एक चैनल ने शव की तस्वीरें प्रसारित करने के साथ गला घोंटने के लिए इस्तेमाल किए गए कपड़े के रंग और मरने की विधि का भी वर्णन किया था। इसी तरह सुशांत के फर्जी ट्वीट भी प्राकशित कर दिए थे। इससे आज जनता में मामले का अलग ही संदेश पहुंचा था।
सुशांत सिंह मामले में मीडिया ट्रायल पर रोक की मांग
मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय, अन्य नागरिकों और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के समूह ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सुशांत की मौत की घटना की टीवी समाचार चैनलों में खबर प्रसारित करने पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था मीडिया के गैर जिम्मेदाराना कवरेज से मामले की जांच प्रभावित हो रही है और लोग हकीकत से दूर जा रहे हैं। इस पर कोर्ट ने 6 नवंबर, 2020 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कवरेज से न्याय में बाधा आने पर मानी जाएगी कोर्ट की अवमानना- कोर्ट
मामले में चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने कहा कि मीडिया ट्रायल के कारण न्याय देने में हस्तक्षेप और अवरोध उत्पन्न होते हैं और यह केबल टीवी नेटवर्क नियमन कानून के तहत कार्यक्रम संहिता का भी उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी मीडिया प्रतिष्ठान द्वारा ऐसी खबरें दिखाना अदालत की मानहानि करने के बराबर माना जाएगा जिससे मामले की जांच में या उसमें न्याय देने में अवरोध पैदा होता हो।
रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ ने की मानहानिकारक कवरेज
कोर्ट ने कहा कि सुशांत सिंह की मौत के बाद रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ की कुछ रिपोर्टिंग मानहानिकारक थी। इसके बाद भी बेंच ने उनके खिलाफ कार्रवाई का फैसला नहीं किया है। इन चैनलों को भविष्य में कवरेज में सावधानी बरतनी होगी।
नियमों के खिलाफ खबरें चलाने पर होगी कार्रवाई- कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि कोई भी खबर पत्रकारिता के मानकों और नैतिकता संबंधी नियमों के अनुरूप ही होनी चाहिए। इनका उल्लंघन करते हुए खबरें प्रकाशित करने वाले मीडिया हाउसों को मानहानि संबंधी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इस दौरान कोर्ट ने सभी मीडिया हाउसों को आत्महत्या जैसे अन्य मामलों की कवरेज में संयम बरतने तथा वास्तविक तथ्यों के आधार पर जिम्मेदारी पूर्वक खबरें प्रकाशित करने की नसीहत भी दी।
NBSA ने आजतक पर लगाया था एक लाख रुपये का जुर्माना
बता दें कि इससे पहले समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (NBSA) ने गत 8 अक्टूबर को मामले में गैर जिम्मेदाराना कवरेज को लेकर 'आजतक' पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था तथा कई चैनलों को माफी मांगने को भी कहा था। इसी तरह बॉलीवुड के कई फिल्म निर्माताओं ने भी गैर जिम्मेदाराना कवरेज को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस पर सुनवाई करते हुए गत 9 नवंबर को कोर्ट ने चैनलों को नोटिस जारी किया था।