खबरों का सांप्रदायिकरण समस्या, जवाबदेह नहीं है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और वेब पोर्टल्स- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और वेब पोर्टल्स के जरिये फैलाई जा रही फेक न्यूज को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि ये कोई जवाबदेही नहीं दिखाते हैं। कोर्ट ने कहा कि वेब पोर्टल्स किसी के द्वारा शासित नहीं होते हैं। कई बार खबरों का सांप्रदायिकरण करने का प्रयास किया जाता है और यह एक परेशानी है। इससे देश की बदनामी होती है। आइये, यह खबर विस्तार से जानते हैं।
किस याचिका पर हो रही थी सुनवाई?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने याचिकाएं दायर की थीं। इनमें केंद्र सरकार को उन फेक न्यूज पर रोक लगाने का आदेश देने को कहा गया था, जिनमें कोरोना महामारी के प्रसार को मरकज निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जोड़ा गया था। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में मीडिया कवरेज को दुर्भावना भरा बताते हुए कहा कि मीडिया ने मुसलमानों को कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। ऐसी झूठी खबर फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
गुरुवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा कि ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म जजों को जवाब नहीं देते और बिना किसी जवाबदेही के संस्थानों के खिलाफ लिखते हैं। CJI रमन्ना ने कहा कि ये प्लेटफॉर्म केवल शक्तिशाली लोगों को ही जवाब देते हैं। कोर्ट ने कहा कि यूट्यूब चैनलों और वेब पोर्टल्स पर फैलाई जा रही फेक न्यूज और झूठे अभियानों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
केंद्र बोला- चिंताओं से निपटने के लिए लाए गए नए नियम
कोर्ट ने यूट्यूब का उदाहरण देते हुए कहा, "अगर आप यूट्यूब पर जाएंगे तो पता चलेगा कि कैसे खुलकर फेक न्यूज फैलाई जा रही है और कोई भी अपना चैनल शुरू कर सकता है।" कोर्ट की टिप्पणियों के जवाब में सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन चिंताओं से निपटने के लिए IT कानून में नए नियम जोड़े गए हैं। उन्होंने IT कानूनों से जुड़े मामले भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है।
छह सप्ताह बाद अगली सुनवाई
IT कानून से जुड़े मामले देश के अलग-अलग हाई कोर्ट्स में चल रहे हैं। इसे लेकर मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट अलग-अलग आदेश पारित कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस पर समग्र रूप से विचार कर सकता है क्योंकि यह पूरे देश से जुड़ा मुद्दा है। अब इस मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। बता दें कि सरकार ने इसी साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और न्यूज पोर्ट्ल्स की जवाबदेही तय करने वाले नए IT नियम लागू किए हैं।