#NewsBytesExclusive: कम उम्र में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट ब्लॉकेज के मामले और क्या सावधानियां बरतें?
जहां पहले अधिक उम्र के लोग हार्ट ब्लॉकेज की समस्या का सामना करते हुए नजर आते थे, वहीं अब युवाओं में भी यह आम हो गई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि युवा हार्ट ब्लॉकेज की चपेट में क्यों आ रहे हैं? इस बात को समझने के लिए हमने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अजीत सिंह घई से बातचीत की, जिन्होंने हमें कम उम्र में हार्ट ब्लॉकेज होने का मुख्य कारण और इस समस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताई। आइए जानें।
हार्ट ब्लॉकेज क्या है?
हार्ट ब्लॉकेज हृदय के इलेक्ट्रिकल सिग्नल से जुड़ी एक समस्या है। ये सिग्नल हृदय के धड़कने की गति को नियंत्रित करने का काम करते हैं और हृदय को पूरे शरीर में रक्त पहुंचाने में भी मदद करते हैं। वहीं, जब हृदय के ऊपरी भाग (अट्रिया) से ये इलेक्ट्रिकल सिग्नल हृदय के निचले भाग (वेंट्रिकल्स) तक ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाते हैं तो हार्ट ब्लॉकेज की समस्या होने लगती है।
कम उम्र में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या क्यों बढ़ रही है?
डॉ घई का कहना है कि कम उम्र के लोगों में हार्ट ब्लॉकेज होने के लिए विभिन्न कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इनमें सबसे मुख्य कारण लोगों की खराब जीवनशैली और असंतुलित खान-पान को माना जा सकता है। दरअसल, अब लोग जंक फूड के आदि हो चुके हैं, जिससे हृदय का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। वहीं, बात अगर खराब जीवनशैली की करें तो शारीरिक गतिविधियों में कमी और अनियमित नींद आदि हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हार्ट ब्लॉकेज की ओर इशारा करते हैं ये लक्षण
डॉ घई ने बताया कि हार्ट ब्लॉकेज होने पर शुरूआत में शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें इस समस्या के लक्षण भी कहा जा सकता है। बता दें कि हृदय की धड़कन का कम होना, सांस लेने में तकलीफ, अधिक थकान महसूस करना, पल्स का कम होना, अचानक घबराहट महसूस करना, ज्यादा पसीना आना, चक्कर आना और बेहोश हो जाना आदि इस समस्या के शारीरिक लक्षण हैं। इसलिए इन समस्याओं को हल्के में लेने की गलती न करें।
हार्ट ब्लॉकेज के प्रकार
डॉ घई ने बताया की हार्ट ब्लॉकेज के प्रमुख तीन प्रकार होते हैं। सिनोअट्रियल नोड ब्लॉक: सिनोअट्रियल नोड हृदय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और जब यह किसी कारणवश प्रभावित होता है तो इसे सिनोअट्रियल नोड ब्लॉक कहा जाता है। एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड ब्लॉक: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब इलेक्ट्रिकल सिग्नल अट्रिया से वेंट्रिकल्स तक नहीं पहुंच पाते हैं। बंडल ब्रांचेज ब्लॉक: यह स्थिति हृदय की मांसपेशियों के प्रभावित होने पर पैदा होती है।
हार्ट ब्लॉकेज का ज्यादा खतरा किसे है?
डॉ घई का कहना है कि अमूमन अधिक उम्र के लोगों को हार्ट ब्लॉकेज का अधिक खतरा है। वहीं, मधुमेह, हार्ई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों में हार्ट ब्लॉकेज होना अधिक खतरनाक है। इसके साथ ही अधिक धूम्रपान और नशीले पदार्थों का सेवन करना भी हार्ट ब्लॉकेज का खतरा उत्पन्न कर सकता है क्योंकि ये चीजें हृदय की धमनियों में संकुचन और कसाव पैदा करती है, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट ब्लॉकेज की समस्या हो सकती है।
क्या हार्ट ब्लॉकेज का हार्ट अटैक से संबंध है?
डॉ घई का कहना है कि हार्ट ब्लॉकेज से हार्ट अटैक और हार्ट अटैक से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या हो सकती है। साफ शब्दों में कहें तो दोनों समस्याओं का आपस में गहरा संबंध है। दरअसल, दोनों ही समस्याओं के कारण हृदय की धड़कने प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, अगर लोग अपनी जीवनशैली को स्वस्थ रखें और संतुलित खाना खाएं तो वे इन दोनों ही समस्याओं से बचे रह सकते हैं।
कोरोना होने पर हार्ट ब्लॉकेज का खतरा बढ़ने की संभावना है?
डॉ घई का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण हार्ट ब्लॉकेज और हार्ट अटैक, दोनों ही समस्याएं हो सकती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि कोरोना शरीर के मुख्य अंगों में सूजन पैदा करता है और इसमें हृदय भी शामिल हैं, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट ब्लॉकेज होने की संभावना बढ़ सकती है। वहीं, कोरोना से रक्त वाहिकाओं की नली में खून के थक्के जमने लगते हैं, जिससे हार्ट ब्लॉकेज और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
कोरोना वैक्सीन से हार्ट ब्लॉकेज होने का खतरा है?
डॉ घई ने बताया कि कोरोना वैक्सीन से हार्ट ब्लॉकेज होने की कोई भी संभावना नहीं है। कोरोना वैक्सीन एकदम सुरक्षित है, इसलिए हर किसी को यह जरूर लगवा लेनी चाहिए।
हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट करवाने चाहिए?
डॉ घई ने कहा कि हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वह शारीरिक जांच और टेस्ट के बाद आपको इसके बारे में बता सके। इसके लिए डॉक्टर आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर आपको ECG टेस्ट कराने को कह सकते हैं या फिर 12-24 घंटे तक आपको हार्ट मॉनिटर पहनने की सलाह दे सकते हैं, ताकि हृदय की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा सके।
हार्ट ब्लॉकेज के रोगी अपनी डाइट में शामिल करें ये खाद्य पदार्थ
डॉ घई का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को हार्ट ब्लॉकेज की समस्या होती है तो उसकी डाइट में शामिल खाद्य पदार्थ पोषक गुणों से भरपूर होने चाहिए। इसके लिए रोगी अपनी डाइट में अनाज, फल, सब्जियां, खाने वाले बीज और कम वसा युक्त दुग्ध उत्पादों आदि को शामिल करें क्योंकि पोषक तत्व से भरपूर ये चीजें हृदय के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है। इसी के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन भी जरूरी है।
हार्ट ब्लॉकेज की समस्या होने पर इन चीजों से बना लें दूरी
डॉ घई ने बताया कि हार्ट ब्लॉकेज के रोगियों के लिए इन चीजों का सेवन बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है। बेहतर होगा कि वे अधिक नमक युक्त भोजन का सेवन न करें, वसा युक्त दुग्ध उत्पादों से दूर बना लें, अधिक तला और मसालेदार चीजें न खाएं, सैचुरेटेड फैट और हाड्रोजेनेटेड फैट युक्त सामग्रियों का इस्तेमाल न करें। इसी के साथ कार्बोनेटेड और अधिक मीठे पेय पदार्थ के साथ-साथ अल्कोहल के सेवन से दूर रहें।
हार्ट ब्लॉकेज के जोखिमों को कम करने वाली एक्सरसाइज और योगासन
डॉ घई के मुताबिक, हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से राहत दिलाने में योगासन और एक्सरसाइज काफी मदद कर सकते हैं। योगासनों की बात करें तो हार्ट ब्लॉकेज के रोगियों के लिए धनुरासन, वृक्षासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन और वृक्षासन का रोजाना अभ्यास करना लाभदायक है। वहीं, एक्सरसाइज के तौर पर आप क्रॉस जैक एक्सरसाइज, स्क्वाट जंप एक्सरसाइज, माउंटेन क्लाइंबर एक्सरसाइज, रस्सी कूदना आदि कार्डियो एक्सरसाइज को अपने वर्कआउट रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
हार्ट ब्लॉकेज के लिए घरेलू नुस्खों को अपनाना चाहिए या नहीं?
इस बारे में डॉ घई कहते हैं कि हार्ट ब्लॉकेज के जोखिम को कम करने या फिर इससे राहत पाने के लिए घरेलू नुस्खों को अपनाया जा सकता है। घरेलू नुस्खों की बात करें तो रोजाना सुबह के समय बिना चीनी वाला नींबू पानी का सेवन, अनार का जूस पीना, दालचीनी पाउडर को डाइट में शामिल करना और लहसुन का सेवन करना आदि फायदेमंद है। हालांकि, कोई भी घरेलू नुस्खा अपनाने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
हार्ट ब्लॉकेज का इलाज क्या है?
डॉ घई ने बताया कि हार्ट ब्लॉकेज का इलाज दो तरह (दवा और पेसमेकर) से किया जा सकता है। दवा: अगर आपको हार्ट ब्लॉकेज की समस्या है तो इसे दूर करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ खास दवाएं दे सकते हैं। ध्यान रखें कि डॉक्टर की अनुमति के बिना कोई भी दवाई न लें। पेसमेकर: पेसमेकर एक छोटी मशीन होती है, जिसे छाती में लगाया जाता है। यह मशीन हृदय की धड़कन को ठीक से धड़कने में मदद करती है।
हार्ट ब्लॉकेज से बचने के क्या-क्या उपाय है?
डॉ घई ने कहा कि अगर आप हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से बचकर रहना चाहते हैं तो स्वस्थ आहार का सेवन करें। ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें ताकि इसके कारण हार्ट ब्लॉकेज की समस्या न हो। समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच करवाएं और अगर मधुमेह है तो इसे नियंत्रण में रखें। रोजाना कुछ मिनट एक्सरसाइज या फिर योगाभ्यास जरूर करें। धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल भी न करें।