कक्षा 6-12 तक के 80 प्रतिशत छात्रों को सता रहा परीक्षा का डर- NCERT सर्वे
क्या है खबर?
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक सर्वे करने के बाद चौंकाने वाला खुलासा किया है।
NCERT ने इस सर्वे में पाया गया कि माध्यमिक (कक्षा 6 से 8) और सेकेंडरी स्कूल (कक्षा 9 से 12) स्तर पर 80 प्रतिशत से अधिक स्कूली छात्रों के लिए परीक्षा और उनके नतीजे चिंता का कारण हैं।
वहीं, इन स्तरों पर 45 प्रतिशत छात्रों के लिए उनकी बॉडी इमेज भी चिंता बनी हुई है।
सर्वे
कितने छात्रों पर किया गया था NCERT सर्वे?
मंगलवार को जारी किए गए सर्वे के नतीजे कक्षा 6 से 12 तक के 3,79,842 छात्रों के जवाबों पर आधारित हैं।
इसमें से 1,58,581 छात्र माध्यमिक स्कूल स्तर के थे, जबकि 2,21,261 छात्र सेकेंडरी लेवल के थे।
NCERT के मुताबिक, इस सर्वे में केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जैसे सरकारी स्कूलों के अलावा गैर-सरकारी स्कूल के छात्रों का भी डाटा शामिल है।
गिरावट
छात्रों की निजी और स्कूली जीवन संबंधी संतुष्टि में गिरावट पाई गई
सर्वे के मुताबिक, छात्र जब मध्य कक्षा से सेकंडरी में गए तो उनकी निजी और स्कूली जीवन संबंधी संतुष्टि में गिरावट पाई गई।
वहीं सेकंडरी स्तर पर पहुंचने के बाद छात्रों में पहचान के संकट, बोर्ड परीक्षा का डर, भविष्य में प्रवेश को लेकर चिंता जैसी चुनौतियां देखने को मिलीं।
इसके अलावा शारीरिक छवि के मामले में भी इसी तरह का रुझान देखा गया, जिसमें ऊंची कक्षाओं में पहुंचने के साथ छात्र अपने शरीर को लेकर उतने आत्मविश्वासी नहीं थे।
ऑनलाइन कठिनाई
51 प्रतिशत छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में होती है परेशानी
NCERT के सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत छात्रों को ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, जबकि 28 प्रतिशत छात्रों को अपने शिक्षकों से प्रश्न पूछने में झिझक होती है।
इसमें कुल बच्चों में 43 प्रतिशत ने कहा कि वह बदलाव को बहुत जल्द आत्मसात कर लेते हैं। इनमें सेकेंडरी स्तर के बच्चे 41 प्रतिशत, जबकि माध्यमिक स्तर के 46 प्रतिशत थे।
एकाग्रता
माध्यमिक स्तर के लगभग 30 प्रतिशत छात्रों में एकाग्रता की कमी
शिक्षा मंत्रालय के इस सर्वे के अनुसार, माध्यमिक स्तर के लगभग 30 प्रतिशत छात्रों में एकाग्रता की कमी थी और वे अपनी पढ़ाई में पिछड़ गए।
अकादमिक जीवन के बारे में चिंता के विभिन्न कारणों के बारे में पूछे जाने पर, आधे से कुछ अधिक छात्रों (55 प्रतिशत) ने पढ़ाई के बारे में चिंतित होने की बात कही।
बता दें कि इस प्रश्न पर 52 प्रतिशत लड़कों की तुलना में 56 प्रतिशत लड़कियों ने चिंता की बात जाहिर की।
उद्देश्य
सर्वे का उद्देश्य क्या था?
रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में यह जानने की कोशिश की गई कि खुद अपने बारे छात्रों की क्या आवधारणाएं हैं, और उनकी नजर में भावनाओं, पढ़ाई जैसी चीजों के संदर्भ में दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं।
इसमें आगे कहा गया कि सर्वे में खासकर कोरोना वायरस महामारी के दौरान अभूतपूर्व समय में छात्रों द्वारा अनुभव की गई भावनाओं, ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने की कोशिशों और छात्रों द्वारा अनुभव की गई चुनौतियों को भी कवर किया गया है।
गोपनीयता
सर्वे में शामिल बच्चों की पहचान गोपनीय
NCERT की मनोदर्पण इकाई को इस सर्वे की जिम्मेदारी मिली थी।
कक्षा 6 से 12 के छात्र-छात्राओं को शामिल करते हुए जनवरी से लेकर मार्च 2022 तक यह सर्वे किया गया।
सर्वे में बच्चों की पहचान गोपनीय रखी गई, जिसके कारण उन्हें अपनी बात कहने के लिए सही वातावरण मिला।
सर्वे के मुताबिक छात्र इस तनाव से निपटने में जो तरीके आजमाते हैं, उसमें योग और ध्यान के अलावा सोचने के तरीके में बदलाव और जर्नल्स में लिखना प्रमुख है।