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    कोविड-19 से निपटने में कैसे मददगार होगी भारत बायोटेक की नाक से दी जाने वाली वैक्सीन?
    भारत बायोटेक की नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन कैसे करेगी काम?

    कोविड-19 से निपटने में कैसे मददगार होगी भारत बायोटेक की नाक से दी जाने वाली वैक्सीन?

    लेखन भारत शर्मा
    Sep 06, 2022
    08:11 pm

    क्या है खबर?

    देश को कोरोना वायरस (कोविड-19) से निपटने के लिए एक और हथियार मिल गया है।

    ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक की रीकॉम्बिनेंट इंट्रानेजल (नाक से दी जाने वाली) कोविड वैक्सीन BBV154 को 18 साल से अधिक उम्र के वयस्कों में आपातकालीन स्थिति में सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसको महामारी से बचाव के लिए अहम हथियार माना जा रहा है।

    आइये जानते हैं कि कोविड-19 से निपटने में यह वैक्सीन कैसे मददगार साबित होगी?

    सवाल

    क्या होती है नेजल या इंट्रानेजल वैक्सीन?

    बता दें कि वर्तमान में कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की जा रही अधिकतर वैक्सीन इंजेक्शन (सिरिंज द्वारा मांसपेशियों के जरिए शरीर में पहुंचाना) के रूप में तैयार की जा रही है।

    इसके उलट नेजल इंट्रानेजल वैक्सीन को नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है। कोरोना के संक्रमण की शुरुआत भी नाक से होती है।

    सेंट लुइस के वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के अध्ययन में पाया गया है कि नेजल वैक्सीन शरीर में मजबूत इम्यूनिटी देती है।

    कार्य

    कोरोना वायरस से बचाने में कैसे काम करेगी BBV154 वैक्सीन?

    कोरोना वायरस समेत कई वायरस म्यूकोसा (नाक, मुंह और फेफड़ों को जोड़ने वाले टिश्यू) के जरिये इंसानी शरीर में प्रवेश करते हैं।

    नाक के जरिए दी जाने वाली BBV154 वैक्सीन या अन्य कोई नेजल वैक्सीन सीधे म्यूकोसा के पास जाती है, जिससे वायरस के प्रवेश करने की जगह पर ही एक तरह की सुरक्षा परत बन जाती है।

    यह परत अतिरिक्त एंटीबॉडी का निर्माण करती है और कोरोना वायरस के संक्रमण और उसके प्रसार दोनों को रोकती है।

    फायदा

    नाक से दी जाने वाली वैक्सीन के फायदे क्या हैं?

    विशेषज्ञों के अनुसार, इंट्रानेजल वैक्सीन गेम चेंजर साबित हो सकती है। इंजेक्शन वैक्सीन से केवल शरीर के निचले हिस्से में स्थित फेफड़ों की रक्षा होती है।

    ऐसे में नेजल वैक्सीन तेजी से लिम्फ नोड्स तक पहुंचकर श्लैष्मिक प्रतिरक्षा बनती है, जो पूरे शरीर को सुरक्षा प्रदान करती है और संक्रमण के बचाव के साथ उसके प्रसार को भी रोकती है।

    इसके उपयोग से बड़ी मात्रा में सिंरिंज की बचत होने के साथ कार्य शक्ति की भी कम आवश्यकता होती है।

    जानकारी

    तेजी से वैक्सीनेशन में भी है सहायक

    इंट्रानेजल वैक्सीन के सहारे लोगों का बड़ी संख्या में तेजी से वैक्सीनेशन संभव हो पाता है और कम समय में ज्यादा लोगों को खुराक देने में मदद मिलती है। इसी तरह इसके इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ता है।

    बयान

    संक्रमित लोग खुद भी कर सकते हैं इस्तेमाल- डॉ गिल

    हिलमैन लेबोरेटरीज के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डॉ दविंदर गिल ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "इंट्रानेजल वैक्सीन की सबसे बड़ी खासियत है कि इसका उपयोग बहुत आसान है। इसके केवल नाक में डालना होता है। ऐसे में संक्रमित लोग भी बिना अस्पताल पहुंचे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।"

    हालांकि, वैक्सीन वैज्ञानिक डॉ गगनदीप कांग का मानना है कि इंट्रानेजल वैक्सीन से सुरक्षा कम होने का खतरा रहता है। इसके प्रतिबंधित होने की संभावना है।

    विकास

    भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर विकसित की है वैक्सीन

    भारत बायोटेक ने BBV154 वैक्सीन को सेंट लुईस स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की मदद से विकसित किया है।

    इस वैक्सीन को एडिनोवायरल से बनाया गया है जिसमें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन को जोड़ा गया। इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे नाक के जरिए दिया जा सके।

    लगभग 4,000 लोगों पर हुए तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन को प्रभावी और सुरक्षित पाया गया था। ट्रायल में गंभीर साइड इफेक्ट्स भी नहीं देखने को मिले।

    वैक्सीनेशन

    भारत में क्या है वैक्सीनेशन की स्थिति?

    देश में अब तक कोविड वैक्सीन की 2.14 अरब खुराकें लगाई जा चुकी हैं। देश में 18 साल से अधिक उम्र के 92.11 करोड़ वयस्कों को वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है, वहीं 86.08 करोड़ वयस्कों को दोनों खुराकें लग चुकी हैं।

    इसी तरह 15 से 18 साल के 5.25 करोड़ लोगों को भी दोनों खुराकें लग चुकी हैं। 12 से 14 साल के 3.05 करोड़ बच्चों को दोनों खुराकें लगी हैं। बीते दिन 19.93 लाख खुराकें लगाई गईं।

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