Page Loader
इंदौर: 20 दिनों में चार से 900 पहुंची कोरोना संक्रमितों की संख्या, जानिये कहां चूका प्रशासन

इंदौर: 20 दिनों में चार से 900 पहुंची कोरोना संक्रमितों की संख्या, जानिये कहां चूका प्रशासन

Apr 23, 2020
12:10 pm

क्या है खबर?

मध्य प्रदेश के इंदौर में कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमितों की संख्या 900 पहुंच गई है। अब केंद्र सरकार की एक टीम इस जांच में जुटी है कि शहर में 20 दिनों के भीतर संक्रमितों की संख्या चार से 900 कैसे पहुंच गई और संक्रमण को रोकने में स्थानीय प्रशासन से कहां-कहां चूक हुई। दरअसल, केंद्र सरकार ने उन जिलों में टीमें भेजी हैं, जहां पर लॉकडाउन के उल्लंघन के ज्यादा मामले सामने आए थे।

बयान

लोगों ने नहीं बरती सतर्कता- अधिकारी

केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने गोपनीयता का शर्त पर HT को बताया, "इंदौर के लोगों ने शहर की स्वच्छता को देखते हुए नहीं सोचा था कि वो इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए उन्होंने शुरुआत में बहुत लापरवाही से काम लिया। लॉकडाउन के नियमों का सही ढंग से पालन नहीं हुआ। यहां वायरस बहुत पहले पहुंच गया था और संक्रमित लोग दूसरों को संक्रमित कर रहे थे।" बता दें, इदौर देश का सबसे साफ शहर है।

लॉकडाउन का उल्लंघन

लॉकडउन के बावजदू इंदौर में जारी थी लोगों की आवाजाही

केंद्र सरकार की टीम में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन के बावजूद लोग सड़कों पर थे। उन्होंने कहा, "लॉकडाउन में लोगों की आवाजाही पर रोक नहीं लगाई गई और स्थानीय प्रशासन ने लोगों को भरोसे में नहीं लिया। इस वजह से स्वास्थ्यकर्मियों को काफी विरोध का सामना करना पड़ा। साथ ही प्रशासन ने पर्याप्त ऐहतियाती कदम नहीं उठाए। बाद में जब प्रशासन हरकत में आया तो टेस्टिंग को तेज किया गया, जिससे संक्रमण के मामले सामने आए।

जानकारी

स्थानीय प्रशासन ने भी मानी चूक

स्थानीय प्रशासन ने भी इस बात से सहमति जताई है कि बढ़ते मामलों मे उनकी तैयारियों को धत्ता बता दिया था। प्रशासन ने माना कि उसने समय रहते हुए तैयारियां शुरू नहीं की थी।

चूक

स्वास्थ्य सचिव बोले- रणनीति तैयार करने में लगा समय

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान बताते हैं, "शुरुआत में हमसे चूक हुई थी। रणनीति तैयार करने में हमें थोड़ा समय लगा। हमने संक्रमण रोकने के लिए देरी से कदम उठाए। 24 मार्च को चार मामले आए थे। बाद में जब मामले बढ़ने लगे तो हमें पता चला कि वायरस काफी लोगों को संक्रमित कर चुका है। इसके बाद हमें अपनी क्षमता बढ़ानी पड़ी। यह सबकुछ बहुत जल्दी हुआ।"

इंदौर

टेस्टिंग के लिए लैब की कमी बनी बड़ी चुनौती

जब रोजाना 30-40 मामले सामने आने शुरू हुए तो राज्य सरकार ने एक महीने में 11 नई लैबोरेट्री शुरू की। सुलेमान ने बताया, "मार्च के अंत तक एक लैब थी। अगले कुछ हफ्तों में हमने इनकी संख्या बढ़ाकर 12 की। हमने अधिक से अधिक लोगों के टेस्ट करने के लिए टेस्टिंग क्षमता में युद्ध स्तर पर सुधार किया। अभी इंदौर में एक दिन में 2,000 टेस्ट किए जा सकते हैं, लेकिन हमें रोजाना 1,000 और टेस्ट की जरूरत है।"

इंदौर

लोगों के घरों में न रहने के कारण बिगड़े हालात

लॉकडाउन में भी लोगों के घरों से बाहर रहने के सवाल पर सुलेमान ने कहा कि शुरुआत में दूसरे राज्यों से लोग आ-जा रहे थे, जिस कारण स्थिति संभालने में समय लगा। उन्होंने कहा, "इंदौर व्यापारिक शहर है और बहुत लोग यहां काम के लिए आते हैं। कुछ लोग ट्रकों में छिप-छिपकर आवाजाही कर रहे थे। हमने कई ऐसे लोगों को ट्रैक भी किया है। शहरों के अंदर हम इस पर काबू पाने में कामयाब रहे थे।"

बयान

घर से क्वारंटाइन फैसिलिटी में जाने को तैयार नहीं थे लोग

सुलेमान ने कहा, "शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों को विरोध का सामना करना पड़ा। यहां के कई रिहायशी इलाके बेहद तंग है। हमने यहां से लोगों को बाहर निकालकर क्वारंटाइन में भेजने की योजना बनाई थी, लेकिन लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं थे। जिनमें लक्षण नहीं थे, वो घर से नहीं जाना चाहते थे। इसके बाद हमने धार्मिक नेताओं की मदद ली। उन्होंने लोगों को क्वारंटाइन फैसिलिटी में जाने के लिए मनाया। इसमें हमारी काफी मेहनत और समय लगा था।"

जानकारी

अब टेस्टिंग तेज करने की योजना बना रहा प्रशासन

अब राज्य सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग कर संक्रमितों को बाकी लोगों से अलग करने की प्रक्रिया में है। इसके लिए नई मशीनें खरीदी जा रही है और स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है।