#NewsbytesExclusive: मेयर मालिनी गौड़ ने कैसे बनाया इंदौर को सबसे साफ शहर, पढ़िये खास बातचीत
इस साल के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर को देश का सबसे साफ शहर चुना गया। यह लगातार तीसरा मौका है जब इंदौर इस सर्वे में शीर्ष स्थान पर रहा। पांच साल पहले इंदौर सफाई के मामले में देशभर में 149वें स्थान पर था, लेकिन अब यह देश का सबसे साफ शहर है। आखिर इंदौर ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की? इस बारे में न्यूजबाइट्स ने इंदौर की मेयर मालिनी गौड़ से खास बातचीत की। जानिये, उन्होंने क्या बताया।
नंबर वन बने रहना बड़ी उपलब्धि
इंदौर को लगातार तीसरी बार देश का सबसे साफ शहर चुना गया है। इस उपलब्धि पर बात करते हुए गौड़ ने कहा कि लगातार तीसरी बार शीर्ष पर आना बड़ी बात है। उन्होंने कहा, "इस काम के लिए इंदौर शहर की जनता, नगर निगम की पूरी टीम और सबसे ज्यादा सफाईकर्मियों को धन्यवाद देना चाहूंगी। हमने मिशन बनाकर काम किया। लगातार तीन बार शीर्ष पर आना बड़ी बात है।" इस स्थान को बनाए रखना बड़ी चुनौती है।
स्वच्छता को लोगों की आदत कैसे बनाया?
स्वच्छता को लोगों की आदत में शुमार करना बड़ा काम है। इस बारे में बताते हुए गौड़ ने कहा कि सफाई के लिए उन्होंने लोगों के साथ 500 से ज्यादा बैठकें की। उन्होंने बताया कि वे कई बार नगर निगम कमिश्नर के साथ खुले में शौच करने वालों पर नजर रखने के लिए सुबह 4:30 बजे और कई बार व्यवस्था देखने के लिए रात को दौरे पर निकल जाती थीं। सफाई रखने के लिए लोगों को शपथ भी दिलवाई गई।
सार्वजनिक स्थानों की सफाई
इंदौर को मध्यप्रदेश की व्यवसायिक राजधानी के रूप में जाना जाता है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग शहर के बाहर से आते हैं। गौड़ ने बताया कि शहर में जगह-जगह लिटर बीन लगाए गए है जिनमें गीला-सूखा कचरा अलग-अलग रखने की व्यवस्था है। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर दिन में 2 बार सफाई होती है तो कहीं भी कचरा नही दिखता। इसके अलावा शहर के दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों के बाहर डस्टबिन रखें हुए हैं।
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कैसे सुनिश्चित किया कि कचरे का सही निस्तारण हो?
कचरे के निस्तारण के बारे में बताते हुए गौड़ ने कहा, "हमने सितंबर 2015 में पहली बार एक वार्ड से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण का काम शुरू किया था। इसके दो महीने बाद ही नगर निगम ने पूरे शहर का कचरा संग्रहण करना शुरू किया।" आज इंदौर में लगभग 600 डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण वाहन है। कचरा संग्रहण के साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी फैलाने वालों पर स्पॉट फाइन की कार्रवाई भी करना शुरू किया।
रात को होती है सफाई
सफाई व्यवस्था के बारे में गौड़ ने बताया कि यहां पर रात को 12 रोड स्वीपिंग मशीन और 150 लोग सफाई का काम करते हैं। गीले कचरे से खाद के लिए और सूखे कचरे को रियूज किया जाता है। शहर में 10 स्थानों पर गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन बनाए गए हैं। सफाई के साथ ही शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए वॉल पेंटिंग की गई है। जहां पहले कचरे के पहाड़ होते थे, वहां आज लोग पार्टियां कर रहे हैं।
ये हुआ सफाई का फायदा
मालिनी ने दावा किया कि शहर में अच्छी सफाई व्यवस्था के चलते बीमारियों में कमी आई है। दवाई की बिक्री में 25 करोड़ रुपये तक की कमी हुई। हवा से 42 प्रतिशत धूल के कण कम हुए हैं।
149वें स्थान से पहले स्थान का सफर
पांच साल पहले इंदौर 149वें स्थान पर था। अब पहले नंबर पर है। इस सफर के बारे में बताते हुए मालिनी ने कहा, "मैं जब विधायक थी तो शहर में जगह-जगह कचरा पेटी देख पीड़ा होती थी। 2015 में महापौर का पद मिलने के बाद हमने शहर को, शहर की सफाई व्यवस्था को ठीक करने का लक्ष्य लिया और 2016 में हमें 149वें से 25वां स्थान प्राप्त हुआ। साल 2017, 2018 और 2019 में देश मे अव्वल स्थान प्राप्त किया।"
लोगों को कैसे प्रेरित किया?
लोगों को प्रेरित करने के सवाल पर उन्होंने कहा, "इंदौर में नगर निगम ने तो भरपूर कोशिश कर शहर को साफ बनाए रखने का काम किया ही है। साथ ही शहर की जागरूक जनता ने भी इस काम मे अपनी पूर्ण सहभागिता दी है। अगर शहर की जनता जागरूक नही होती तो इंदौर इतना साफ होना असंभव था।" उन्होंने कहा, "जनता को जागरूक रखने के लिए हमने सतत अभियान चलाए, जिनमें हमें शत प्रतिशत सफलता प्राप्त हुई है।"
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सफाई मॉडल समझने के लिए आ रहे हैं लोग
स्वच्छता के मामले में लगातार पहला स्थान प्राप्त करने के बाद देश के हर राज्य से टीम सफाई व्यवस्था को समझने इंदौर आ रही है। उन्होंने बताया, "हम सभी को हमारे यहां का काम समझाने का प्रयास करते हैं। हम इंदौर में स्वच्छता के लिए रिसर्च एंड डेवलेपमेन्ट सेन्टर बनाने जा रहे हैं ताकि हम सभी को स्वच्छता के काम की बारीकियों से परिचित करवा पाएं।"
भविष्य की योजना
इंदौर के भविष्य की योजना को लेकर गौड़ ने कहा कि स्वच्छता के साथ इंदौर में विकास के काम भी लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि शहर की जो दो नदियां दूषित हैं उन्हें साफ कर फिर से उनके मूल स्वरूप में लाना चाहते हैं।