लॉकडाउन: उत्तर भारत में 20 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण- NASA
क्या है खबर?
भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन जारी है। सड़कें सूनी पड़ी हैं और कामकाज ठप पड़ा है। लोग घरों में लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं।
इन सबके बीच एक अच्छी खबर ये आई है कि लॉकडाउन के कारण उत्तर भारत का वायु प्रदूषण 20 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट
इंडो-गंगेटिक में उम्मीद से कहीं अधिक कम हुआ एरोसोल का मान
NASA के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (USRA) के वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन के कारण वायुमंडलीय संरचना में बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने इंडो-गंगेटिक प्लेन यानी भारत में गंगा के मैदानों में इससे पहले एरोसोल का मान इतना कम नहीं देखा था।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के पहले सप्ताह में वायु प्रदूषण में आए बदलावों को देख पाना मुश्किल था, लेकिन बारिश होने से कमी दिखाई दी थी।
जानकारी
नासा द्वारा प्रतिवर्ष वसंत ऋतु में ली जाने वाली तस्वीरों से हुआ खुलासा
दक्षिण और मध्य एशिया के कार्यवाहक सहायक सचिव एलिस जी वेल्स के अनुसार NASA द्वारा प्रत्येक वसंत ऋतु में ली जाने वाली तस्वीरों से तुलना करने पर वायु प्रदूषण के उत्तर भारत में 20 साल के सबसे निचले स्तर पर होने का खुलासा हुआ है।
बदलाव
बारिश के बाद भी ऊपर नहीं गया एरोसोल का मान- गुप्ता
वैज्ञानिक गुप्ता ने बताया कि 27 मार्च के आसपास उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में भारी बारिश होने से एरोसोल का मान कम हुआ था, लेकिन आमतौर पर बारिश के बाद एरोसोल का मान फिर से बढ़ जाता है।
दूसरे सप्ताह में जांच करने पर भी एरोसोल का मान नहीं बढ़ा तो वह चकित रह गए।
इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि लॉकडाउन के कारण वायु प्रदूषण कम हो रहा है और हवा लगातार साफ होती जा रही है।
खतरा
बढ़ते एरोसोल मान से होता है स्वास्थ्य को खतरा
वैज्ञानिक गुप्ता ने बताया कि एरोसोल हवा में तैरने वाले छोटे ठोस और तरल कण होते हैं जो दृश्यता को कम करते हैं। यह सांस के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं और फेंफड़े और हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसकी अधिकता से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और पीड़ितों की मौत तक हो जाती है।
उन्होंने कहा कि हमें वायु प्रदूषण को कम करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए एरोसोल मान को कम रखना होगा।
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में स्थिति बनी हुई है खतरनाक
वैज्ञानिक गुप्ता ने बताया कि जहां उत्तर भारत में वायु प्रदूषण कम हुआ है, वहीं दक्षिण भारत में स्थिति थोड़ी खतरनाक बनी हुई है। लॉकडाउन के बाद भी यहां एरोसोल में अपेक्षित कमी नहीं आई।
रिकॉर्ड के अनुसार यहां पिछले चार वर्षों की तुलना में एरोसोल का मान घटन की जगह बढ़ा है।
हालांकि, अभी इसके कारणों का खुलासा नहीं हो सका है, लेकिन मौसम परिवर्तन, आग, पराली जलाना सहित अन्य कारक इसके पीछे हो सकते हैं।
जानकारी
भारत में प्रदूषण से प्रतिवर्ष होती है 10 लाख मौत
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ग्रीनपीस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में जीवाश्म ईंधन के उपयोग और अन्य कारणों से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों की मौत होती है। जबकि, दुनिया में यह आंकड़ा 45 लाख का है।
लॉकडाउन
25 मार्च से शुरू हुआ था भारत में लॉकडाउन
बता दें कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थीं।
इसमें आवश्यक सेवा और वस्तुओं के अलावा अन्य सभी गतिविधियों को बंद कर दिया गया था। उद्योग और फैक्टि्रयां पूरी तरह से बंद हो गई थीं।
इसके बाद भी संक्रमण में अपेक्षित कमी नहीं आने के बाद प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए आगे बढ़ा दिया है।