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    बिहार विधानसभा में NRC के खिलाफ प्रस्ताव पास, नया NPR भी नहीं होगा लागू

    बिहार विधानसभा में NRC के खिलाफ प्रस्ताव पास, नया NPR भी नहीं होगा लागू

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 25, 2020
    04:57 pm

    क्या है खबर?

    बिहार विधानसभा ने राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) लागू नहीं करने का प्रस्ताव पास किया है।

    साथ ही विधानसभा में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को इसके 2010 के स्वरूप में संशोधन के साथ लागू करने का प्रस्ताव पास किया गया है।

    बता दें कि देशभर में NRC लागू करने को लेकर अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से कोई फैसला नही लिया गया है। वहीं NPR की प्रक्रिया को लेकर कई राज्य सवाल उठा चुके हैं।

    बयान

    "मुझे नहीं पता मेरी मां का जन्म कहां हुआ"

    बिहार में सरकार चला रही नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर केंद्र सरकार का साथ दिया था। इसे लेकर पार्टी में मतभेद उभर आए और दो नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी।

    नीतीश कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर NPR फॉर्म से विवादास्पद सवाल हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता मेरी मां का जन्म कहां हुआ था। NRC लाने की भी जरूरत नहीं है।"

    NPR और NRC

    NRC और NPR क्या है?

    NRC एक रजिस्टर है, जिसमें देश के नागरिकों का नाम शामिल किया जाता है। इससे बाहर रहने वाले लोग देश के नागरिक नहीं माने जाते। अभी तक यह केवल असम में लागू है।

    पहले सरकार ने इसे देशभर में लागू करने की बात कही थी। बाद में कहा गया है कि अभी इस पर बातचीत नहीं हुई।

    वहीं NPR के तहत देश में रह रहे स्थानीय निवासियों एक सूची तैयार की जाएगी। इसमें लोगों से अलग-अलग सवाल पूछे जाएंगे।

    विवाद

    NPR पर सवाल क्यों उठ रहे?

    NPR पर सवाल उठने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इसे NRC का पहला कदम माना जा रहा है। सरकार NPR कराने के बाद डाटा को सत्यापित कर NRC में इस्तेमाल कर सकती है।

    इस प्रक्रिया के दौरान अगर रजिस्ट्रार को किसी व्यक्ति पर संदेह हुआ तो वह उसे संदिग्ध नागरिक की सूची में डाल सकता है।

    इसके अलावा NPR में पूछे जाने वाले सवालों को लेकर भी विवाद है। विपक्षी पार्टियां इसे लेकर लगातार सरकार पर हमलावर हैं।

    विरोध

    NPR लागू करने से मना कर चुके हैं राजस्थान और मध्य प्रदेश

    बिहार जहां NPR को पुराने स्वरूप में लागू करने की तैयारी कर रहा है वहीं कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान ने अपने यहां NPR लागू करने से मना कर दिया है।

    राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि वो राज्य में नागरिकता कानून, NPR और NRC को लागू नहीं होने देंगे।

    दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सवालों की पुष्टि के लिए खुद NPR का फॉर्म देखेंगे।

    अंतर

    नए NPR से कैसे अलग है 2010 का NPR?

    NPR की शुरुआत 2010 में हुई थी। तब इसमें लोगों से 15 जानकारियां मांगी गई। इसे 2015 में अपडेट किया गया था।

    इस बार NPR में ज्यादा जानकारियां मांगी गई है। इस बार जो छह नए बिंदु जुड़े हैं, उनमें पिछला पता, पासपोर्ट और मतदाता पहचान पत्र नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस और मोबाइल नंबर आदि शामिल हैं।

    2010 में ये जानकारियां नहीं जुटाई गई थी। इस बार परिजनों के नाम को पति/पत्नी के नाम के कॉलम में शामिल किया गया है।

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