मध्य प्रदेश: एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं कराने पर जाएगी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की नौकरी
जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार कल्याण विभाग की ओर से चलाए जा रहे नसबंदी कार्यक्रम की सफलता और पुरुष नसबंदी का ग्राफ बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने सख्त कदम उठाया है। सरकार ने आदेश जारी किया है कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत एक भी पुरुष नसबंदी नहीं कराने वाले पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (MPHWs) का वेतन काटकर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। इससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया है।
प्रदेश में महज 0.5 प्रतिशत पुरुषों की ही हुई नसबंदी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (NFHS-4) की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में वर्ष 2019-20 में अब तक सिर्फ 0.5 प्रतिशत पुरुषों की ही नसबंदी कराई गई है। यह लक्ष्य से बेहद कम है। प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के निदेशक ने कमिश्नर, जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CHMO) को साल में एक भी पुरुष नसबंदी नहीं कराने वाले MPHWs की सूची बनाने के आदेश दिए हैं।
सूची बनने के बाद 'काम नहीं तो वेतन नहीं' के तहत होगी कार्रवाई
गत 11 फरवरी को NHM निदेशक की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि चालू वित्तीय वर्ष में एक भी पुरुष नसबंदी नहीं कराने वाले MPHWs के खिलाफ 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का फार्मूला लागू किया जाएगा। इसमें उनका सालभर का वेतन काटा जाएगा। इसके अलावा यदि आगे भी कार्य में सुधार नहीं होता है तो ऐसे MPHWs को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए कलेक्टर द्वारा प्रस्ताव तैयार कर भोपाल स्थित NHM मुख्यालय भेजा जाएगा।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए 5 से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य
राज्य में परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत प्रत्येक पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को साल में 5 से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है, लेकिन इन आदेशों की पालना नहीं हो रही है। मध्य प्रदेश स्वास्थ्य मिशन की वेबसाइट पर बताया गया है कि जनसंख्या नियंत्रित के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को साल 1952 में ही अपनाने वाला भारत पहला देश है। इस कार्यक्रम में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
साल दर साल घट रहा है पुरुष नसबंदी का ग्राफ
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से इस तरह का सख्त निर्णय लेने के पीछे बड़ा कारण यह है कि प्रदेश में पुरुष नसबंदी का ग्राफ साल दर साल घटता जा रहा है। साल 2019-20 में अब तक सिर्फ 3,397 पुरुषों की नसबंदी हुई है। वहीं इस दौरान महिलाओं की संख्या 3.34 लाख रही। साल 2015-16 में 9,957 पुरुषों की नसबंदी हुई थी। इसके बाद 2016-17 में यह संख्या 7,270, 2017-18 में 3,719 और 2018-19 में 2,925 रही।
जबरदस्ती नहीं, बल्कि पुरुषों को नसबंदी के लिए करें जागरुक
NHM की उप निदेशक डॉक्टर प्रज्ञा तिवारी का कहना है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी कम है। वो नहीं चाहती हैं कि कार्यकर्ता लक्ष्य पूरा करने के लिए पुरुषों से जबरदस्ती करें। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वह लोगों को नसबंदी के फायदे बताकर उन्हें प्रेरित करें। कई पुरुष अपने परिवार को सीमित करना चाहते हैं, लेकिन उनमें जागरुकता की कमी हैं। ऐसे में स्वास्थ्य कार्यकर्ता उन्हें जागरुक कर अस्पताल तक ला सकते हैं।
नसबंदी कराने पर कार्यकर्ताओं को मिलती है प्रोत्साहन राशि
नसबंदी के लिए महिला और पुरुषों को प्रेरित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। मध्य प्रदेश में एक महिला की नसबंदी करने पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता को 2,000 रुपये तथा पुरुष की नसबंदी कराने पर 3,000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाते हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिलाओं को नसबंदी के लिए तैयार कर लेती हैं, लेकिन पुरुषों की भागीदारी बहुत कम है। इसको लेकर सरकार सख्त हुई है।