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SC में बोली सरकार, 10 में से तीन प्रवासी मजदूरों में कोरोना वायरस संक्रमण की संभावना

SC में बोली सरकार, 10 में से तीन प्रवासी मजदूरों में कोरोना वायरस संक्रमण की संभावना

Mar 31, 2020
07:21 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि लॉकडाउन के दौरान शहरों से गांवों की तरफ पलायन कर रहे 10 प्रवासी मजदूरों में से तीन कोरोना वायरस से संक्रमित हों। मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार ने ये दावा किया। गौरतलब है कि सरकार का ये दावा उसके उन बयानों का विरोधाभासी है जिनमें वो कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन न होने की बात कहती रही है।

पृष्ठभूमि

लॉकडान के दौरान पैदल ही घरों की तरफ निकले प्रवासी मजदूर

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया था। ये लॉकडाउन 14 अप्रैल तक चलना है। इस घोषणा के बाद शहरों में रह रहे लाखों प्रवासी मजदूरों ने पैदल ही अपने गांवों की तरफ पलायन करना शुरू कर दिया जिससे बेहद जटिल परिस्थितियां पैदा हो गईं। दिल्ली में परिस्थितियां और खराब हो गईं जब 20,000 मजदूर आनंद विहार अंतरराष्ट्रीय बस अड़्डे पर जमा हो गए।

याचिकाएं

मजूदरों के पलायन पर दाखिल की गईं दो याचिकाएं

प्रवासी मजदूरों के पलायन से संबंधित इसी मामले पर वकील आलोक श्रीवास्तव और रश्मि देसाई ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं जिन पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच सुनवाई कर रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रही इसी सुनवाई के दौरान मंगलवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 10 में से तीन प्रवासी मजदूरों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका जताई।

सुनवाई

कैंपों में रखे जा रहे 6.63 प्रवासी मजदूर

इसी सुनवाई के दौरान गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि अभी कोई भी प्रवासी मजदूर सड़क पर नहीं है और लगभग 6.63 लाख प्रवासी मजदूरों को कैंपों में रखा जा रहा है जहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं दी जा रही हैं। सरकार ने कोर्ट को कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए उसके द्वारा अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी और कहा कि अभी तक सरकार वायरस को रोकने में कामयाब रही है।

निर्देश

कोर्ट ने कहा- लोगों को ताकत देने के लिए भजन, कीर्तन और नमाज कराइये

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से प्रवासी मजदूरों में उनके भविष्य को लेकर बैठे डर को शांत करने को कहा। कोर्ट ने कहा, "हम आपको बताना चाहते हैं कि दहशत वायरस से ज्यादा लोगों की जान ले लेगी। आपको काउंसलर्स की जरूरत है। आप लोगों को ताकत देने के लिए भजन, कीर्तन और नमाज कुछ भी करा सकते हैं... ये सुनिश्चित कीजिए कि प्रशिक्षित काउंसलर्स और सभी धर्मों के सामुदायिक नेता राहत कैंप जाकर दहशत को शांत करें।"

जानकारी

सॉलिसिटर जनरल ने कहा- 24 घंटे में काम पर लगा दिए जाएंगे धार्मिक नेता

सुप्रीम कोर्ट की इस सलाह पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को 24 घंटे के अंदर काउंसलर्स और धार्मिक नेताओं को इकट्ठा करने और साधुओं और मौलवियों को मजदूरों को समझाने का आश्वासन दिया।

फेक न्यूज

सरकार ने कहा, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में फेक न्यूज सबसे बड़ा रोड़ा

सुनवाई के दौरान मेहता ने ये भी कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में फेक न्यूज सबसे बड़ी बाधक साबित हुई है। इस पर कोर्ट ने उन्हें फेसबुक, ट्विटर और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रही गलत जानकारी को रोकने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने फेक न्यूज से बचाव के लिए नियमित तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को भी कहा ताकि लोगों तक सही जानकारी पहुंच सके।

कोरोना का कहर

भारत में 1251 संक्रमित, 32 की मौत

बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में सोमवार रात तक कोरोना वायरस के 1251 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 32 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक आठ लोगों की मौत हुई है, जबकि गुजरात में छह और कर्नाटक में तीन लोगों की मौत हुई है। सबसे अधिक 202 मामले केरल में सामने आए हैं वहीं महाराष्ट्र में 198 मामले सामने आए हैं।