समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में 14 मार्च को फैसला सुनाएगी अदालत, जानें क्या है पूरा मामला
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में पंचकुला की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) विशेष अदालत सोमवार को सुनवाई करते हुए 14 मार्च के लिए अपना फैसला सुरक्षित रखा। धमाकों में कुल 68 लोग मारे गए थे, जिनमें 43 पाकिस्तानी, 10भारतीय, 4 रेलवे अधिकारी और 15 अज्ञात लोग शामिल थे। NIA के अनुसार, यह बम धमाके भारत की 'एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता' को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किए गए थे। आइए पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में 14 मार्च को फैसला सुनाएगी अदालत
पानीपत में हुआ था ट्रेन में बम धमाका
दिल्ली से लाहौर के लिए रवाना हुई समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी, 2007 को रात 11:53 बजे बम धमाका हुआ था। ट्रेन उस समय दिल्ली से 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास थी। अगले दिन हरियाणा पुलिस ने मामले में FIR दर्ज की। गृह मंत्रालय ने 29 जुलाई, 2010 को केस NIA को सौंप दिया। पहली चार्जशीट जून 2011 में दाखिल की गई और तब से कई गवाह अपने बयानों से मुकर चुके हैं।
धमाकों में इस्तेमाल हुए थे IED बम
NIA की शुरुआती जांच में सामने आया कि बम धमाके के कारण ट्रेन के 2 कोच में आग लग गई थी। धमाकों में 4 IED बमों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें से केवल 2 फटे और बाकी 2 को बाद में बरामद किया गया। मामले में 8 आरोपी थे, लेकिन इनमें से केवल 4 को ही कोर्ट के सामने पेश किया जा सका। ये 4 आरोपी स्वामी असीमानंद, कमल चौहान, राजेंद्र चौधरी और लोकेश शर्मा हैं।
स्वामी असीमानंद है मुख्य आरोपी
मुख्य आरोपी असीमानंद को 2015 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी, बाकी तीन आरोपी अंबाला सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। तीन अन्य आरोपी, अमित चौहान, रामचंद्र कलसांगरा और संदीप दांगे, फरार चल रहे हैं, जबकि हमले का मास्टरमाइंड सुनील जोशी दिसंबर 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में मारा गया था। बता दें कि असीमानंद को मक्का मस्जिद और अजमेर दरगाह बम धमाकों के अन्य 2 मामलों में बरी कर दिया गया है।
मंदिरों पर हुए आतंकी हमलों से गुस्से में थे आरोपी
समझौता एक्सप्रेस के मामले में असीमानंद, साजिश के पीछे मुख्य वैचारिक समर्थन था और उसने आरोपियों को आर्थिक और रहने संबंधी सहयोग भी दिया था। NIA की जांच के अनुसार, असीमानंद अक्षरधाम मंदिर, रघुनाथ मंदिर और संकट मोचन मंदिर पर 'इस्लामिक जिहादियों' के आतंकी हमले से गुस्से में था। वह और उसके सहयोगी की सोच 'बम के बदले बम' की थी और वे पूरे मुस्लिम समुदाय से बदला लेना चाहते थे।
अन्य जगह धमाका करने की भी थी योजना
आरोपी धमाकों की साजिश के लिए देश के कई इलाकों में मिलते रहे और इस दौरान उन्होंने बम बनाने और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग भी हासिल की। आरोपियों ने समझौता एक्सप्रेस के अलावा मुस्लिमों की इबादत की जगहों और मुस्लिम इलाकों में धमाकों की योजना भी बनाई थी। समझौता एक्सप्रेस को इसलिए चुना गया था क्योंकि पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा नहीं होती। ट्रेन में बम, कमल, लोकेश, राजेंद्र और अमित ने रखे थे।
अपने बयान से मुकर चुके हैं कई गवाह
मामले में करीब 299 गवाह थे, जिनमें 13 पाकिस्तानी नागरिक थे, जो कभी कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए। वहीं अन्य कई गवाह अपने बयान से मुकर गए। अभी तक 8 जज मामले की सुनवाई कर चुके हैं, जिनमें से एक स्पेशल जज ने मई 2018 में मामले की धीमी सुनवाई पर सवाल उठाए थे। अगस्त 2018 से मामले की सुनवाई डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के मामले में फैसला सुनाने वाले CBI जज जगदीप सिंह कर रहे हैं।