मोरबी पुल हादसा: पहले से टूटे हुए थे जंग लगे 22 तार, SIT ने जताई आशंका
क्या है खबर?
गुजरात के मोरबी पुल हादसे की जांच के लिए गठित किए गए विशेष जांच दल (SIT) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है।
SIT की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, पुल की एक केबल के करीब आधे तारों में जंग लगी हुई थी और ऐसी आशंका है कि 22 तार हादसे से पहले ही टूटे थे।
गौरतलब है कि मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट
SIT ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
SIT ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पुल के केबल को बनाने के लिए कुल 49 तारों को सात जगह पर साथ में जोड़ा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, इन 49 तारों में से 22 तारों में जंग लगी हुई थी, जिसके कारण ये सभी तार 30 अक्टूबर को हादसे से पहले ही टूट गए होंगे।
SIT ने कहा कि बाकी बचे हुए 27 तार लोगों के भार के कारण टूट गए, जिससे पुल नदी में गिर गया।
जानकारी
पुराने और नए सस्पेंडर्स की साथ में हुई थी वेल्डिंग- SIT
SIT की रिपोर्ट में पता चला है कि पुल के मरम्मत कार्य के दौरान केबल को डेक से जोड़ने वाले पुराने सस्पेंडर्स की नए सस्पेंडर्स के साथ वेल्डिंग की गई थी। SIT ने कहा कि इसके कारण यह सस्पेंडर्स भी कमजोर हो गए थे।
रिपोर्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने दिए थे विस्तृत जांच के निर्देश
बतौर रिपोर्ट्स, गुजरात सरकार द्वारा हादसे की जांच के लिए गठित की गई पांच सदस्यीय SIT ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट को पिछले महीने ही सौंप दिया था। हालांकि, इस जांच रिपोर्ट को गुजरात के राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा हाल ही में मोरबी नगर पालिका के साथ साझा किया गया है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोरबी पुल हादसे पर दुख जताते हुए गहन और विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया था।
आरोप
ओरेवा समूह पर लगे हैं लापरवाही के आरोप
हादसे की जांच में पुल का रखरखाव करने वाली ओरेवा समूह की कई लापरवाहियां सामने आई थीं। कंपनी को पुल की मरम्मत के लिए दो करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन उसने इसका मात्र छह प्रतिशत हिस्सा यानि 12 लाख रुपये खर्च किए।
मरम्मत के दौरान कंपनी ने केवल पुल का डेक बदला था और पुरानी केबलों पर ग्रीसिंग तक नहीं की गई थी। पिछले महीने समूह के प्रबंध निदेशक (MD) जयसुख पटेल ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया था।
हादसा
कब और कैसे हुआ था हादसा?
गुजरात के मोरबी में पिछले साल 30 अक्टूबर को मच्छू नदी पर बना पुल टूट कर नदी में गिर गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हुई, जबकि करीब 180 लोग घायल हुए थे।
छठ पूजा के मौके पर पुल पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे, जिसके कारण इसका केबल टूट गया और यह पुल नदी में गिर गया था। हादसे के समय पुल पर लगभग 500 लोग मौजूद थे।