किसानों और सरकार के बीच दो मुद्दों पर बनी सहमति, 4 जनवरी को फिर होगी वार्ता
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के 40 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल और सरकार के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में हुई छठे दौर की वार्ता में दोनों पक्षों के बीच दो मु्द्दों पर सहमति बनी।
ऐसे में अब अन्य मुद्दों पर आगामी 4 जनवरी को फिर से वार्ता होगी।
सरकार ने कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और सोम प्रकाश शामिल हुए।
पृष्ठभूमि
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले तीन महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया था। उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था।
किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगत किसानों का शोषण करेगा।
आंदोलन
इस तरह से बढ़ता गया किसानों का आंदोलन
गत 25 नवंबर को दिल्ली कूच कर रहे किसानों को पुलिस ने बॉर्डर पर ही रोक दिया था। गृहमंत्री ने किसानों को बुराड़ी जाने पर वार्ता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने उसे ठुकरा दिया।
इसके बाद किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालते हुए आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी दी थी।
इसको देखते हुए सरकार ने थोड़ी नरमी बरतते हुए किसानों से वार्ता का निर्णय करते हुए उन्हें 1 दिसंबर को वार्ता का निमंत्रण भेजा था।
विफल
किसानों की जिद के चलते विफल रही थी पहले की सभी वार्ताएं
1 दिसंबर को विज्ञान भवन में हुई तीसरे दौर की वार्ता में सरकार ने विशेषज्ञों की समिति बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन किसान कानून रद्द कराने पर अड़े रहे।
इसके बाद 3 दिसंबर को चौथे दौर की वार्ता में सरकार ने MSP जारी रखने की बात कही, लेकिन किसान कानून निरस्त कराने पर अड़े रहे।
इसी तरह 5 दिसंबर को हुई पांचवें दौर की वार्ता में भी सरकार ने MSP पर गारंटी दी, लेकिन अपनी मांग पर अड़े रहे।
प्रस्ताव
किसानों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराकर किया देशव्यापी आंदोलन का ऐलान
पांच दौर की वार्ता विफल होने के बाद 8 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं के साथ बैठक की, लेकिन इसमें सहमति नहीं बनी।
9 दिसंबर को सरकार ने किसानों को 20 पन्नों का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया। इसमें MSP व्यवस्था जारी रखने, APMC एक्ट में बदलाव करने आदि की बात थी।
इसके बाद 10 दिसंबर को किसान नेताओं ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया और 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया।
जानकारी
किसानों के भूख हड़ताल पर बैठने के बाद सरकार ने फिर भेजा वार्ता का प्रस्ताव
गत 14 दिसंबर को किसान नेताओं के भूख हड़ताल पर बैठने के बाद सरकार ने फिर से किसानों को वार्ता का प्रस्ताव भेज दिया था। इसमें सरकार ने कहा था कि वह खुले मन से सभी मुद्दों का हल निकालने के लिए तत्पर है।
मंजूर
किसानों ने प्रस्ताव स्वीकार कर रखा था 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव
सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को 40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने 26 दिसंबर को स्वीकार करते हुए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बातचीत का प्रस्ताव रखा था।
इसके बाद सरकार ने 28 दिसंबर को उसमें संशोधन करते हुए किसानों को 30 दिसंबर दोपहर 2 बजे वार्ता के लिए विज्ञान भवन बुलाया था।
वार्ता शुरू होने से पहले किसान नेताओं ने कहा कि वह अब सरकार से समाधान की दिशा में कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।
सहमति
इन दो मुद्दों पर बनी सहमति
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा वार्ता सौहार्दपूर्ण रही। किसानों द्वारा रखे गए चार मुद्दों में से दो पर सहमति बन गई है।
पहला मुद्दा पर्यावरण से संबंधित कानून का है और किसानों की चिंता को देखते हुए उन्हें इससे दूर रखने पर रजामंदी हो गई है।
दूसरा मुद्दा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट का है। किसानों को लगता है कि इससे किसानों को नुकसान होगा और बिजली की सब्सिडी पहले की तरह मिलनी चाहिए। इस पर भी सहमति बन गई।
असहमति
MSP को कानूनी दर्जे दिए जाने पर नहीं बनी सहमति
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों ने तीनों कानूनों को वापस लेने की बात कही। इस पर उन्होंने परेशानी पूछते हुए चर्चा की बात कही।
उन्होंने MSP जारी रखने की भी बात कही, लेकिन किसान इसे कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। इस पर अगली बैठक में चर्चा की जाएगी।
इससे पहले किसान नेता टिकैत ने सरकार से प्रदर्शन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की। इस पर भी चर्चा होगी।
जानकारी
सरकार ने किसानों से की बुजुर्गों और महिलाओं को घर भेजने की अपील
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान नेताओं से सर्दी के मौसम को देखते हुए आंदोलन में शामिल बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को घर भेजने की अपील की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि किसानों और सरकार के बीच जल्द ही मामला सुलझ जाएगा।
बयान
मामला सुलझने तक जारी रहेगा प्रदर्शन- टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि अच्छे माहौल में सरकार से बात हुई है। चार में से दो चीजों पर रजामंदी हुई है। कानूनों पर कमेटी बनाने की बात नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि मामला सुझलने तक प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा। अब 4 जनवरी को होने वाली बैठक में दो मुद्दों पर चर्चा होगी। ऐसे में प्रस्तावित ट्रैक्टर ट्रॉली मार्च को स्थगित कर दिया गया है। यूनियन की बैठक में आगे की रणनीति तैयार होगी।
जानकारी
नहीं बनाएंगे कोई भी समिति- बराड
अखिल भारतीय किसान सभा पंजाब के अध्यख बलकारन सिंह बराड़ ने कहा कि वार्ता सकारात्मक रही। सरकार आंदोलन को समाप्त कराकर कानूनों पर समिति बनाना चाहती है, लेकिन वह ऐसा नहीं होने देंगे। अगली बैठक में MSP पर चर्चा की जाएगी।