#NewsBytesExplainer: दिल्ली पुलिस के रिमांड आवेदन में न्यूजक्लिक पर क्या-क्या आरोप लगाए गए हैं?
दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन (HR) प्रमुख अमित चक्रवर्ती को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया है। दोनों ही 4 अक्टूबर से 7 दिनों के लिए पुलिस रिमांड में हैं। रिमांड के लिए दिए आवेदन में पुलिस ने पुरकायस्थ पर अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर को भारत का हिस्सा न दिखाने का चीनी एजेंडा चलाने समेत कई आरोप लगाए हैं। आइए जानते हैं कि पुलिस ने न्यूजक्लिक पर क्या-क्या आरोप लगाए हैं।
पुलिस का दावा, भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने की साजिश
पुलिस की रिमांड कॉपी के अनुसार, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने, असंतोष पैदा करने और एकता-अखंडता को खतरे में डालने के इरादे से एक साजिश के तहत विदेशी संस्थाओं ने भारत में अवैध रूप से करोड़ों की धनराशि का निवेश किया था। पुलिस ने कहा, "न्यूजक्लिक को अप्रैल, 2018 से अवैध तरीकों से करोड़ों की धनराशि प्राप्त हुई। विदेशी संस्थाओं ने अवैध तरीके से नियमों को दरकिनार कर न्यूजक्लिक को करोड़ों का फंड भेजा।"
भारत विरोधी नक्शा बनाने के लिए संस्थान को मिले पैसे
पुलिस ने रिमांड आवेदन में कहा, "गुप्त सूचना से पता चला है कि पुरकायस्थ, चीनी एजेंडा फैलाने के आरोपी अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम और सिंघम के स्वामित्व वाली शंघाई स्थित कंपनी के कुछ चीनी कर्मचारियों ने एक-दूसरे को ईमेल भेजे, जो कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं दिखाने के उनके इरादे को दिखाता है।" पुलिस के मुताबिक, उन्हें भारत विरोधी नक्शा बनाने के लिए 115 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग मिली थी।
सरकार को बदनाम करने के लिए न्यूजक्लिक ने झूठी कहानियां प्रचारित कीं
रिमांड के लिए दिए आवेदन में स्पेशल सेल ने आगे कहा, "कोरोना वायरस महामारी को रोकने के भारत सरकार के प्रयासों को बदनाम करने के लिए झूठी कहानी प्रचारित की गई थी। ये भी पता चला कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स एलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (PADS) नामक एक समूह के साथ साजिश रची थी।" आरोपों के अनुसार, विदेशी फंड का उपयोग करके ही झूठी कहानियां फैलाई गईं।
किसान आंदोलन के जरिए सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की थी साजिश
पुलिस ने दावा किया कि पुरकायस्थ और उनके सहयोगी अवैध रूप से प्राप्त विदेशी धन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करते थे और किसान आंदोलन में भी यही करने की साजिश थी। पुलिस के आवेदन के अनुसार, "आरोपी व्यक्तियों ने अवैध विदेशी फंडिंग के माध्यम से किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लंबा खींचकर आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने और भारतीय समुदायों की आजीविका को प्रभावित करने की भी साजिश रची।"
न्यूजक्लिक का नक्सली कनेक्शन होने का दावा
दिल्ली पुलिस ने रिमांड आवेदन में न्यूजक्लिक में शेयरधारक गौतम नवलखा पर प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के साथ काम करने के आरोप भी लगाया। आवेदन में पुलिस ने कहा, "यह पता चला है कि गौतम नवलखा भारत विरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे। जैसे कि प्रतिबंधित नक्सली संगठनों का सक्रिय रूप से समर्थन करना, राष्ट्र-विरोधी तत्वों और पाकिस्तानी एजेंट गुलाम नबी फई के साथ संबंध रखना। यह भी पता चला कि नवलखा 1991 से पुरकायस्थ से जुड़े हुए हैं।"
नवलखा, अभिसार और तीस्ता को बांटी गई विदेशी फंड की राशि
दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि अवैध रूप से भेजे गए विदेशी फंड का पुरकायस्थ और उनके सहयोगियों जोसेफ राज, अनूप चक्रवर्ती और बप्पादित्य सिन्हा ने गबन किया। पुलिस ने आरोप लगाया, "यह भी पता चला है कि उपरोक्त धनराशि गौतम नवलखा, तीस्ता सीतलवाड के सहयोगियों जावेद आनंद, तमारा, जिब्रान, उर्मिलेश, अरात्रिका हलदर, परंजय गुहा ठाकुरता, त्रिना शंकर और अभिसार शर्मा के बीच वितरित की गई थी।"
पुलिस ने किस आधार पर किए दावे?
पुलिस के रिमांड के आवेदन में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा न्यूजक्लिक के खिलाफ 14 अगस्त को दर्ज किये मामले का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि ED ने जांच के दौरान कंपनी और वर्तमान FIR में नामित संदिग्धों से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जब्त किये थे और 5 हार्ड डिस्क से मिले डाटा का भी विश्लेषण किया था। इसमें 4.27 लाख ईमेल के अलावा कंपनी और कथित संदिग्धों से संबंधित बड़ी संख्या में दस्तावेज शामिल हैं, जिनका विश्लेषण किया गया।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजक्लिक एक ऑनलाइन न्यूज वेबसाइट है, जिस पर राजनीति समेत हर क्षेत्र की खबरें प्रकाशित होती हैं। इसकी स्थापना 2009 में पुरकायस्थ ने की थी। संस्थान ने वेबसाइट पर खुद के बारे में लिखा है, "पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग के साथ न्यूजक्लिक हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नजरंदाज करती रही है।" वेबसाइट अक्सर विभिन्न नीतियों के लिए सरकार की आलोचना करती है।