#NewsBytesExplainer: मध्य प्रदेश में आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण, जानें खास बातें
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया।
इस विशाल प्रतिमा को 'एकात्मकता की मूर्ति' नाम दिया गया है, जिसका अनावरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया।
देश के चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की दीक्षा स्थली रही है। यहां शंकराचार्य की प्रतिमा को अध्यात्म और ऊर्जा के स्रोत के तौर पर स्थापित किया गया है।
आइए शंकराचार्य की इस विशाल प्रतिमा और उनकी दीक्षास्थली के बारे में जानते हैं।
प्लस
कौन थे आदिगुरु शंकराचार्य?
आदिगुरु शंकराचार्य का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल के कालपी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु नामपुद्र और माता का नाम विशिष्ठा देवी था।
शंकराचार्य 12 साल की उम्र तक सभी वेद और शास्त्रों में पारंगत हो गए थे। उन्होंने देश में श्रृंगेरी मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ और ज्योतिर्मठ की स्थापना की और चार धाम का निर्माण और जीर्णोंधार भी करवाया।
उन्होंने 32 साल की उम्र में अपना शरीर त्याग दिया था।
प्रतिमा
कहां स्थापित की गई है प्रतिमा?
ओंकारेश्वर के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे सुंदर मांधावा पहाड़ी पर ये विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। इसे प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत और मूर्तिकार भगवान रामपुरे की देखरेख में बनाया गया।
इस विराट प्रतिमा में 12 साल के शंकराचार्य की भाव भंगिमाओं को जीवंत करने की कोशिश की गई है और इसे चलने की मुद्रा में स्थापित किया गया है।
जिले में 'अद्वैत लोक' नाम से एक संग्रहालय और अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान भी बन रहे हैं।
दुनिया
दुनिया में शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा
ये प्रतिमा दुनिया में स्थापित शंकराचार्य की अब तक की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसमें 16 फीट ऊंचे पत्थर से एक कमल का आधार है और 75 फीट ऊंची सीढ़ियां बनाई गई हैं।
इसके अलावा 45 फीट ऊंचे शंकर स्तंभ पर आचार्य शंकर की जीवन यात्रा चित्रित है। मिश्रित धातु से बनी इस प्रतिमा में 88 टन तांबा, 4 टन जस्ता और 8 टन टिन उपयोग किया गया है।
यह मूर्ति कुल 290 पट्टिकाओं से मिलकर बनी है।
मान्यता
शंकाराचार्य और ओंकारेश्वर का क्या संबंध?
मान्यता है कि 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य मात्र 8 साल की उम्र में अपने गुरु को खोजते हुए केरल से ओंकारेश्वर आए थे। यहां वह अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से मिले और 4 साल यहां अध्ययन किया।
12 साल की आयु में गुरु गोविंदपाद ने उन्हें काशी की दिशा में जाने का आदेश दिया और वह सनातन वेदांत अद्वैत परंपरा की पुर्नस्थापना के लिए ओंकारेश्वर से निकल गए।
शंकराचार्य ने अपनी यात्रा के दौरान 4 मठों की स्थापना की।
बयान
प्रतिमा के अनावरण पर मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, "राज्य में सनातन संस्कृति और धार्मिक केंद्रों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उज्जैन में महाकाल लोक के बाद अब ओंकारेश्वर में एकात्म धाम इसी दिशा में एक और कदम है।"
उन्होंने कहा, "शंकराचार्य ने देश को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का काम किया। वेदों के सार को आम लोगों तक पहुंचाया। देश के चारों कोनों में 4 मठों का निर्माण किया, जिसने सांस्कृतिक रूप से देश को एकजुट रखने का काम किया।"
प्रतिमा
ओंकारेश्वर को कैसे विकसित किया जा रहा?
उज्जैन की तर्ज पर ओंकारेश्वर में आध्यात्मिक पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 2,141.85 करोड़ रुपये की लागत से 33 एकड़ भूमि में 'अद्वैत लोक' का निर्माण किया जा रहा है।
इस परियोजना के तहत एकात्म धाम में शंकराचार्य संग्रहालय बनेगा और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान के तहत दर्शन, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कला पर केंद्रित 4 शोध केंद्रों बनाए जाएंगे।
इसके अलावा यहां ग्रंथालय, विस्तार केंद्र और एक पारंपरिक गुरुकुल भी स्थापित होगा।
जानकारी
500 साल तक टिकी रहेगी प्रतिमा
मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (MPSTC) के अनुसार, इस प्रतिमा की जीवन प्रत्याशा लगभग 500 साल है। प्रतिमा को हर मौसम को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है और ये प्रतिमा भूकंप के झटके भी झेल सकती है।