बाबरी विध्वंस मामला: 30 सितंबर को फैसला, आडवाणी समेत सभी आरोपियों को उपस्थिति होने का आदेश
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी। मामले की सुनवाई कर रहे जज एसके यादव ने सभी आरोपियों को फैसले वाले दिन कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है। इन आरोपियों में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती भी शामिल हैं। इन सभी नेताओं को भी 30 सितंबर को कोर्ट में मौजूद रहने का नोटिस भेजा गया है।
6 दिसंबर, 1992 को गिराई गई थी बाबरी मस्जिद
6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। ये मस्जिद 16वीं शताब्दी से यहां थी और कारसेवकों का आरोप था कि मुगल शासक बाबर ने राम मंदिर तोड़कर इसे बनवाया था। अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। आडवाणी ने मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनवाने के लिए 1980 के दशक में रथयात्रा निकाली थी और मस्जिद गिरने के समय कई भाजपा नेता वहां मौजूद थे।
मामले में आडवाणी समेत 32 आरोपी
राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में आडवाणी, जोशी और भारती के अलावा पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा, साक्षी महाराज और कल्याण सिंह समेत कुल 32 आरोपी हैं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अशोक सिंघल समेत आरोपियों में शामिल तीन बड़े नामों का निधन हो चुका है। मामले में रायबरेली और लखनऊ में दो अलग-अलग मामले चल रहे थे, जिन्हें 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की विशेष CBI अदालत के पास शिफ्ट कर दिया था।
आडवाणी ने 24 जुलाई को दर्ज कराया था अपना बयान
28 साल पुराने इस मामले में CBI आरोपियों के खिलाफ 351 गवाह और लगभग 600 दस्तावेज पेश कर चुकी है। आरोपियों में शामिल 92 वर्षीय आडवाणी ने 24 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने मामले में अपना बयान दर्ज कराया था। वहीं मुरली मनोहर जोशी ने इससे एक दिन अपने बयान दर्ज कराया था। दोनों ही नेताओं ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया था।
बार-बार बढ़ी है मामले में फैसले की डेडलाइन
मामले में सुप्रीम कोर्ट कई बार CBI अदालत को फैसला सुनाने की डेडलाइन दे चुका है, लेकिन हर बार इस डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने सबसे पहले अप्रैल, 2017 में CBI अदालत को दो साल के अंदर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। इसके बाद जुलाई, 2019 में इस डेडलाइन को नौ महीने बढ़ाकर अप्रैल, 2020 और फिर अप्रैल से 31 अगस्त कर दिया गया। अब इस डेडलाइन के भी एक महीने बाद फैसला आएगा।
अयोध्या जमीन विवाद से अलग है मामला
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है जिसमें पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया था। वहीं उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने को कहा था। प्रधानमंत्री 5 अगस्त को मंदिर की नींव भी रख चुके हैं।