उप राज्यपाल ने केंद्र को बताया, जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट बहाली से आपत्ति नहीं
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने गृह मंत्रालय को बताया कि उसे 4G इंटरनेट सेवाएं बहाल करने से कोई आपत्ति नहीं है और तेज स्पीड इंटरनेट शुरू होने से किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। उप राज्यपाल जीसी मुर्मु ने कहा, "मुझे लगता है कि 4G से कोई परेशानी नहीं होगी। मुझे इससे भी डर नहीं है कि लोग इसे कैसे इस्तेमाल करेंगे। पाकिस्तान प्रोपैगेंडा करता रहेगा, चाहे वह 2G हो या 4G, लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं है।"
प्रशासन के रूख में आया बदलाव
जम्मू-कश्मीर में 4G सेवाओं को बहाल करने के मामले में प्रशासन के रूख में अब बदलाव आया है। मई में इसे लेकर प्रशासन का रूख दूसरी तरफ था। वहीं गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया कि 4G सेवा की बहाली के मामले की समीक्षा कर रही विशेष समिति दो बैठक कर चुकी है। यह समिति 11 मई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गठित की गई थी।
किसी भी छूट के पक्ष में नहीं समिति
केंद्र ने बताया कि समिति की बैठक में सहमति बनी है कि 4G समेत दूसरी इंटरनेट सेवाओं पर लगी पाबंदियों में फिलहाल किसी तरह की छूट नहीं दी जा सकती। समिति में केंद्रीय गृह सचिव, दूरसंचार सचिव और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव शामिल हैं।
मई तक 4G सेवा बहाली के विरोध में था प्रशासन
11 मई को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से उस याचिका को खारिज करने की मांग की थी, जिसमें तेज स्पीड इंटरनेट सेवा को बहाल करने की मांग की गई थी। फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की तरफ से दायर इस याचिका के विरोध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा था कि तेज स्पीड इंंटरनेट से अफवाहें और फेक न्यूज तेजी से फैलेंगी और इससे बड़े साइज के ऑडियो-वीडियो की शेयरिंग भी बढ़ेगी, जिसका आतंकी संगठन फायदा उठा सकते हैं।
पिछले साल से जारी हैं पाबंदियां
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के बाद वहां कई पाबंदियां लगाई थीं। धीरे-धीरे इनमें से कई पाबंदियों को हटा लिया गया है, लेकिन कुछ अब भी जारी हैं।
मीडिया पॉलिसी पर भी मुर्मु ने रखी राय
वहीं जम्मू-कश्मीर के सूचना विभाग की तरफ से तैयार मीडिया पॉलिसी 2020 के बारे में मुर्मु ने अपनी राय रखी। इस पॉलिसी में जनसंपर्क निदेशालय को यह अधिकार दिया गया है कि वह फेक न्यूज, नकल, अनैतिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए मीडिया के कंटेट की समीक्षा कर सकता है। इस पर बोलते हुए मुर्मु ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। इस संबंध में पहले से कई कानून बने हुए हैं।
मीडिया पॉलिसी की समीक्षा के आदेश
मुर्मु ने कहा कि जनसंपर्क निदेशालय यह नहीं बता सकता कि कोई खबर 'राष्ट्र विरोधी' है। उन्होंने कहा कि क्या 'राष्ट्र विरोधी' है यह तय करना कानून का काम है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसले दिए हैं। जनसंपर्क निदेशालय केवल मान्यता के लिए जरूरी नियमों का पालन होने के संबंध में जांच कर सकता है, लेकिन यह उसकी क्षमता से बाहर है। उन्होंने निदेशालय से इसकी दोबारा जांच करने को कहा है।